scorecardresearch
MSP: एमएसपी कमेटी के ख‍िलाफ क‍िसानों में क्यों है असंतोष? 

MSP: एमएसपी कमेटी के ख‍िलाफ क‍िसानों में क्यों है असंतोष? 

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 378 दिन तक चला क‍िसान आंदोलन मुख्य तौर पर एमएसपी को लेकर कमेटी बनाने के ल‍िख‍ित आश्वासन के बाद 9 द‍िसंबर 2021 को स्थगित हुआ था. एमएसपी कमेटी बने नौ महीने हो चुके हैं लेक‍िन इसके सदस्य अब तक क‍िसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं. अब तक कमेटी की स‍िर्फ दो मुख्य बैठकें हुई हैं.

advertisement
एमएसपी के मुद्दे पर द‍िल्ली में जुटे क‍िसान (File Photo). एमएसपी के मुद्दे पर द‍िल्ली में जुटे क‍िसान (File Photo).

देश के क‍िसान एक बार फ‍िर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुद्दे पर केंद्र स‍रकार के ख‍िलाफ आंदोलन करने के ल‍िए तैयार हैं. सोमवार 20 मार्च को द‍िल्ली के रामलीला मैदान में आयोज‍ित क‍िसान महापंचायत के जर‍िए इसका संकेत दे द‍िया गया है. लेक‍िन, एमएसपी को लेकर जो कमेटी बनाई गई है वो खास गंभीर नहीं द‍िख रही है. जबक‍ि क‍िसानों के मुद्दे पर ही पहली बार मोदी सरकार को बैकफुट पर जाकर तीन कृष‍ि कानूनों को वापस लेना पड़ा था. कमेटी बनने से अब तक नौ महीने में स‍िर्फ दो ही मुख्य बैठकें आयोज‍ित की गई हैं. इससे आपको खुद ही पता चलेगा क‍ि आख‍िर सरकार ने ज‍िन लोगों को यह ज‍िम्मा द‍िया है वह क‍ितने गंभीर हैं और क‍िसान दोबारा क्यों सड़क पर उतरने के ल‍िए मजबूर हो रहा है. 

केंद्रीय कृष‍ि मंत्री नरेंद्र स‍िंह तोमर ने खुद लोकसभा में ल‍िख‍ित तौर पर एक जवाब द‍िया है ज‍िसमें कहा गया है क‍ि अब तक कमेटी की स‍िर्फ दो मुख्य बैठकें आयोज‍ित की गई हैं. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 378 दिन तक चला क‍िसान आंदोलन मुख्य तौर पर एमएसपी को लेकर कमेटी बनाने के ल‍िख‍ित आश्वासन के बाद 9 द‍िसंबर 2021 को स्थगित हुआ था. क‍िसान आंदोलन में शाम‍िल रहे नेता तो इस कमेटी पर ही सवाल उठाते रहे हैं क्योंक‍ि कई ऐसे लोग शाम‍िल हैं ज‍िनका घोषित ऐजेंडा किसानों की मांगों के विपरीत है. खासतौर पर अध‍िकारी और अर्थशास्त्री. 

इसे भी पढ़ें: MSP: आख‍िर क्यों सी-2 लागत वाली एमएसपी मांग रहे हैं क‍िसान?

जून तक आ जाएगी कमेटी की र‍िपोर्ट 

मोदी सरकार ने यह कमेटी बनाई थी क‍िसानों के असंतोष को खत्म करने के ल‍िए, लेक‍िन हो उल्टा रहा है. कमेटी के सदस्यों और उनके रवैये के ख‍िलाफ ही क‍िसान सवाल उठाने लगे हैं. कमेटी की र‍िपोर्ट जून तक सरकार को द‍िए जाने की उम्मीद है. लेक‍िन अब तक यह कमेटी न तो सी-2 लागत के आधार पर एमएसपी देने के मुद्दे पर क‍िसी न‍िष्कर्ष पर पहुंची है और न लीगल गारंटी देने को लेकर. जबक‍ि क‍िसान इन्हीं मु्द्दों पर अड़े हुए हैं. 

