देश में सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और खेती-किसानी में किसानों की मदद करने के लिए कई सारी योजनाएं चलाती रहती है. इसी बीच सरकार का मुख्य जोर बजट में घोषणा की गई पीएम धन धान्य योजना (PMDDY) पर है. सरकार इस योजना के तहत देश के 100 जिलों में किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रही है. यह देखा गया है कि आय में वृद्धि के साथ, किसान अपने दम पर या सरकारी योजनाओं के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में कई काम करने में सक्षम हैं. वर्तमान में कृषि मंत्रालय इस योजना के विवरण पर चर्चा कर रहा है, जिसे खरीफ सीजन की बुवाई से पहले लॉन्च किया जा सकता है. बता दें कि आमतौर पर मॉनसून के आगमन के साथ जून में खरीफ सीजन की शुरुआत हो जाती है.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले सप्ताह लोकसभा में कृषि मंत्रालय से संबंधित अलग-अलग सब्सिडी की मांग पर अपने जवाब के दौरान कहा, "हम देखते हैं कि कई राज्य ऐसे हैं जहां फसलों का उत्पादन अधिक है, लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां उत्पादन कम है. एक राज्य के भीतर, हम यह भी देखते हैं कि कुछ जिलों में अन्य की तुलना में उत्पादकता कम है." इन जगहों पर पीएम धन धान्य कृषि योजना के तहत, 100 आकांक्षी जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे 1.6 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे, जहां सरकार उत्पादकता, लोन की पहुंच, सिंचाई और कटाई के बाद के प्रबंधन में सुधार करने की योजना बना रही है.
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सूत्रों ने कहा कि उन जिलों में सिंचाई बढ़ाना तभी संभव होगा जब किसानों को जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए PMDDY के तहत कई योजनाओं को मिला दिया जाए. उदाहरण के लिए, बोरवेल, सोलर पंप, माइक्रो-इरिगेशन और बिजली कनेक्शन जैसी सेवाओं को एकीकृत करने की जरूरत है, ताकि किसानों को सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए स्थानीय स्तर पर एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में न भागना पड़े.
हालांकि, जब किसानों की आय बढ़ती है, तो वे अपने दम पर निवेश करने में सक्षम हो जाते हैं. सूत्रों ने बताया कि यही कारण है कि पीएमडीडीवाई में किसानों को अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद करने के लिए प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं. इस बीच, सरकार ने 21 मार्च को राज्यसभा में कहा कि अशोक दलवई की अध्यक्षता वाली किसानों की आय दोगुनी करने (डीएफआई) संबंधी समिति ने कृषि को मूल्य-आधारित उद्यम के रूप में मान्यता दी है और विकास के सात प्रमुख स्रोतों की पहचान की है. इसमें फसल और पशुधन उत्पादकता में सुधार, संसाधन उपयोग या उत्पादन की लागत में बचत, फसल में वृद्धि, उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर विविधीकरण, किसानों को मिलने वाले वास्तविक मूल्यों में सुधार और कृषि से गैर-कृषि व्यवसायों की ओर बदलाव शामिल हैं.
इसमें आगे कहा गया है कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा जनवरी 2019 और दिसंबर 2019 के बीच किसान परिवारों के स्थिति आकलन सर्वेक्षण (एसएएस) का हवाला देते हुए, प्रति किसान परिवार की अनुमानित औसत मासिक आय 2012-13 में 6,426 रुपये से बढ़कर 2018-19 में 10,218 रुपये हो गई है. वहीं, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने 75,000 किसानों की सफलता की कहानियों का संकलन भी जारी किया है, जिन्होंने अपनी आय को दोगुने से अधिक बढ़ाया है.
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