सरसों (mustard) पर पाले (frost) का कहर देखा जा रहा है. हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में सरसों पर पाले का भीषण प्रभाव हुआ है. कृषि और किसान कल्याण विभाग के स्थानीय दफ्तर की ओर से तैयार की गई शुरुआती रिपोर्ट बताती है कि महेंद्रगढ़ जिले में सरसों की 90 फीसद फसल पाले से मारी गई है. विभाग के अधिकारियों ने फसल की स्थिति देखने के लिए एक सर्वे किया था जिसमें यह बात सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक कड़ाके की ठंड और पाले की वजह से महेंद्रगढ़ जिले में सरसों की 90 परसेंट फसल का नुकसान हुआ है.
महेंद्रगढ़ जिले के सभी पांच ब्लॉक में पाले का कहर देखा जा रहा है. लेकिन सबसे अधिक असर कनिना, नांगल चौधरी और महेंद्रगढ़ में देखा गया है. इससे सरसों किसानों की परेशानी बढ़ गई है और उनकी अधिकांश फसल चौपट हो गई है. हाल के दिनों में कड़ाके की ठंड और पाला (frost) पड़ा है जिसने सरसों (mustard) जैसी फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है.
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नारनौल के डिप्टी डायरेक्टर (कृषि) बलवंत शहारन ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, इस सीजन में महेंद्रगढ़ जिले में 95,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सरसों की खेती की गई है. इसमें से 87,000 हेक्टेयर में सरसों का भारी नुकसान हुआ है. बलवंत शहारन ने कहा कि 64,000 हेक्टेयर में सरसों का 25 फीसद नुकसान हुआ है, 7,000 हेक्टेयर में 26 से 50 परसेंट और 6,000 हेक्टेयर खेतों में सरसों का 50 फीसद से अधिक का नुकसान हुआ है.
सरसों के नुकसान की अभी ये शुरुआती रिपोर्ट है और आने वादे दिनों में डिटेल रिपोर्ट पेश की जाएगी. कृषि विभाग का हेड ऑफिस स्थिति का आकलन करने में लगा हुआ है. महेंद्रगढ़ जिले के इसराना गांव के रहने वाले एक किसान अजय कुमार कहते हैं, आठ एकड़ में सरसों की खेती की है जिसमें पिछले तीन दिन से पड़े पाले और कड़ाके की ठंड से 60 फीसद तक नुकसान हो गया है.
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कुछ इसी तरह की स्थिति मोहनपुर, नांगल, रामबास, धाना, मालपुरा और रसूलपुर गांवों में भी देखी जा रही है. इन सभी गांवों में सरसों की फसल मारी गई है. जिन किसानों ने अपनी फसल का इंश्योरेंस कवर नहीं लिया है, अब वे सरकार से मुआवजा चाहते हैं. रोहतास नाम के एक किसान का कहना है कि वे कई साल से सरसों की खेती कर रहे हैं, लेकिन पहली बार इतनी खराब स्थिति देखने को मिली है. सरसों में खूब फूल आए थे और इस बार बंपर पैदावार की उम्मीद थी. लेकिन पिछले तीन दिन से गिरे पाले ने पूरी फसल चौपट कर दी.
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो पाला सरसों के लिए बहुत खतरनाक है. खासकर जिस सरसों में फूल आ रहे हों, उनके लिए पाला तो बहुत ही खतरनाक है. आने वाले दिनों में अगर मौसम नहीं सुधरता है, तो सरसों पर और अधिक मार देखी जाएगी. इस बीच नारनौल के मिनी सेक्रेटरियट में कई गांवों के किसानों ने गुरुवार को धरना दिया और फसल का मुआवजा मांगा. पाले से खराब हुए सरसों के लिए प्रति एकड़ 30,000 रुपये के मुआवजे की मांग की गई है. किसानों का कहना है कि अगर मुआवजा नहीं मिलता है तो वे बर्बाद हो जाएंगे.
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