अगर, कमेटी ने इस मसले को लेकर कोई फैसला नहीं ल‍िया तो 2024 के आम चुनाव से पहले मोदी सरकार के ख‍िलाफ आंदोलन करने के ल‍िए व‍िपक्ष और क‍िसानों को एक बड़ा मुद्दा म‍िल जाएगा. क‍िसानों का कहना है क‍ि क‍िसी फसल का अच्छा दाम तय करने और देने में इतनी द‍िक्कत क्यों है. वो भी तब जब देश के क‍िसानों की शुद्ध औसत आय स‍िर्फ 28 रुपये प्रत‍िद‍िन है. 

कृष‍ि मंत्री ने क्या कहा? 

तृणमूल कांग्रेस से लोकसभा सांसद दीपक अधिकारी और कांग्रेस सांसद दीपक बैज ने सरकार से पूछा क‍ि एमएसपी कमेटी की क‍ितनी बैठकें हुई हैं? केंद्रीय कृष‍ि मंत्री नरेंद्र स‍िंह तोमर ने इसका जवाब द‍िया. उन्होंने कहा, "सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए क्रॉप पैटर्न को बदलने और एमएसपी को अधिक प्रभावी-पारदर्शी बनाने के लिए दिनांक 12 जुलाई 2022 के नोट‍िफ‍िकेशन के जर‍िए एक कमेटी गठित की है. कमेटी की बैठकें उसे सौंपे गए विषयगत मामलों पर विचार-विमर्श करने के लिए नियमित आधार पर आयोजित की जा रही हैं. अब तक ग्यारह उप-समूहों की बैठकों सहित दो मुख्य बैठकें आयोजित की गई हैं." 

वर्तमान कमेटी के व‍िरोध में एसकेएम

संयुक्त क‍िसान मोर्चा (एसकेएम) पहले ही कमेटी को नकार चुका है. इसल‍िए उसके प्रत‍िन‍िध‍ि इस कमेटी में शाम‍िल ही नहीं हुए हैं. कमेटी को नकारने की उनकी वजह भी है. ज‍िस कृष‍ि सच‍िव के शासन में तीन कृष‍ि कानून लाए गए थे वही इस कमेटी का चेयरमैन है. इसमें वो अर्थशास्त्री शाम‍िल हैं ज‍िन्हें क‍िसान एंटी फार्मर सोच वाला मानते हैं. सरकार ने अपने मन से ज‍िन क‍िसान संगठनों के पदाध‍िकार‍ियों को इसमें शाम‍िल क‍िया है उनमें से भी कई लोग अध‍िकार‍ियों के रवैये से न‍िराश हैं.  

लगातार हो रही है बैठक: पाशा पटेल

इस बारे में हमने कमेटी के सदस्य सैय्यद पाशा पटेल से बातचीत की तो उन्होंने कहा, हम लोग क‍िसानों के साथ कुछ गलत नहीं होने देंगे. उम्मीद है क‍ि जून में र‍िपोर्ट आ जाएगी. कमेटी की हर महीने बैठक हो रही है. अब कृष‍ि मंत्री ने लोकसभा में स‍िर्फ दोमुख्य बैठकों की ही क्यों जानकारी दी है, इसके बारे में कुछ नहीं कह सकता. सोमवार 20 जनवरी को कमेटी में शाम‍िल क‍िसान प्रत‍िन‍िध‍ियों की अलग बैठक हुई है. आज भी बैठक हो रही है. आगे से हम लगातार तीन द‍िन तक बैठेंगे और एमएसपी पर क‍िसी सही न‍िर्णय तक जाएंगे. 

क‍िसानों के ह‍ितों से नहीं होगा समझौता

द‍िल्ली, भुवनेश्वर और हैदराबाद में इसकी बैठकें हुई हैं. इसके बाद 12 अप्रैल को जबलपुर और 19 अप्रैल को लखनऊ में बैठक होगी. मई में लातूर में बैठक होनी है. पटेल महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन अध्यक्ष रह चुके हैं. कमेटी के सदस्य पद्मश्री भारत भूषण त्यागी का कहना है क‍ि एमएसपी की गारंटी और उसे कानून के दायरे में लाना जरूरी मुद्दा तो है ही. लेक‍िन नेचर का भी ध्यान रखना है. लागत तय करने का आधार क्या है, इसका डाटा भी हम लोग मांग रहे हैं. क‍िसानों के ह‍ितों से कोई समझौता नहीं होगा. 

ये भी पढ़ें:  व‍िकस‍ित देशों को क्यों खटक रही भारत में क‍िसानों को म‍िलने वाली सरकारी सहायता और एमएसपी?