देश में आटे के भाव से लोग परेशान थे. लोगों को राहत देने और आटे की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण पाने के मकसद से सरकार की तरफ से 6 जनवरी से मोबाइल वैन और अन्य वितरण चैनलों के जरिए 29.50 रुपये किलो पर आटा बेचा जाएगा. यह काम राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (NCCF) करेंगी. वहीं नेफेड और एसीसीएफ ने इस पर सहमति व्यक्त की है. इसे 'भारत का आटा' ब्रांड नाम से बेचा जाएगा. 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से आटे की बिक्री शुरू कर दी गई है. हालांकि, एनसीसीएफ और नेफेड 6 फरवरी 2023 से आटे की सप्लाई करेंगे.
पिछले साल असमान्य मौसम की वजह से गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ था. उपज में गिरावट दर्ज की गई थी. नतीजतन, बाजार में गेहूं और आटे की कीमतों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा था. देश के कुछ मंडियों में गेहूं का भाव 5 हजार तक पहुंच गया था. वहीं मौजूदा वक्त में खुदरा बाजार में गेहूं आटा की कीमत लगभग 32 से 38 रुपये किलो चल रही है.
2 फरवरी को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव ने एक बैठक कर खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) की प्रगति की समीक्षा की थी. इसी बैठक में 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से आटे की बिक्री करने का निर्णय लिया गया था.
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केंद्र सरकार ने गेहूं के भाव पर लगाम लगाने के लिए ओपन सेल मार्केट स्कीम (ओएमएसएस) के तहत अपने बफर स्टॉक से 25 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने का फैसला किया है. भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने 1 और 2 फरवरी 2023 को ई-नीलामी में ओपन मार्केट सेल स्कीम (घरेलू) के तहत 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं भंडार से 22 लाख मीट्रिक टन उपलब्ध कराने की पेशकश की थी. ई-नीलामी के पहले सप्ताह में 1150 से अधिक बोली लगाने वाले लोग प्रक्रिया में भाग लेने के लिए आगे आए और पूरे देश में 9.2 लाख मीट्रिक टन की कुल गेहूं की मात्रा उपलब्ध कराई गई. वहीं गेहूं के दूसरे चरण की विक्रय बिक्री ई-नीलामी के माध्यम से 15 फरवरी बुधवार, 2023 को देशभर में शुरू की जाएगी.
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केंद्र सरकार इस साल गेहूं के बंपर उत्पादन की उम्मीद कर रही है. वहीं कृषि विशेषज्ञों ने चालू रबी सीजन में 112 मिलियन टन के रिकॉर्ड उत्पादन की भविष्यवाणी की है. हालांकि, अगले दो महीनों तक तापमान फसल के अनुकूल बना रहे. वहीं 27 जनवरी 2023 तक गेहूं का रकबा 0.37 प्रतिशत बढ़कर 341.85 लाख हेक्टेयर हो गया था, जो एक साल पहले की अवधि में 340.56 लाख हेक्टेयर था.
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