श्री अन्न यानी कि मोटे अनाज (millets) से बने खाने के सामान (खासकर हेल्थ मिक्स) सस्ते हो सकते हैं. सरकार माल एवं सेवाकर (GST) में इस बाबत बदलाव कर सकती है. अभी मिलेट से बने हेल्थ मिक्स पर 18 परसेंट जीएसटी लगता है जिसे घटाकर पांच परसेंट या जीरो परसेंट तक किया जा सकता है. एक बिजनेस अखबार में इस बात की जानकारी दी गई है. अगर जीएसटी घटता है तो इससे मोटे अनाज उगाने वाले किसानों के साथ-साथ व्यापारी वर्ग और बड़ी कंपनियों को फायदा होगा. जीएसटी कम होने से मिलेट से बने सामान सस्ते होंगे जिससे आम लोगों में भी उसकी मांग बढ़ने में मदद मिलेगी. मांग बढ़ने से किसान अधिक से अधिक मोटे अनाजों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होंगे.
जीएसटी घटने से व्यापारियों और कंपनियों को ये फायदा होगा कि उत्पाद सस्ता होने से बिक्री बढ़ेगी. इससे कंपनियां अधिक से अधिक उत्पाद बनाएंगी. इससे व्यापार और रोजगार दोनों बढ़ने की संभावना रहेगी.
जीएसटी के रेट में बदलाव को लेकर जीएसटी काउंसिल की एक बैठक होने वाली है. यह बैठक शनिवार को प्रस्तावित है. इस बैठक में कुछ वस्तुओं पर टैक्स रेट में बदलाव का फैसला हो सकता है. इसमें मिलेट वाले हेल्थ मिक्स भी हैं. मिलेट को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है जिसके बाद कंपनियां कई तरह के मिलेट हेल्थ मिक्स लेकर आ रही हैं. इसे बनाने में कई मल्टीनेशनल कंपनियां लगी हैं. लेकिन इस प्रोडक्ट के दाम अधिक हैं. ऐसे में सरकार हेल्थ मिक्स पर जीएसटी घटाकर इसकी बिक्री बढ़ाने पर फोकस कर सकती है.
ये भी पढ़ें: प्रोटीन से भरपूर है नई काशी अन्नपूर्णा सेम, इसकी जड़ और पत्तियां भी खाई जा सकती हैं
'बिजनेस स्टैंडर्ड' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स अधिकारियों की एक कमेटी ने इस तरह के खाद्य सामानों पर टैक्स रेट में समीक्षा की सिफारिश की है. इसी में जीएसटी का फिटमेंट पैनल भी होता है जो टैक्स रेट पर अपनी बात रखता है. इस पैनल में केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स ऑफिसर शामिल होते हैं. फिटमेंट पैनल ने मिलेट आधारित हेल्थ प्रोडक्ट पर टैक्स रेट को घटाने की सिफारिश की है.
फिटमेंट पैनल का विचार है कि मिलेट से बने हेल्थ मिक्स पर मौजूदा 18 परसेंट जीएसटी को घटाकर पांच परसेंट या जीरो परसेंट कर दिया जाए. हेल्थ मिक्स पर कितना टैक्स हो, यह मिलेट से बने प्रोडक्ट की पैकेजिंग पर निर्भर करेगा. अगर पैकेजिंग अधिक खर्च वाली हो तो उस पर पांच परसेंट जीएसटी लग सकता है, जबकि सामान्य पैकेजिंग के लिए जीरो परसेंट जीएसटी की सिफारिश की गई है.
ये भी पढ़ें: हाजीपुर में केले के पौधे से आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं, रेशे से मिल रहा रोजगार
फिटमेंट पैनल की सिफारिश है, मिलेट से कोई भी खाद्य सामान जिसमें मोटे अनाज की मात्रा अगर 70 परसेंट तक हो, तो उसे खुले में बेचने पर जीरो परसेंट जीएसटी यानी कि कोई जीएसटी नहीं लगेगा. अगर मिलेट का वही खाद्य सामान पैकेजिंग करने के बाद या लेबलिंग के बाद बेचा जाता है तो उस पर पांच परसेंट जीएसटी लग सकता है.
जीएसटी कम करने या घटाने पर विचार इसलिए किया जा रहा है ताकि लोगों के बीच मोटे अनाजों की खपत को बढ़ाई जाए. इससे उन किसानों को फायदा होगा जो मिलेट की खेती करते हैं. सामान सस्ता बिकने से उनके उत्पाद की मांग बढ़ेगी. फिटमेंट पैनल ने कहा है कि मिलेट के ऐसे सामानों को सही ढंग से क्लासिफिकेशन होना चाहिए. इससे बिक्री और जीएसटी के नियमों को अपनाने में आसानी होगी.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today