कृषि और मौसम एक दूसरे के पूरक होते हैं. बेहतर कृषि कार्य करने के लिए मौसम का उसके अनुकूल होना बेहद जरूरी है. इसे देखते हुए भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र रांची द्वारा राज्य के किसानों के लिए हर सप्ताह एडवाइजरी जारी की जाती है. यह एडवाइजरी झारखंड में हो रहे मौसम के बदलावों को लेकर जारी की जाती है. ताकि किसान उसके अनुरुप खेतों में अपने फसलों कि देखभाल कर सकें. इससे किसानों को फायदा होता है. इससे किसानों को पहले ही पता चल जाता है कि आगे क्या करना है, ताकि पौधौं को नुकसान से बचा सके और अच्छा उत्पादन हासिल कर सकें.
झारखंड में मौसम पूर्वानुमान के आधार पर मौसम विज्ञान द्वारा सामान्य सलाह किसानों के लिए जारी की गई. इसमें फसलवार और पशुपालन के लिए अलग से एडवाइजरी जारी की गई है. इसके मुताबिक इस समय किसानों के खेतों में सरसों की फसल तैयार हो गई है. ऐसे में किसान सरसों फसल में लाही कीट को नियंत्रित करने के लिए नाइट्रोजन का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, किसानों को इसके अधिक इस्तेमाल से बचने की सलाह दी गई है.
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एडवाइजरी के मुताबिक सरसों की अच्छी उपज हासिल करने के लिए पौधों में फली तैयार होते समय 10 दिनों के अंतराल पर यूरिया के घोल का इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही इस दौरान खेत में नमी बरकरार रखने की भी जरूरत है. इससे दाना बनने में मदद मिलेगी.किसानों ने अगर आलू की खेती की थी और आलू तैयार हो गया है तो बाजार में आलू के अच्छे दाम हासिल करने के लिए आलू की ग्रेडिंग जरूर करें.
जिन किसानों ने गेंहू की खेती की है, उनके लिए सलाह जारी की गई है कि गेहूं की फसल में गेंहू का मामा नाम का खरपतवार लगता है, जिसे फेलरिस माइनर कहा जाता है. यह खरपतवार लूज स्मट रोग से ग्रसित बालियां अगर दिखाई दे तो उन्हें सावधानीपूर्वक तोड़कर अलग कर दें. या एक जगह जमा करके जला कर नष्ट कर दें. लूज स्मट से ग्रसित बालियां काले चूर्ण का रुप ले लेती है. उसमें दाने नहीं बनते हैं. किसान भाई इसे अपने खेत से तोड़ते हुए यह ध्यान रखें कि गेहूं की बालियां खेत में ना गिरें.
इस साल झारखंड की बात करें तो यहां पर कम बारिश के कारण गेंहू की खेती का रकबा कम हुआ है. सिंचाई सुविधा के अभाव में कम किसानों ने ही गेंहू की खेती की है. ऐसे में जिन किसानों ने भी इसकी खेती की है, वह किसान फल तैयार होने तक खेत में नमी बनाए रखें. इसके लिए निराई-गुड़ाई करते रहें. जिन किसानों ने देर से गेंहू की बुवाई की है वो यूरिया का छिड़काव करें, साथ ही यूरिया के छिड़काव से पहले खर-पतवार का नियंत्रण अवश्य करें. खर पतवार प्रबंधन के लिए किसान भाई मेटसेल्फ्युरोन मिथाइल 16 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ जमीन पर छिड़काव करें.
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