तेलंगाना के किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनके ज्वार की पूरी उपज खरीद ली जाए. दरअसल, तेलंगाना सरकार ने हाल में ऐलान किया कि रबी सीजन में पैदा हुई ज्वार की पूरी उपज को सरकार खरीदेगी. इसके लिए सरकार की तरफ से 2970 रुपये प्रति क्विंटल की दर तय की गई है. अब किसानों का कहना है कि सरकार केवल रबी सीजन का ज्वार ही नहीं बल्कि पहले पैदा हुई पैदावार को भी खरीद ले ताकि कुछ आर्थिक मदद मिल जाए. इसी के साथ किसानों ने प्रति एकड़ ज्वार की खरीद की सीमा बढा़ने की भी मांग की है.
अभी सरकार ने किसानों से प्रति एकड़ 5.16 क्विंटल ज्वार खरीदने का नियम बनाया है. इस नियम का मतलब है कि किसान से प्रति एकड़ अधिक से अधिक 5.16 क्विंटल ज्वार की खरीद होगी, उससे अधिक नहीं. इस पर किसानों का कहना है कि खरीद की इस सीमा को बढ़ाया जाए. अदिलाबाद और विकराबाद के किसानों का कहना है कि उन्हें प्रति एकड़ 11-15 क्विंटल तक उपज मिलती है. लेकिन सरकार ने पांच क्विंटल खरीदने का ही ऐलान किया है. यह खरीद लगभग आधी है, इसलिए ज्वार खरीद की मात्रा बढ़ाई जाए.
ज्वार के भाव अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहे हैं. इससे किसानों को कोई घाटा न हो, इसलिए सरकार ने ज्वार की कीमत तय कर दी है. सरकार ने मार्केफेड को निर्देश दिया है कि इस रबी सीजन में पैदा हुए 65,000 टन ज्वार की खरीद की जाए. इसके लिए सरकार ने ज्वार की कीमत 2970 रुपये प्रति क्विंटल तय की है. इसके लिए सरकार ने मार्कफेड को 220 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जारी की है.
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एक अनुमान के मुताबिक तेलंगाना में इस बार लगभग एक लाख किसानों ने ज्वार की खेती की है. इन किसानों ने 51,400 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ज्वार लगाएं हैं. इसमें से 35,600 हेक्टेयर की खेती रबी ज्वार की है. पिछले साल भी तेलंगाना सरकार ने 1.31 लाख टन ज्वार खरीदने का ऐलान किया था और किसानों से उनकी उपज खरीदी गई थी.
हालांकि सरकार पर इस बात का आरोप लगा कि जितनी खरीद की बात कही गई, उतनी हुई नहीं. सरकार ने पिछले साल कहा था कि प्रति एकड़ 10.44 क्विंटल ज्वार की खरीद की जाएगी, लेकिन सरकार ने किसानों से केवल 25,786 टन ज्वार की ही खरीद की. इससे कई किसानों की उपज यूं ही बची रह गई.
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इस बार देश में मिलेट्स ईयर भी चल रहा है जिसमें मोटे अनाजों की खेती और उसका इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. सरकार इसकी खेती बढ़ाने और लोगों में इसका इस्तेमाल बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है. देश के कई राज्य मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं.
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