Stubble Burning Case: पराली के नाम पर अंधाधुंध खर्च हुआ पैसा लेक‍िन धुएं में हवा हो गए दावे...देख‍िए आंकड़े 

Stubble Burning Case: पराली के नाम पर अंधाधुंध खर्च हुआ पैसा लेक‍िन धुएं में हवा हो गए दावे...देख‍िए आंकड़े 

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े मिले हैं. यह रिपोर्ट पर्यावरण के मसले पर उत्तर भारत के प्रमुख धान उत्पादक राज्यों की नाकामी पर मुहर लगाती है. पराली जलने की घटनाएं बढ़ गई हैं, जबक‍ि इसे घटाने के नाम पर अकेले पंजाब, हर‍ियाणा में ही 2 लाख मशीनों की ब‍िक्री हो चुकी है.  

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Stubble Burning Case: पराली के नाम पर अंधाधुंध खर्च हुआ पैसा लेक‍िन धुएं में हवा हो गए दावे...देख‍िए आंकड़े पराली जलाने के मामले बढ़ गए हैं (Photo-Kisan Tak).

द‍िल्ली को छोड़कर अन्य क‍िसी भी राज्य में पराली कम जलने के दावों में कोई सच्चाई नहीं है. पंजाब, हर‍ियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में प‍िछले साल के मुकाबले केस बढ़ गए हैं. इस मामले में पंजाब और हर‍ियाणा सबसे आगे हैं. इस साल 15 स‍ितंबर से 8 अक्टूबर तक पराली जलाने के 1565 केस सामने आए हैं, जबक‍ि 2022 में इसी अवध‍ि में स‍िर्फ 889 मामले थे. यह हाल तब है जब पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के नाम पर सरकारें जमकर मशीनें ब‍िकवा रही हैं. इन्हें तकनीकी तौर पर क्रॉप रेजीड्यू मैनेजमेंट (CRM) मशीन कहते हैं. अकेले पंजाब, हर‍ियाणा में ही पराली मैनेजमेंट करने वाली करीब दो लाख मशीनें ब‍िकवाई जा चुकी हैं, ज‍िन पर करोड़ों रुपये की सब्स‍िडी दी गई है. जबक‍ि पराली जलने की घटनाएं कम होने की बजाय बढ़ गईं. ऐसे में सवाल यह है क‍ि इन मशीनों का हो क्या रहा है. कहीं पराली के नाम पर कोई और खेल तो नहीं हो रहा? 

केंद्र सरकार पंजाब, हरियाणा, यूपी, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं का सैटेलाइट के जरिए मॉनिटरिंग करवा रही है. 'क‍िसान तक' को कृष‍ि मंत्रालय से म‍िली र‍िपोर्ट बताती है क‍ि पराली से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई साल से हो रहे प्रयासों को इस बार बड़ा झटका लगा है. द‍िल्ली को छोड़कर अन्य सभी सूबों में घटनाएं बढ़ गई हैं. पंजाब में प‍िछले साल 8 अक्टूबर तक 711 घटनाएं थीं, जबक‍ि इस साल बढ़कर 969 हो गई हैं. इसी तरह हर‍ियाणा में इस साल पराली जलाने के 277 केस सामने आए हैं, जबक‍ि प‍िछले साल इस अवध‍ि तक 80 केस ही थे.

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जहां सबसे ज्यादा जली पराली 

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े मिले हैं. यह रिपोर्ट पर्यावरण के मसले पर उत्तर भारत के प्रमुख धान उत्पादक राज्यों की नाकामी पर मुहर लगाती है. पंजाब के अमृतसर में इस साल सबसे अध‍िक 559 केस सामने आए हैं. इस मामले में दूसरे नंबर पर तरनतारण है जहां पर 139 केस हुए हैं. हर‍ियाणा में पराली जलाने के सबसे ज्यादा 56 केस अंबाला और 49 केस कुरुक्षेत्र में हुए हैं. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 41 केस अलीगढ़ में हुए हैं. राजस्थान के बारां ज‍िले में सबसे अध‍िक 34 केस हुए हैं. जबक‍ि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 17 मामले गुना से आए हैं. 

क‍िस राज्य में क‍ितने बढ़े पराली जलाने के मामले.

पराली मैनेजमेंट मशीनों का क्या काम? 

पंजाब में पराली मैनेजमेंट करने वाली सबसे ज्यादा मशीनें खरीदी गई हैं. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को पंजाब सरकार की ओर से सौंपी गई एक र‍िपोर्ट में बताया गया है क‍ि सूबे में 1,17,672 सीआरएम मशीनें हैं. यही नहीं 23,000 मशीनों की खरीद की प्रक्रिया अभी चल रही है. इसी तरह हरियाणा में वर्तमान में 80,000 से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी हैं. मशीनों की उपलब्धता और नई मशीनों की खरीद की भी समीक्षा की गई है. मशीनों की खरीद पर 65 फीसदी तक की सब्स‍िडी दी जा रही है.

हर‍ियाणा में इस साल धान का कुल रकबा 14.82 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है. इसमें से पूसा बायो डीकंपोजर के माध्यम से पांच लाख एकड़ धान क्षेत्र में पराली मैनेजतमेंट का लक्ष्य रखा गया है. सरकार किसानों को मुफ्त में पूसा बायो डीकंपोजर किट प्रदान करेगी. इन दावों से अलग पराली जलाने की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं. 

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