सहकारी संस्थानों की बढ़ेगी जवाबदेही! सोसायटी एक्ट 2022 संसद की संयुक्त सम‍िति‍ को भेजा गया

सहकारी संस्थानों की बढ़ेगी जवाबदेही! सोसायटी एक्ट 2022 संसद की संयुक्त सम‍िति‍ को भेजा गया

20 दिसंबर 2022 को लोकसभा में बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक 2022 को संसद की संयुक्त समिति को विचार के लिए भेज दिया गया. इस विधेयक का मकसद सहकारी क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाने और इसकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार करना है

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सहकारी संस्थानों की बढ़ेगी जवाबदेही! सोसायटी एक्ट 2022 संसद की संयुक्त सम‍िति‍ को भेजा गया  संसद की संयुक्त समिति को विचार के लिए भेजा गया बहु-राज्य सहकारी संशोधन विधेयक, फोटो साभार: twitter

केंद्र सरकार बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) एक्ट 2022 लाने जा रही है. ये एक्ट देश के सहकारी संस्थानों की जवाबदेही बढ़ाएगा. इस एक्ट ने मंगलवार को लोकसभा में एक फासला तय क‍िया है. ज‍िसके तहत एक्ट को संसद की संयुक्त समिति को विचार के लिए भेज दिया गया. इस विधेयक का मकसद सहकारी क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाने और इसकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार करना है. कई विपक्षी दलों की मांग के बाद सरकार ने इस विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजने पर सहमति जताई. गृह मंत्री अमित शाह ने निचले सदन में इस विधेयक को संयुक्त समिति के विचार के लिए भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने मंजूरी दी.

लोकसभा में 7 द‍िसंबर को हुआ था पेश 

लोकसभा में सात दिसंबर को यह उक्त विधेयक केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा ने पेश किया था. जिसका कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित ज्यादातर विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक को पेश करने का विरोध करते हुए उसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की थी. वहीं विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि यह विधेयक संविधान के संघीय सिद्धांत के खिलाफ है और केंद्र का प्रयास है कि राज्यों के अधिकारों को अपने हाथ में ले ले.
विपक्षी सदस्यों की आरोपों को खारिज करते हुए बी एल वर्मा ने कहा था कि यह विधेयक सदन की विधायी क्षमता के दायरे में है और किसी भी प्रकार से राज्यों के अधिकारों पर हमला नहीं करता है. उन्होंने यह भी कहा था कि राज्यों के अधिकार पर कोई हमला नहीं हो रहा है और राज्य सोसायटी को बहु-राज्य सोसायटी में शामिल करने का प्रावधान पहले से ही है.
 

देश भर में कितनी बहु-राज्य सहकारी समितियां है

वर्तमान समय में देश भर में 1500 से अधिक बहु-राज्य सहकारी समितियां हैं. ये समितियां खुद की सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांतों के आधार पर अपने सदस्यों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी को बढ़ावा देती है. स्थापित सहकारी समितियों के कामकाज को लोकतांत्रिक बनाने के मकसद से बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम 2002 को लाया गया था.
 

इस समिति में कौन-कौन है शामिल

इस संयुक्त समिति में भारतीय जनता पार्टी के चंद्रप्रकाश जोशी, जगदंबिका पाल, परबत भाई पटेल, पूनमबेन मादाम, रामदास तड़स, निशिकांत दुबे, सुनीता दुग्गल, अण्णासाहेब जोल्ले, जसकौर मीणा, बृजेंद्र सिंह, रामकृपाल यादव और ढाल सिंह बिसेन. वहीं कांग्रेस पार्टी की तरफ से मनीष तिवारी और कोडिकुनिल सुरेश, द्रमुक की कनिमोई, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लव श्रीकृष्णा, शिवसेना के हेमंत पाटिल, जनता दल (यूनाइटेड) के दुलाल चंद्र गोस्वामी, बीजू जनता दल के चंद्रशेखर साहू और बहुजन समाज पार्टी के गिरीश चंद्र को शामिल किया गया है. इस समिति में 10 सदस्य राज्य सभा के होंगे.

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