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स‍िर्फ महाराष्ट्र ही नहीं तेलंगाना, गुजरात और कर्नाटक में भी कम हुई प्याज की खेती, जान‍िए क‍ितना घटा उत्पादन

स‍िर्फ महाराष्ट्र ही नहीं तेलंगाना, गुजरात और कर्नाटक में भी कम हुई प्याज की खेती, जान‍िए क‍ितना घटा उत्पादन

प‍िछले दो साल से कम दाम की पीड़ा झेल रहे प्याज उत्पादक क‍िसानों ने ल‍िया बड़ा फैसला, खेती कम करके कर द‍िया आर-पार का एलान. एक्सपोर्ट बैन के बाद लागत से भी कम हो गया दाम. आख‍िर घाटे में कब तक खेती करे क‍िसान. अकेले महाराष्ट्र में साल भर में ही 1,37,000 हेक्टेयर क्षेत्र में कम हुई प्याज की खेती.

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प्याज की खेती क्यों कम कर रहे हैं क‍िसान? प्याज की खेती क्यों कम कर रहे हैं क‍िसान?

Onion Price: प्याज न‍िर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद देश भर में उपभोक्ताओं को मामूली राहत म‍िली है, लेक‍िन इसकी वजह से क‍िसानों का बड़ा नुकसान हो गया है. महाराष्ट्र में प्याज का न्यूनतम दाम कई मंड‍ियों में स‍िर्फ एक रुपये प्रत‍ि क‍िलो रह गया है. प‍िछले दो साल से राज्य में ऐसे ही हालात हैं. स‍िर्फ महाराष्ट्र ही नहीं दूसरे राज्यों में भी प्याज उत्पादक क‍िसान नुकसान झेल रहे हैं. इसल‍िए देश के पांच बड़े प्याज उत्पादक सूबों में क‍िसानों ने इसकी खेती कम कर दी है. इस बार भी कम दाम से परेशान क‍िसान खेती कम कर रहे हैं, ज‍िसका असर उपभोक्ताओं पर अगले साल पड़ेगा. क्योंक‍ि उत्पादन कम होने की वजह से दाम बढ़ जाएगा. क‍िसानों का कहना है क‍ि इसके ल‍िए पूरी तरह से सरकार ज‍िम्मेदार होगी. स‍िर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्क‍ि गुजरात, कर्नाटक, तम‍िलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों में प्याज का रकबा और उत्पादन दोनों घटा है. 

महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत द‍िघोले का कहना है क‍ि चूंक‍ि सरकार हाथ धोकर प्याज क‍िसानों के पीछे पड़ी हुई है इसल‍िए अब हमारे पास प्याज की खेती छोड़ने या कम करने के अलावा सरकार के ठोस व‍िरोध का कोई तरीका नहीं है. इस साल सरकार ने 17 अगस्त को एक अप्रत्याश‍ित फैसला लेते हुए सबसे पहले प्याज के एक्सपोर्ट पर 40 फीसदी ड्यूटी लगाई. उसके बाद 28 अक्टूबर को तय क‍िया क‍ि 800 यूएस डॉलर से कम कीमत पर कोई प्याज का एक्सपोर्ट नहीं कर सकता. यानी इसका म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस फ‍िक्स कर द‍िया. इसकी वजह से एक्सपोर्ट बाध‍ित हुआ और घरेलू बाजार में आवक बढ़ने से दाम घट गए. 

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सरकार के फैसलों से पहुंचा नुकसान

द‍िघोले का कहना है क‍ि अपने फैसलों से क‍िसानों का इतना नुकसान करने के बावजूद सरकार को संतोष नहीं हुआ. तब उसने सात द‍िसंबर की रात में एक्सपोर्ट बैन कर द‍िया. नेफेड और एनसीसीएफ पहले से ही क‍िसानों के ख‍िलाफ काम कर रहे हैं. मार्केट में जब 50 रुपये क‍िलो दाम था तब ये दोनों संस्थाएं 25 रुपये क‍िलो प्याज बेचकर बाजार को ब‍िगाड़ने का काम कर रही थीं. अब भी इन दोनों का यही काम है. प‍िछले दो साल से क‍िसी न क‍िसी वजह से क‍िसानों को प्याज का बहुत कम दाम म‍िल रहा है. ज‍िससे परेशान होकर क‍िसानों ने खेती का दायरा घटाया है. द‍िघोले का कहना है क‍ि अगर महाराष्ट्र के क‍िसानों ने खेती और घटा दी तो अगले साल तक प्याज के आयात की नौबत आ सकती है.

क‍िन राज्यों में क‍ितनी कम हुई खेती 

केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय की एक र‍िपोर्ट के अनुसार देश में 2021-22 के दौरान 19,41,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई थी, जबक‍ि 2022-23 में यह घटकर 17,40,000 हेक्टेयर ही रह गया. यानी 2,01,000 हेक्टेयर एर‍िया घट गया, जो रकबे में 10 फीसदी से अध‍िक कमी को दर्शाता है. अगर उत्पादन की कमी की बात करें तो 2021-22 में 3,16,87,000 मीट्र‍िक टन का उत्पादन हुआ था, जबक‍ि 2022-23 में यह घटकर 3,02,05,000 मीट्र‍िक टन रह गया. यानी साल भर में 14,82,000 मीट्र‍िक टन उत्पादन कम हो गया. जो सरकार द्वारा रखे गए प्याज के बफर स्टॉक से डबल है.  

महाराष्ट्र में क‍ितना घटा एर‍िया

देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है और यहीं पर क‍िसानों ने सबसे अध‍िक एर‍िया में प्याज की खेती कम की है. क्योंक‍ि बार-बार के आंदोलन के बावजूद सरकार उनकी सुध नहीं ले रही. उल्टे जब भी दाम बढ़ता है तो ग‍िराने वाली पॉल‍िसी लागू करके उसे नीचे लाती है, ताक‍ि उपभोक्ता खुश रहें. दूसरी ओर जब स्वाभाव‍िक रूप से दाम ग‍िरता है तब क‍िसानों की मदद के ल‍िए नहीं आती.

बहरहाल, यहां पर 2021-22 में 9,46,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई थी. जो 2022-23 में घटकर 8,09,000 हेक्टयर ही रह गई. यानी एक ही राज्य में 1,37,000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की खेती कम हो गई. अब अगर उत्पादन की बात करें तो यहां 2021-22 में 1,36,69,000 मीट्र‍िक टन प्याज का उत्पादन हुआ था जो 2022-23 में घटकर 1,20,33,000 मीट्र‍िक टन रह गया. इसका मतलब यह है क‍ि यहां 16,36,000 मीट्र‍िक टन उत्पादन एक ही साल में कम हो गया.  

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