योगी सरकार ने पिछली साल वित्तीय वर्ष 2022-23 में 6.15 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था. इस साल अप्रैल में स्थानीय निकाय और अगले साल लोकसभा चुनाव को देखते हुए योगी सरकार के बजट का आकार बढ़ना स्वाभाविक है. बजट में मध्य वर्ग और किसानों के लिए लुभावनी घोषणाएं किए जाने की उम्मीद के चलते आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट का आकार 7 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर सकता है. वहीं किसानों को इस बजट में सोलर पंप से लेकर स्प्रिंकलर तक अधिक सब्सिडी मिलने की उम्मीद हैं.
इस बीच हाल ही में संपन्न हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में भी यूपी सरकार को कृषि एवं इससे जुड़े डेयरी, ग्रामीण विकास और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पूंजी निवेश के पर्याप्त प्रस्ताव मिले हैं. निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र से मिले इन निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने के लिए सरकार को ढांचागत सुविधायें मुहैया कराना अनिवार्य होगा. इसके लिए सरकार बजट में अलग से प्रावधान कर सकती है.
किसान संगठन हों, या फिर खुद किसान, इन्हें अपने क्षेत्र विशेष में खेती की दिक्कतों को बजट के माध्यम से दूर किए जाने की सरकार से उम्मीद है. पूर्वांचल के किसान, ब्लॉक स्तर पर उन्नत बीज बैंक खोलने का बजट में प्रावधान करने की उम्मीद करते हैं, तो पश्चिमी उप्र में गन्ना किसान, बोनस की अपेक्षा कर रहे हैं. सिंचाई सुविधाओं के मामले में पिछड़ रहे बुंदेलखंड के किसान सोलर पंप की योजना का दायरा बढ़ाने के पक्षधर है, तो रुहेलखंड के किसान उन्नत सिंचाई के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसे यंत्रों पर सब्सिडी की सीमा 90 फीसदी तक बढ़ाने की उम्मीद करते हैं.
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने योगी सरकार द्वारा गन्ना की कीमत नहीं बढ़ाने को किसानों के साथ छल बताया. उन्होंने 'किसान तक' से कहा कि सरकार को किसानों के हित में कम से कम गन्ना का खरीद मूल्य बढ़ाने के लिए चुनाव का इंतजार नहीं करना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों ने पिछले साल जब फसल बोई थी, उस समय डीजल 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया था. किसान ने मंहगा खाद, डीजल और कीटनाशक इस्तेमाल करके फसल उपजाई है. अब जबकि उम्मीद थी कि सरकार गन्ना का खरीद मूल्य बढ़ाएगी, ऐसा नहीं हुआ. सिंह ने कहा कि इसकी भरपाई के लिए सरकार को बजट में कम से कम गन्ना खरीद पर 50 से लेकर 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस देने का प्रावधान करना चाहिए.
भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) की ओर से जारी मांग पत्र में योगी सरकार काे भाजपा के चुनावी संकल्प पत्र की याद दिलाते हुए फल सब्जियों के दाम गिरने से रोकने हेतु 'भावांतर कोष' का गठन करने की बजट में घोषणा करने की मांग की है. गौरतलब है कि भाजपा के संकल्प पत्र में सब्जी के बाजार भाव गरिने पर किसानों को भावांतर कोष से भरपाई करने की बात कही गई थी.
भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत गुट से अलग हुए इस किसान संगठन ने योगी सरकार से किसानों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना एवं पशुधन की नस्ल सुधार के लिए ब्लॉक स्तर पर वेटनरी केंद्र खोलने की भी मांग की है. संगठन ने कहा कि सरकार, बजट में पूरे प्रदेश में वेटनरी कॉलेज खोलने और पशु नस्ल सुधार हेतु ब्लॉक स्तर पर केंद्र खोलने का प्रावधान करे. इसके अलावा मांग पत्र में चीनी मिलों की क्षमता वृद्धि हेतु बजट में अलग से प्रावधान करने और गन्ना किसानों के समय पर भुगतान हेतु 5000 करोड़ रुपये का कोष बनाने की भी मांग की है.
संगठन ने सरकार को बजट में किसानो को गंभीर बीमारी होने पर इसके इलाज हेतु निशुल्क स्वस्थ बीमा योजना का बजट में प्रावधान करने का सुझाव दिया.
बुंदेलखंड में तुलसी की खेती का सफल एफपीओ संचालन कर रहे प्रगतशील किसान पुष्पेन्द्र यादव ने किसानों को सोलर पंप देने वाली पीएम कुसुुम योजना में सब्सिडी बढ़ा कर 90 प्रतिशत तक करने का बजट में प्रावधान करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में बिजली संकट को देखते हुए सरकार को न केवल सोलर पंंप पर सब्सिडी बढ़ाना चाहिए, बल्कि इस इलाके के लिए पंप आवंटन का लक्ष्य भी बढ़ाना चाहिए.
इसी प्रकार शामली जिले के किसान जयपाल सिंह ने पश्चिमी यूपी में किसानों के लिए सिंचाई अब मंहगी साबित होने का हवाला देते हुए कहा कि इस इलाके के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसे उन्नत यंत्रों पर सब्सिडी बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने का बजट में प्रावधान करना चाहिए. मौजूदा व्यवस्था में सिर्फ सीमांत किसानों को ही इस योजना में 90 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है. उन्होंने कहा कि यह छूट सभी किसानों को देना चाहिए.
रायबरेली के प्रगतिशील किसान शेखर त्रिपाठी ने कहा कि वह डेयरी किसान होने के साथ मिलेट्स आधारित फसलों के प्रसंस्करण से तमाम खाद्य उत्पाद बनाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है. उनके जैसे तमाम किसान जैविक खेती कर भी रहे हैं. लेकिन उनके उत्पादों की खरीद का अभी कोई उपयुक्त बजार नहीं मिलता है. त्रिपाठी ने जैविक उपज की अलग मंडी शुरू करने एवं मिलेट़स फसलों को पूरी तरह से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाने की बजट में घोषणा करने की मांग की.
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