कच्चे खाद्य तेलों पर एक समान आयात शुल्क लगाने की मांग, SEA ने सरकार को भेजी चिट्ठी

कच्चे खाद्य तेलों पर एक समान आयात शुल्क लगाने की मांग, SEA ने सरकार को भेजी चिट्ठी

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ऑफ इंडिया ने सरकार से सभी कच्चे खाद्य तेलों (edible oil) पर एक समान आयात शुल्क लगाने का आग्रह किया है. साथ ही तिलहन फसलों की खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. इससे विदेशी तेल के आयात पर निर्भरता कम होगी और देश का अरबों रुपया भी बचेगा.

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कच्चे खाद्य तेलों पर एक समान आयात शुल्क लगाने की मांग, SEA ने सरकार को भेजी चिट्ठीखाद्य तेलों पर आयात शुल्क एकसमान करने की मांग, फोटो: freepik

देश में खाद्य तेलों (edible oil) की जरूरतों और मांग को देखते सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ऑफ इंडिया ने सरकार से सभी कच्चे खाद्य तेलों पर एक समान आयात शुल्क (import duty) लगाने की मांग की है. एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने सरकार से मांग की है कि बजट में उनके हितों का ध्यान रखा जाए. उन्होंने कहा है कि सरकार बजट (budget 2023) में व्यापार और उद्योग से जुड़े मामलों पर गौर करते हुए उन्हें राहत दे. SEA ने बजट में सरकार से मांग उठाई है कि उन्हें कच्चे खाने के तेल पर एक समान आयात शुल्क का नियम लागू किया जाए. अभी इसमें अंतर देखा जाता है जिससे कंपनियों को परेशानी उठानी पड़ती है.

एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने बताया कि कच्चे चावल की भूसी का तेल और कच्चे पोमेस जैतून का तेल वर्तमान में 35 प्रतिशत सीमा शुल्क (बीसीडी) के दायरे में आता है, जबकि कच्चे ताड़ के तेल (CPO), कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर जीरो टैक्स लगता है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए झुनझुनवाला ने सरकार से सभी कच्चे खाद्य तेलों पर एक समान आयात शुल्क (import duty) लगाने की मांग की है. 

खाद्य तेलों के आयात में तेजी

एसईए के अध्यक्ष ने 'बिजनेसलाइन' से कहा कि सभी कच्चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क (import duty) एक समान हो जाने से तेल आयात करने में सुविधा होगी और व्यावसायिक तौर पर फायदेमंद भी रहेगा. इससे खाद्य तेल की कंपनियां व्यावसायिक रूप से बड़े पैमाने पर लोगों की मांग को पूरा कर सकेंगी. रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात को रेगुलेट करने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि रिफाइंड पाम ऑयल (edible oil) का आयात बहुत तेजी से बढ़ रहा है. साल 2020-21 में यह आयात 6.90 लाख टन था जो 2021-22 में बढ़कर 18 लाख टन हो गया है. 

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तिलहन की बुआई को बढ़ावा

नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स यानी कि NMEO पर बोलते हुए झुनझुनवाला ने कहा कि सरकार को बड़ी वित्तीय सहायता के साथ एमईओ की शुरुआत करनी चाहिए ताकि देश में तिलहन का उत्पादन बढ़ाया जा सके. तिलहन की पैदावार बढ़ने से खाद्य तेलों (edible oil) की उपलब्धता बढ़ेगी और इससे विदेशी तेलों पर निर्भरता कम होगी. अभी देश में खपत का 60 फीसद से अधिक हिस्सा आयात करना होता है जिस पर सरकार के अरबों रुपये खर्च होते हैं.

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भारत अभी हर साल 140 लाख टन खाद्य तेलों का आयात करता है जिस एक लाख करोड़ रुपये का खर्च होता है. एनएमईओ को सालाना 25,000 करोड़ रुपये के बजट (budget 2023) के साथ अगले पांच साल के लिए शुरू किया जा सकता है जिससे देश में तिलहन फसलों को बढ़ावा मिले और खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़े. इससे 2026 तक आयात के खाद्य तेलों पर मौजूदा 65 परसेंट की निर्भरता को कम कर 30-40 परसेंट तक लाया जा सकता है.

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