आप अगर देश की राजधानी दिल्ली में हैं तो आपको एक किलो टमाटर के लिए 30 से 40 रुपये तक देने पड़ सकते हैं. लेकिन दिल्ली से कुछ सौ किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश में ठीक विपरीत हालात हैं. यहां के किसान टमाटर के दाम कम मिलने से आजिज आ गए हैं. यह रेट एक रुपये तक पहुंच गया है. ऐसे में किसानों को अपने टमाटर फेंकने में ज्यादा सही लग रहे हैं क्योंकि बेचने पर उससे भी अधिक खर्च आ जाएगा. ऐसे हालात मध्य प्रदेश के बैतूल में बने हैं.
दरअसल, बैतूल में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक किसान एक ट्रक भरकर टमाटर जंगल में फेंक रहा है. यह वीडियो शनिवार का है जब मंडी में टमाटर नहीं बिका तो किसान ने टमाटर जंगल में फेंक दिया. टमाटर की ज्यादा आवक होने के कारण मंडी में एक रुपये किलो बिक रहा है. हालत यह है कि कई किसानों का टमाटर खरीदा ही नहीं जा रहा. सोशल मीडिया पर यह घटना सामने आ गई तो लोगों के संज्ञान में आया. वर्ना देश के कई इलाकों में दाम नहीं मिलने से किसान परेशान देखे जाते हैं.
बैतूल के जिस किसान का वीडियो वायरल हो रहा है उसका नाम प्रवीण धोटे है. धोटे बैतूल के भैंसदेही तहसील के नवापुर गांव में रहते हैं. प्रवीण ने इस साल चार से पांच एकड़ में टमाटर की फसल लगाई थी. टमाटर की बंपर आवक के चलते उनके टमाटर बिक नहीं पा रहे हैं. प्रवीण धोटे शनिवार को आयसर ट्रक में टमाटर भरकर बैतूल मंडी बेचने गए थे. लेकिन मामला वहां उलटा पड़ गया. कीमत ऐसी लगी कि धोटे के पैरों तले जमीन खिसक गई.
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बैतूल मंडी में प्रवीण धोटे को टमाटर खरीदने वाला कोई नहीं मिला. उनसे बोला गया कि टमाटर मंडी के बाहर ले जाओ. फिर उन्होंने सोचा कि फेंकने से अच्छा है कि टमाटर जानवर के खाने के काम आएंगे. ऐसे में उन्होंने हनुमान ढोल जाकर सड़क किनारे टमाटर जंगल में फेंक दिए. यहां पर बंदरों की संख्या ज्यादा रहती है, तो ये टमाटर बंदरों के भोजन बन गए. बड़े-बड़े शहरों में रहने वाला और कई रुपये किलो टमाटर खरीदने वाला व्यक्ति इस स्थिति की नजाकत को भलीभांति समझ सकता है.
कभी 100 रुपये किलो तक बिकने वाले टमाटर की हालत यह है कि बैतूल मंडी में एक रुपये किलो भी दाम नहीं मिल रहे हैं. यही वजह है कि किसान खेतों में ही टमाटर की खड़ी फसल को नष्ट कर रहे हैं. उनका टमाटर तुड़वाने का भी खर्च नहीं निकल पा रहा है. प्रवीण धोटे ने भी अपने खेत में रोटावेटर चलाकर मटर की फसल नष्ट कर दी है. प्रवीण की मानें तो उन्हें चार से पांच लाख रुपये का नुकसान हुआ है.
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सरकार के दावे बड़े-बड़े हैं, लेकिन बैतूल की स्थिति इससे विपरीत दिखती है. सब्जियों के स्टोरेज की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण किसानों को अपनी उपज खेत से निकालकर सब्जी बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता. किसान अपनी सब्जियों को ज्यादा समय तक नहीं रख पाते हैं, यही कारण है कि टमाटर की बंपर आवक किसानों के लिए मुसीबत बन गई है. मंडियों में 20 से 50 रुपये कैरेट तक टमाटर बिक रहा है. हालत है कि कई मंडियों में तो एजेंट टमाटर खरीदने को भी तैयार नहीं है.
बैतूल के किसान प्रवीण धोटे ने कहा, टमाटर लेकर मंडी गए थे तो टमाटर बिका नहीं. वहां पर बोला गया कि आप टमाटर मंडी से बाहर ले जाइए. फिर सोचा कि जंगल में फेंक दिया जाए जिससे बंदर या अन्य जानवर उसे खा लेंगे. बाकी खेत में लगे टमाटर को नष्ट कर दिया है. इससे हमें चार से पांच लाख का नुकसान हुआ है. दूसरी ओर, बैतूल मंडी के एजेंट अकरम खान कहते हैं कि मंडियों में टमाटर की मांग खत्म हो गई है और 20 रुपये कैरेट टमाटर बिक रहा है. इससे किसान को टमाटर की तुड़ाई का खर्च भी नहीं निकल रहा है. किसान बहुत परेशान है, उसका खर्च भी नहीं निकल पा रहा है.(राजेश भाटिया की रिपोर्ट)
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