देश में छुट्टा पशुओं के मामले में राजस्थान सबसे अव्वल है. पशु गणना में राजस्थान में ही सबसे अधिक छुट्टा पशु दर्ज किए हैं. इसी कड़ी में राज्य सरकार ने प्रदेश से छुट्टा पशुओं की संख्या कम करने को लेकर काम करना शुरू कर दिया है, जिसके तहत 1500 ग्राम पंचायतों में गौशालाएं बनाई जाएंगी. मतलब राजस्थान में अब ग्राम पंचायतों में पशु आश्रय स्थल जन सहभागिता योजना के तहत गौशालाएं बनाई जाएंगी. योजना के पहले चरण में 1500 ग्राम पंचायतों में स्थल निर्माण की स्वीकृति दी गई है. योजना के संचालन के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सहमति प्रदान कर दी है. इसके लिए सीएम गहलोत ने 1377 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान को बीते दिनों मंजूरी दी है.
राजस्थान में कुल 11,352 ग्राम पंचायतें हैं. राज्य सरकार की पिछले बजट घोषणा के अनुसार सभी ग्राम पंचायतों में चरणबद्ध रूप से गौशालाओं या निराश्रित पशुओं के आश्रय स्थल बनाए जाने हैं. बता दें कि योजना के अंतर्गत जिन ग्राम पंचायतों में गौशाला/पशु आश्रय स्थल का संचालन करने के लिए सक्षम कार्यकारी एजेंसी (ग्राम पंचायत/स्वयंसेवी संस्था) उपलब्ध होगी, वहां प्राथमिकता से एक-एक करोड़ रुपए तक की राशि से गौशालाएं स्थापित की जाएंगी.
पशु आश्रय स्थल जन सहभागिता योजना के तहत वर्ष 2022-23 में 200 एवं 2023-24 में 1300 ग्राम पंचायतों में स्थलों का निर्माण किया जाएगा. इसमें राज्य सरकार 90 प्रतिशत और कार्यकारी एजेंसी 10 प्रतिशत राशि वहन करेगी.मुख्यमंत्री द्वारा स्थलों के निर्माण एवं संचालन के लिए वर्ष 2022-23 में 183.60 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2023-24 के लिए 1193.40 करोड़ रुपए सहित कुल 1377 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है.
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राज्य सरकार के इस निर्णय से आवारा एवं निराश्रित पशुओं के लिए एक स्थाई आश्रय मिल सकेगा. किसानों को भी आवारा पशुओं की समस्या से राहत मिलेगी. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022-23 के बजट में ग्राम पंचायतों में गौशाला/पशु आश्रय स्थलों का संचालन किए जाने की घोषणा की गई थी.
ग्राम पंचायत/ पशु आश्रय स्थल जन सहभागिता योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा जानवरों से किसानों को राहत दिलाना है. साथ ही इस योजना से निराश्रित पशुओं को भी एक स्थाई जगह मिल सकेगी. इसके अलावा आवारा/निराश्रित गौवंश के अनियंत्रित प्रजनन में कमी लाना, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इन जानवरों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लाना और निराश्रित जानवरों की देखरेख के लिए आधारभूत ढांचों का निर्माण इस योजना का उद्देश्य है.
इस योजना के सफल संचालन के लिए राज्य सरकार ने समितियों का गठन भी किया गया है. इसमें राजस्थान के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में निधि नियम, 2016 के अंतर्गत गठित राज्य स्तरीय अधिभार उपयोग सलाहकार समिति को योजना के संबंध में नीति निर्धारण की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं, सभी पंचायतों में गौशाला/ पशु आश्रय बनवाने के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला गोपालन समिति ही निर्णय लेगी. पंचायत समिति स्तर पर बनी यह गोपालन समिति ही गोशाला के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता, मूल्यांकन और मॉनिटरिंग का काम देखेगी.
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