डिजिटल क्रांति के इस युग में ग्रामीण क्षेत्रों में भी इंटरनेट की सुविधा पहुंच चुकी है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इंटरनेट बैंकिंग का फायदा ले रहे हैं. लेकिन साइबर अपराध के इस दौर में किसान तेजी से साइबर ठगों का शिकार हो रहे हैं क्योंकि किसान साइबर अपराध करने वालों के लिए आसान लक्ष्य होते हैं. दरअसल देश के ग्रामीण क्षेत्रों में साइबर क्राइम काफी तेजी से अपना पैर पसारता जा रहा है. इनके मुख्य कारण यह भी है कि ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी है, जिससे गांव के लोग आसानी से इनके शिकार हो जाते हैं.
वहीं इन दिनों साइबर ठगों ने एक नया तरीका अपनाया है. साइबर ठग किसानों को झांसे में लेकर ठगी कर रहे हैं. बता दें कि सोलर पंप लगाने के नाम पर पिछले कुछ दिनों में पश्चिमी यूपी के कई किसानों से साइबर ठगों ने लाखों रुपये की ठगी की है, जिसके बाद किसानों के होश उड़े हुए हैं.
दरअसल पश्चिमी यूपी के कई जिले में सोलर पंप लगाने के लिए बहुत सारे किसानों ने आवेदन किया था. इसमें तय राशि में से केंद्र और प्रदेश सरकार अलग-अलग योजनाओं पर सब्सिडी देती है, तो वहीं बाकी बचे पैसे किसानों को जमा करने होते हैं. ऐसे में पिछले कुछ दिनों में साइबर ठगों ने आवेदन करने वाले किसानों को फोन करके झांसे में लिया और अधिकारी बनकर उनसे ओटीपी (OTP) हासिल कर लिया.
साइबर ठगों ने मौका पाकर उनके खाते से लाखों रुपये की गायब कर दिए हैं.
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किसानों को अपने साथ हुई इस घटना की जानकारी कृषि आफिस में पहुंचने पर मिली, जब उनको अपना पैसा जमा करने को कहा गया. विभाग द्वारा बताया गया कि आपके पैसे नहीं हैं जिसे सुनकर किसानों के होश उड़ गए. वहीं इस मामले में कई किसानों ने रिपोर्ट भी दर्ज कराई है. इसी को लेकर अब कृषि विभाग द्वारा दूबारा प्रचार प्रसार किया जा रहा है.
वहीं, उप कृषि निदेशक ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा ऑनलाइन भुगतान के लिए कोई कॉल नहीं की जाती है. किसान अपना बाकी बचा पैसा इंडियन बैंक की शाखा में जमा करें. साथ ही उप कृषि निदेशक ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी अनजान को ओटीपी न दें. साथ ही बिना जानकारी के ऑनलाइन भुगतान न करें.
प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सरकार किसानों को 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर सोलर पंप मुहैया कराती है. किसानों के साथ-साथ ये पंप पंचायतों और सहकारी समितियों को इसी अनुदानित कीमत पर दिए जाते हैं. इसके अलावा सरकार खेतों के आसपास सोलर पंप लगाने लगाने के लिए लागत के 30 प्रतिशत तक का लोन उपलब्ध कराती है.
इस हिसाब से किसानों को इस प्रोजेक्ट का केवल 10 प्रतिशत राशि खर्च करना होता है. इस योजना का लाभ लेने की वजह से किसानों की सिंचाई की समस्या खत्म हो सकती है. वहीं, बिजली या डीजल के पंपों के जरिए सिंचाई करने पर किसान की लागत बढ़ जाती है.
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