गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के तलाला शहर में आम किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कार्य किया जा रहा है. यहां पर स्थित इंडो -इजरायल एक्सीलेंस सेंटर में किसानों को आम की खेती से जुड़ा प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यहां पर किसानों को उच्च घनत्व आम की खेती के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है. आम की खेती की इस तकनीक से किसानों की अच्छी कमाई होती है. इसलिए यह विधि पहले से ही काफी मशहूर हैं. इजरायल और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इस विधि से खेती की जाती है. इस विधि में किसान एक एकड़ जमीन में 400 पौधे लगा सकते हैं. इस तरीके से किसान एक एकड़ में तीन से चार लाख रुपये तक कमा सकते हैं.
प्रशिक्षण केंद्र के एसएमएस और बागवानी अधिकारी वीएएच बराड ने एएनआई के मुताबिक बताया कि आम की हाइ डेन्सिटी फार्मिंग भारत के लिए पूरी तरह एक नई अवधारणा है. हालांकि इजरायल में बड़े पैमाने पर इस तकनीक से खेती की जाती है. गुजरात में साल 2012 में इजरायल सहयोग से इस केंद्र को स्थापित किया गया था. यह केंद्र किसानों को उच्च घनत्व खेती के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करता है. इसके साथ ही यहां पर आम की खेती को लेकर नए नए शोध भी होते रहते हैं.वीएएच बराड बताते हैं कि पारंपरिक तरीके से आम की खेती की तुलना में उच्च घनत्व वाली आम की खेती में अधिक लाभ होता है और इसका प्रबंधन करना भी आसान होता है. इस विधि में 40 फीट के पेड़ों को 10-12 फीट तक काट कर इन्हें पुनर्जीवित किया जाता है, साथ ही एक निश्चित अंतराल पर नए पेड़ लगाए जाते हैं.
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यह एक ऐसी विधि है जिसमें तीन वर्ष में फल मिल जाता है. उच्च घनत्व खेती का फायदा यह है कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान की कमी को पूरा करती है. क्योंकि इसमें बेहतर उत्पादन हासिल होता है. इस विधि में किसान छोटे जगह में अधिक पौधे उगा सकते हैं. इनमें छंटाई करना और कीटनाशकों का इस्तेमाल करना आसान होता है. इससे किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाला फल प्राप्त होता है, जिससे किसान फलों का निर्यात कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. बराड में कहा कि इस प्रशिक्षण केंद्र में ना सिर्फ किसानों को आम की खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है बल्कि किसानों को यहां सस्ती दरों पर आम के पौधे भी दिये जाते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र ने पिछले साल साढ़े तीन हजार किसानों को प्रशिक्षित किया था, जबकि 25-30 पोधों की आपूर्ति की थी.
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उच्च घनत्व वाले आम की खेती करने वाले गुजरात के किसान अब इसके साथ विदेशी आम के नस्लों की भी खेती की संभावनाएं देख रहे हैं. इसमें मियाजाकी, अमेरिका की टॉनी एटिकन्स जैसी कई नस्लें शामिल हैं. सासन गिर के किसान सुमित समशुद्दीन झरिया बताते हैं कि उन्होंने अपने खेत में बेहतरीन किस्म की पारंपरिक भारतीय नस्लों के 300 अलग-अलग आम के पौधे जमा किए हैं. मियाजकी आम की सबसे महंगी किस्म है. इसका स्वाद अलग होता है और टूटने के बाद लाल हो जाता है. उन्होंने अन्य आमों का जिक्र करते हुए कहा कि वो माया आम की खेती करते हैं जो इजरायल की एक बेहतरीन किस्म है. उ्होंनें कहा कि वो उन पौधों की नर्सरी करके उन्हें लगाने के लिए दे दे हैं.उच्च घनत्व वाले आम के बगानों में पौधों को एक दूसरे के करीब रखा जाता है.
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