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अब 'असली बासमती' ही बिकेगा, FSSAI ने तय किए नए नियम, अगस्त से होंगे लागू

अब 'असली बासमती' ही बिकेगा, FSSAI ने तय किए नए नियम, अगस्त से होंगे लागू

एफएसएसएआई के बताए स्टैंडर्ड के मुताबिक, फूड कंपनियों को बासमती चावल में नमी की मात्रा, एमाइलोज की मात्रा, यूरिक एसिड, चावल के दानों में टूटे या डैमेज टुकड़े की मात्रा और अन्य बासमती चावल के टुकड़ों की मात्रा की पूरी जानकारी देनी होगी. इसका स्तर भी निर्धारित रखना होगा.

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बासमती चावल के लिए FSSAI ने तय किए रेगुलेटरी स्टैंडर्ड (सांकेतिक फोटो-Unsplash) बासमती चावल के लिए FSSAI ने तय किए रेगुलेटरी स्टैंडर्ड (सांकेतिक फोटो-Unsplash)

भारत में पहली बार बासमती चावल को लेकर खास नियम निर्धारित किया जा रहा है. पहली बार बासमती के लिए रेगुलेटरी स्टैंडर्ड तय किए जा रहे हैं जिसका पालन एक अगस्त, 2023 से जरूरी होगा. बासमती चावल की क्वालिटी और स्टैंडर्ड का अनिवार्य नियम एक अगस्त से लागू हो जाएगा. बासमती के लिए FSSAI यानी कि भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण एक खास स्टैंडर्ड तय करने जा रहा है जिसका पालन चावल कंपनियों को करना होगा. बासमती (Basmati Rice) में अब प्राकृतिक सुगंध होना चाहिए, चावल पर कोई कृत्रिम रंग नहीं चढ़ा होना चाहिए, किसी तरह का पॉलिश नहीं होना चाहिए और कृत्रिम सुगंध भी नहीं मिलाई जानी चाहिए.

एफएसएसएआई (FSSAI) ने स्टैंडर्ड इसलिए बनाया है ताकि बासमती चावल की ट्रेडिंग में गड़बड़ न हो. बासमती चावल के नाम पर खरीदारों के साथ धोखा न हो और उन्हें नकली बासमती न मिले. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बासमती की क्वालिटी बनाए रखने के लिए नए नियम लाए जा रहे हैं.

भारत सरकार के गजट में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (फूड प्रोडक्ट्स स्टैंडर्ड्स एंड फूड एडिटिव) फर्स्ट अमेंटमेंट रेगुलेशंस, 2023 को नोटिफाई किया गया है. इसमें बासमती चावल (Basmati rice) के स्टैंडर्ड के बारे में जानकारी दी गई है. बासमती चावल की पहचान कैसे हो, सुगंध और रंग कैसा होना चाहिए, इसके बारे में बताया गया है. नए नियम के दायरे में ब्राउन बासमती, मिल्ड बासमती, पारबॉइल्ड ब्राउन बासमती और मिल्ड पारबॉइल्ड बासमती चावल को शामिल किया गया है.

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इसकी क्वालिटी के बारे में कहा गया है कि बासमती में प्राकृतिक सुगंध होनी चाहिए जो कि उसकी सबसे महत्वपूर्ण पहचान है. बासमती में किसी तरह की पॉलिशिंग, कृत्रिम रंग या कृत्रिम सुगंध नहीं मिलाया जाना चाहिए. चावल कंपनियों को बासमती चावल (Bamati Rice) का साइज भी निर्धारित रखना होगा जो पकने से पहले और पकने के बाद के लिए फिक्स होगा. एफएसएसएआई के बताए स्टैंडर्ड के मुताबिक, फूड कंपनियों को बासमती चावल में नमी की मात्रा, एमाइलोज की मात्रा, यूरिक एसिड, चावल के दानों में टूटे या डैमेज टुकड़े की मात्रा और अन्य बासमती चावल के टुकड़ों की मात्रा की पूरी जानकारी देनी होगी. इसका स्तर भी निर्धारित रखना होगा.

एफएसएसएआई के बताए स्टैंडर्ड एक अगस्त 2023 से लागू हो रहे हैं. बासमती चावल को प्रीमियम वेरायटी माना जाता है जिसकी खेती हिमायल के मैदानी इलाकों में की जाती है. दुनियाभर में बासमती की पहचान उसके लंबे दाने, बनने के बाद दानों में फुलाव, प्राकृतिक खुशबू और स्वाद से किया जाता है. कोई बासमती चावल (Basmati Rice) कितना खास हो सकता है, यह उसके पैदा होने वाले इलाके की जलवायु, धान कटाई के तरीके, प्रोसेसिंग और उसे कितने दिनों तक स्टोर किया जाता है, इन बातों पर निर्भर करता है.

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बासमती की क्वालिटी को देखते हुए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी बहुत मांग है. दुनियाभर में बासमती की कुल सप्लाई में भारत की हिस्सेदारी दो तिहाई है. यह प्रीमियम चावल होता है, इसलिए गैर-बासमती चावल से हमेशा इसके रेट अधिक होते हैं. यही वजह है कि इसमें मिलावट की गुंजाइश सबसे अधिक रहती है. इस मिलावट को रोकने और ग्राहकों के हित की रक्षा के लिए एफएसएसएआई (FSSAI) ने नए स्टैंडर्ड निर्धारित किए हैं.(मिलन शर्मा की रिपोर्ट)