
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर अन्न भाग्य स्कीम के लिए मुश्किलें खड़ी करने का आरोप लगाया है. एक ट्विट करके उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य को ओपन मार्केट सेल स्कीम-डोमेस्टिक (ओएमएसएस-डी) के तहत चावल देना बंद कर दिया है. जिससे इस योजना को लागू करने में दिक्कत आ रही है. कांग्रेस ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की जनता से जो पांच वादे किए थे उनमें अन्न भाग्य योजना भी शामिल थी. जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे वाले हर परिवार को हर महीने प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम चावल दिया जाना था. इसके लिए राज्य सरकार को चावल की जरूरत है. लेकिन ओएमएसएस के तहत रियायती दर पर चावल देने की योजना को केंद्र सरकार ने बंद कर दिया.
सिद्धारमैया ने कहा, "भारत सरकार ने खुले बाजार में बिक्री योजना यानी ओएमएसएस के तहत राज्य को चावल की बिक्री रोकने के लिए एफसीआई को पत्र लिखा है. केंद्र सरकार कर्नाटक के गरीब लोगों को 10 किलो मुफ्त चावल देने के खिलाफ है. सीएम ने पूछा कि केंद्र गरीब लोगों से भोजन क्यों छीनना चाहता है? बीजेपी हमेशा कर्नाटक विरोधी रही है और हम 2014 से यह कह रहे हैं. कर्नाटक के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सौतेले व्यवहार ने 2014 से कन्नड लोगों को बड़ी परेशानी में डाल दिया है. भाजपा नेताओं ने विधानसभा चुनावों के दौरान कन्नड लोगों को खुले तौर पर यह कहकर धमकी दी थी कि अगर भाजपा सत्ता में नहीं आई तो योजनाओं को बंद कर दिया जाएगा. क्या एफसीआई का यह पत्र उसी का परिणाम है."
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राज्य सरकार ने भारतीय खाद्य निगम के उप महाप्रबंधक को लिखा था कि राज्य को 9 जून, 2023 को 2.28 लाख मीट्रिक टन चावल की आवश्यकता है. भारतीय खाद्य निगम ने राज्य के अनुरोध को स्वीकार कर दिनांक 12 जून, 2023 के पत्र द्वारा 3400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चावल उपलब्ध कराने पर सहमति व्यक्त की. लेकिन, केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 13 जून 2023 को भारतीय खाद्य निगम को पत्र लिखकर ओपन मार्केट सेल स्कीम-डोमेस्टिक के तहत खुले बाजार में गेहूं और चावल की बिक्री बंद करने का निर्देश दे दिया. अब सिर्फ कुछ ही राज्यों को इसका लाभ मिलेगा.
कमोडिटी एक्सपर्ट का इंद्रजीत पॉल का कहना है कि ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत कर्नाटक को अप्रैल में 56,750 टन वचावल दिया गया. मई में वहां पर 68,471 टन चावल दिया गया. जबकि मई में ही पूरे देश में कुल 70,577 टन चावल दिया गया था. यानी ओएमएसएस के तहत सबसे ज्यादा चावल कर्नाटक को जा रहा था. ऐसे में जून में अचानक इस पर रोक लगा देने से मुद्दा सियासी हो गया. क्योंकि वहां पर कांग्रेस ने बीजेपी से सत्ता छीनी है.
चूंकि वहां कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वक्त कर्नाटक के गरीब लोगों को अन्न भाग्य स्कीम के तहत 10-10 किलो चावल फ्री में देने का वादा किया था, इसलिए उसे बांटने के लिए अब चावल चाहिए. दूसरी ओर, केंद्र सरकार के सामने चावल के स्टॉक को बचाए रखने की बड़ी चुनौती आ गई है. स्टॉक पहले से काफी कम है. हालांकि, केंद्र के पास अभी चावल बफर स्टॉक के नॉर्म्स से ज्यादा है. लेकिन अलनीनो के संकट को देखते हुए चावल का अच्छा खासा स्टॉक जरूरी है. केंद्र फिलहाल, उन राज्यों को चावल दे रहा है जिसके लिए यह बहुत जरूरी है.
केंद्र सरकार ने ओएमएसएस के तहत भले ही राज्य सरकारों के लिए गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी है. लेकिन, कुछ राज्यों को रियायती दर पर चावल पाने का फायदा मिलता रहेगा. ओएमएसएस के तहत चावल की बिक्री पूर्वोत्तर राज्यों, पहाड़ी राज्यों और प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे राज्यों के लिए 3400 रुपये प्रति क्विंटल की मौजूदा दर पर जारी रहेगी.
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