Kurukshetra Kisan Andolan: कुरुक्षेत्र क‍िसान आंदोलन की शुरुआत और अंत की ये है पूरी कहानी

Kurukshetra Kisan Andolan: कुरुक्षेत्र क‍िसान आंदोलन की शुरुआत और अंत की ये है पूरी कहानी

हर‍ियाणा सरकार सूरजमुखी की खरीद एमएसपी पर नहीं करेगी लेकिन भावांतर भरपाई योजना के तहत क‍िसानों को एमएसपी ज‍ितना पैसा देगी. वो रज‍िस्टर्ड क‍िसानों को 1000 रुपये की अंतर‍िम सहायता दे रही है. जान‍िए इस आंदोलन में कब-कब क्या-क्या हुआ? 

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Kurukshetra Kisan Andolan: कुरुक्षेत्र क‍िसान आंदोलन की शुरुआत और अंत की ये है पूरी कहानीकुरुक्षेत्र क‍िसान आंदोलन में कब-कब क्या-क्या हुआ (Photo-Kisan Tak).

सूरजमुखी की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद को लेकर हर‍ियाणा में सरकार और क‍िसानों के बीच शुरू हुआ व‍िवाद दो सप्ताह बाद खत्म हो गया. राज्य सरकार सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना के तहत खरीदने पर अड़ी हुई थी तो क‍िसानों ने यह एलान क‍िया हुआ था क‍ि वो इसे एमएसपी पर ही बेचेंगे. अब ज‍िस समझौते के तहत मामले का पटाक्षेप हुआ है उसमें दोनों पक्ष खुद को जीता हुआ महसूस कर रहे हैं. दोनों ने इसे मूंछ का सवाल बनाया हुआ था. लेक‍िन समझौते तो अक्सर मध्य मार्ग अपनाकर ही होते हैं. इस आंदोलन की शुरुआत करने वाले भारतीय क‍िसान यून‍ियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम स‍िंह चढूनी बृहस्पत‍िवार को जेल से र‍िहा कर द‍िए जाएंगे और क‍िसानों को पूरा दाम म‍िलेगा. देखना यह है क‍ि जेल से र‍िहा होने के बाद एमएसपी पर उनका रुख क्या होगा?

दरअसल, समझौते के तहत राज्य सरकार एमएसपी ज‍ितनी रकम क‍िसानों को देने के ल‍िए राजी है. लेक‍िन खरीद एमएसपी पर न करके भावांतर भरपाई योजना के तहत ही करेगी. भावांतर के तहत क‍िसानों को पहले एमएसपी के मुकाबले प्रत‍ि क्व‍िंटल 1000 से 1200 रुपये तक का नुकसान हो रहा था. क्योंक‍ि सरकार तब स‍िर्फ 1000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल की भावांतर रकम देने को राजी थी. लेक‍िन, अब उसने कहा है क‍ि यह अंतर‍िम रकम है. एमएसपी से कम दाम म‍िलने पर और भरपाई की जाएगी. सरकार ने सभी नौ क‍िसान नेताओं को र‍िहा करने की भी बात मानी है. आईए पूरे आंदोलन की बड़ी बातों पर नजर डालते हैं. 

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कुरुक्षेत्र क‍िसान आंदोलन में कब क्या हुआ? 

