उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय कैबिनेट द्वारा गन्ना किसानों के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य( एफआरपी) को बढ़ाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया है. गन्ना किसानों के स्वावलंबन से समृद्धि की यात्रा को नया आयाम प्रदान करने वाला कदम भी बताया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा चीनी सीजन 2023-24 में गन्ना किसानों के लिए गन्ने की अब तक की उच्चतम उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को ₹315 प्रति क्विंटल करने की स्वीकृति प्रदान करने का निर्णय अत्यंत सराहनीय है. इस निर्णय से किसानों के स्वावलंबन से समृद्धि की यात्रा को नया आयाम मिलेगा . वही इससे प्रदेश के 5 करोड़ गन्ना किसानों को बड़ा फायदा पहुंचेगा.
केंद्र की मोदी सरकार ने देश के गन्ना किसानों के लिए आज एक तोहफे का ऐलान करते हुए गन्ने की एफआरपी बढ़ाने का फैसला किया है. 2023-24 सीजन के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य ₹10 प्रति क्विंटल को बढ़ाकर ₹315 प्रति कुंटल कर दिया गया है. यह अब तक के गन्ना खरीदने की सर्वाधिक कीमत है. एफआरपी से देश के गन्ना किसानों को उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त होगा बल्कि चीनी मिलों में कार्यरत श्रमिकों को भी लाभ मिलेगा. इस निर्णय से देश के 5 करोड़ गन्ना किसानों और चीनी मिलों में काम करने वाले लाखों की संख्या में श्रमिकों को लाभ होगा.
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किसानों की आय को दोगुना करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार प्रयासरत है. वहीं देश के गन्ना किसानों के लिए सरकार द्वारा एफआरपी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. एफआरपी यानी उचित एवं लाभकारी मूल्य. एफआरपी वह मूल्य होता है जिससे नीचे चीनी मिलें गन्ना किसानों को भुगतान नहीं कर सकती है. कई राज्य एफआरपी से ऊपर SAP (State Advisory Price) घोषित करती हैं तथा कई चीनी मिलें किसानों को लाभ पर बोनस भी प्रदान करती हैं. एफआरपी सरकार द्वारा गन्ना किसानों के लिए निर्धारित एक न्यूनतम मूल्य होता है. गन्ना सहित अन्य कृषि उत्पादों की कीमत के लिए कमीशन ऑफ़ एग्रीकल्चर कास्ट एंड प्राइसेज( CACP) सरकार को अपनी सिफारिश भेजता है जिसके बाद उस सिफारिश पर विचार करने के बाद सरकार उसे लागू करती है. गन्ना नियंत्रण आदेश को 1966 के तहत एफआरपी तय करती है. गन्ने के रेट बढ़ाने से देश के करीब 5 करोड गन्ना किसानों तथा उनके परिवारों और चीनी मिलों के सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को भी इसका लाभ होगा.
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