पंजाब सरकार कृषि सेक्टर के लिए निर्धारित बिजली सब्सिडी बिल को नहीं बढ़ाएगी. कहा जा रहा है कि वह अगले पांच सालों तक राज्य में बिजली सब्सिडी बिल को 21,909 करोड़ रुपये पर ही स्थिर रखने का प्रस्ताव रखा है. इसके लिए वह राज्य में कृषि पंप-सेट को थर्मल से सौर उर्जा में परिवर्तित करेगी. इससे बिजली की खपत में गिरावट आएगी. वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने पुष्टि की कि यह प्रस्ताव 16वें वित्त आयोग के सामने रखा गया है, जो हाल ही में राज्य के दौरे पर आए थे..
द ट्रब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि बिजली की लागत में और बिजली की खपत में 3-4 प्रतिशत की वृद्धि हर साल हो रही है. अब इस तरह की बढ़ोतरी को कम किया जाएगा. इसके लिए राज्य को पंप-सेट चलाने के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग करना होगा. प्रस्ताव में कहा गया है कि पंप-सेट के सौरकरण करने के लिए पहले 75,000 पंप-सेटों पर काम शुरू किया जाएगा. एक बार लागू होने पर, बिजली सब्सिडी बिल में 275 करोड़ रुपये की कमी आएगी.
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वहीं, एक बार जब राज्य में 1500 कृषि फीडर पर सोलर प्लेट लग जाएंगे, तो सब्सिडी बिल में 1,200 करोड़ रुपये की कमी आएगी. ट्रिब्यून द्वारा की गई पूछताछ से पता चला है कि पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (PEDA) को कृषि फीडरों के व्यक्तिगत सौरकरण के लिए एक प्रस्ताव बनाने का काम सौंपा गया है. पीएम कुसुम योजना के तहत, निजी किसान या किसानों का एक समूह 500 मेगावाट से 2 किलोवाट की क्षमता वाले अपने स्वयं के अक्षय ऊर्जा संयंत्र लगा सकते हैं.
पंजाब इस योजना को शुरू करने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश बना रहा है, जहां केंद्र 30 प्रतिशत सब्सिडी देता है. शायद इसी प्रस्ताव के कारण वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने सोमवार को टिप्पणी की थी कि बढ़ती बिजली सब्सिडी पंजाब का अपना मुद्दा है. हालांकि, पड़ोसी पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान, आयोग ने उन्हें अपनी बिजली सब्सिडी कम करने के लिए कहा था. इसके बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने आयकर देने वाले उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सब्सिडी वापस ले ली थी.
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पंजाब सरकार किसानों को 8 घंटे फ्री में बिजली सप्लाई करती है, ताकि किसान अपनी फसलों की समय पर सिंचाई कर सकें. वहीं, पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) का कहना था कि राज्य में 14.5 लाख से अधिक ट्यूबवेल हैं, जिससे धान की सिंचाई की जाती है. इन ट्यूबवेल की बिजली मांग के चलते राज्य में खपत 16,500 मेगावाट को पार करने की संभावना है. ऐसे भी पंजाब में ज्यादातर किसान ट्यूबवेल से ही सिंचाई करते हैं.
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