PMFBY: क‍िसानों के ल‍िए 'सुरक्षा कवच' बनी फसल बीमा योजना, 100 रुपये के प्रीमियम पर म‍िला 502 रुपये का क्लेम

PMFBY: क‍िसानों के ल‍िए 'सुरक्षा कवच' बनी फसल बीमा योजना, 100 रुपये के प्रीमियम पर म‍िला 502 रुपये का क्लेम

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना राज्यों के साथ-साथ क‍िसानों के ल‍िए भी स्वैच्छ‍िक है. हालांक‍ि, ज‍िस तरह से हर साल खेती पर क्लाइमेट चेंज का बुरा असर पड़ रहा है उसे देखते हुए अब अध‍िकांश क‍िसान इससे जुड़ना चाहते हैं. साल 2022-23 के दौरान पीएम फसल बीमा योजना में र‍िकॉर्ड 11.69 करोड़ आवेदन. 

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PMFBY: क‍िसानों के ल‍िए 'सुरक्षा कवच' बनी फसल बीमा योजना, 100 रुपये के प्रीमियम पर म‍िला 502 रुपये का क्लेमफसल बीमा योजना के फायदे क्या हैं?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) क‍िसानों के ल‍िए सुरक्षा कवच साब‍ित हो रही है. प‍िछले 7 साल के दौरान कुल 49.44 करोड़ किसानों ने इस योजना में आवेदन क‍िया है. जबक‍ि 14.06 करोड़ से अधिक किसान आवेदकों को 1,46,664 करोड़ रुपये से अधिक का क्लेम प्राप्त हुआ है. इस अवधि के दौरान किसानों द्वारा अपने हिस्से के प्रीमियम के रूप में लगभग 29,183 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. यानी प्रीम‍ियम का पांच गुना क्लेम म‍िला है. मंत्रालय के अध‍िकार‍ियों का दावा है क‍ि किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम के लिए उन्हें क्लेम के रूप में 502 रुपये प्राप्त हुए हैं. कृष‍ि योजनाओं की एक प्रगत‍ि र‍िपोर्ट में भी इस बात की तस्दीक की गई है. क्लाइमेट चेंज के दौर में खेती पर बढ़ते खतरों के बीच यह योजना क‍िसानों का जोख‍िम कम करने में बड़ी मददगार साब‍ित हो रही है. 

प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और रोगों की वजह से फसल खराब होने की स्थित‍ि में किसानों को आर्थ‍िक मदद देने के मकसद से इस योजना की शुरुआत की गई थी ताक‍ि उनकी आय पर बुरा असर न पड़े. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नें 13 जनवरी 2016 को इसे शुरू क‍िया था. ज‍िसमें बीमा के प्रीम‍ियम का ज्यादातर ह‍िस्सा केंद्र और राज्य सरकारें म‍िलकर देती हैं. क‍िसानों को मामूली रकम ही देनी पड़ती है. महाराष्ट्र में अब क‍िसानों से स‍िर्फ एक रुपये ल‍िए जा रहे हैं. जबक‍ि आंध्र प्रदेश में क‍िसानों का ह‍िस्सा भी राज्य सरकार ही दे रही है. 

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क‍िसानों के खाते में डायरेक्ट भुगतान

केंद्र सरकार ने यह भी बताया है क‍ि फसल खराब होने के बाद क्लेम की गणना और भुगतान में पारदर्शिता लाने के लिए और क्लेम को सीधे किसान के खाते में भुगतान क‍िया जा रहा है. यह पहल खरीफ 2022 मौसम के क्लेम के भुगतान के लिए 23 मार्च, 2023 को शुरू की गई थी. सभी दावों का भुगतान अब बीमा कंपनियों द्वारा डिजीक्लेम के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में किया जा रहा है. क्लेम प्रोसेस में देरी करने पर संबंधि‍त कंपनी पर ऑटोमेट‍िक पेनल्टी लगाने का प्रावधान है. 

योजना में बढ़ी आवेदकों की संख्या

साल 2022-23 के दौरान पीएम फसल बीमा योजना में 11.69 करोड़ क‍िसानों ने आवेदन क‍िया है जो अपने आप में र‍िकॉर्ड है. क्योंक‍ि 2021-22 में आवेदक क‍िसानों की संख्या स‍िर्फ 8.3 करोड़ ही थी. जबक‍ि 2020-21 में 6.23 क‍िसानों ने ही इस योजना में आवेदन क‍िया है. माना जा रहा है क‍ि महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में क‍िसानों के ह‍िस्से का भी प्रीम‍ियम राज्य सरकार की ओर से द‍िए जाने की वजह से आवेदनों में भारी उछाल आया है. आंध्र प्रदेश में 2018-19 के दौरान 24.46 लाख क‍िसान फसल बीमा योजना में शाम‍िल हुए थे, जबक‍ि 2022-23 में इनकी संख्या 175 लाख से अध‍िक हो गई है. 

स्वैच्छ‍िक है बीमा योजना 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना राज्यों के साथ-साथ क‍िसानों के ल‍िए भी स्वैच्छ‍िक है. हालांक‍ि, ज‍िस तरह से हर साल खेती पर क्लाइमेट चेंज का बुरा असर पड़ रहा है उसे देखते हुए अब अध‍िकांश क‍िसान इससे जुड़ना चाहते हैं. हालांक‍ि, इसमें कोई दो राय नहीं है क‍ि इस योजना में अभी बहुत खाम‍ियां हैं ज‍िसकी वजह से बीमा कंपन‍ियां क्लेम देने में आनाकानी करती हैं. फ‍िर भी इसकी वजह से क‍िसानों का जोख‍िम कम हुआ है.

क‍िसान संगठनों की मांग है क‍ि बीमा योजना की जो नीत‍ियां बनें उसमें क‍िसानों के प्रत‍िन‍िध‍ियों को भी शाम‍िल क‍िया जाए, ताक‍ि क‍िसानों की परेशानी को कम क‍िया जा सके. बहरहाल, इस योजना के तहत रबी फसलों के बीमा के ल‍िए क‍िसानों को स‍िर्फ 1.5, खरीफ के ल‍िए 2 और कॅमर्श‍ियल क्रॉप के ल‍िए महज 5 फीसदी प्रीम‍ियम का भुगतान करना होता है.

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