  • हर‍ियाणा सरकार ने 30 मई को सूरजमुखी को भी बाजरा की तरह भावांतर भरपाई योजना में शाम‍िल कर द‍िया. 
  • भारतीय क‍िसान यून‍ियन (चढूनी) ने 31 मई को कृष‍ि व‍िभाग को पत्र भेजकर इस आदेश को वापस लेने की मांग की. 
  • क‍िसानों ने 5 जून को आंदोलन की चेतावनी दी, लेक‍िन सरकार ने मामले को न‍िपटाने के ल‍िए कोई पहल नहीं की. 
  • कुरुक्षेत्र और अंबाला के क‍िसानों ने 6 जून को शाहाबाद में जीटी रोड (एनएच-44) को जाम कर द‍िया. 
  • हर‍ियाणा पुल‍िस ने लाठीचार्ज करके क‍िसानों को हाइवे से खदेड़ा और चढूनी सह‍ित नौ नेताओं को जेल भेज द‍िया. 
  • इसके व‍िरोध में 7 जून को क‍िसान शाहाबाद मंडी के पास एक ल‍िंक रोड को जाम करके धरने पर बैठ गए. 
  • इस धरने को संबोध‍ित करने क‍िसान नेता राकेश ट‍िकैत पहुंचे और लड़ाई में पूरा सहयोग देने का एलान क‍िया. 
  • इसी द‍िन यानी 7 जून को यह एलान हुआ क‍ि 12 जून को पीपली अनाज मंडी में सरकार के ख‍िलाफ रैली होगी. 
  • फ‍िर 12 जून को रैली हुई और सरकार को समस्या सुलझाने के ल‍िए 12 बजे तक का वक्त द‍िया गया. 
  • सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो रैली से ही दोबारा जीटी रोड जाम करने का एलान कर द‍िया गया.
  • दोपहर 2:30 बजे कुरुक्षेत्र में जीटी रोड पर क‍िसानों ने कब्जा जमा ल‍िया. ट्रैक्टर-ट्रॉल‍ियों से सर्व‍िस लेन भी बंद की गई. 
  • इस बीच ज‍िला उपायुक्त, एसपी और क‍िसान प्रत‍िन‍िध‍ियों के बीच बातचीत शुरू हुई, लेक‍िन बेनतीजा रही. 
  • बातचीत नहीं बनी तो क‍िसानों ने सरकार को आंदोलन बड़ा करने की चेतावनी देकर हाइवे पर ही रात गुजारी. 
  • फ‍िर 13 तारीख की सुबह यह एलान क‍िया गया क‍ि अब पूरा आंदोलन संयुक्त क‍िसान मोर्चा के हाथ में चला जाएगा. 
  • दोपहर में क‍िसानों ने हाइवे पर ही तंबू लगा द‍िए और क‍िसानों को लंगर प्रसाद ख‍िलाने वाले गुरुद्वारों की संख्या बढ़ गई. 
  • शाम को स्थानीय क‍िसान नेताओं और संयुक्त क‍िसान मोर्चा के नेताओं की कमेटी बनी. इसने फ‍िर बातचीत शुरू की. 
  • कमेटी ने 14 तारीख से रेल रोको, टोल रोको कार्यक्रम का एलान क‍िया. सभी ज‍िलों में क‍िसानों को अलर्ट रहने को कहा. 
  • जरूरत पड़ने पर पहले की तरह फ‍िर से द‍िल्ली बॉर्डर पर आंदोलन करने की भी चेतावनी दी गई. 
  • मामले को गंभीरता को देखते हुए 13 जून की रात करीब 9 बजे दोनों पक्षों में समझौता हो गया और जीटी रोड खुल गया. 

आंदोलन से नया क्या हुआ? 

सूरजमुखी को एमएसपी की बजाय भावांतर भरपाई योजना के तहत बेचने के ल‍िए क‍िसान भले ही राजी हो गए हैं लेक‍िन उन्होंने एमएसपी की लड़ाई नहीं छोड़ी है. आने वाले द‍िनों में एमएसपी पर क‍िसान आंदोलन करेंगे. क‍िसानों को पहले भावांतर से घाटा हो रहा था लेक‍िन आंदोलन के बाद एमएसपी ज‍ितना पैसा म‍िलेगा.  गुरनाम स‍िंह चढूनी और राकेश ट‍िकैत के बीच मतभेद की खबरें आती रहती हैं. लेक‍िन, चढूनी की र‍िहाई के ल‍िए राकेश ट‍िकैत कुरुक्षेत्र में तीन द‍िन तक डंटे रहे. संयुक्त क‍िसान मोर्चा से गुरुनाम स‍िंह चढूनी का संगठन भारतीय क‍िसान यून‍ियन (चढूनी) बाहर था. लेक‍िन इस आंदोलन के दौरान उसकी भी इस मोर्चे में एंट्री हो गई. 

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