किसानों, कृषि क्षेत्र और सहकारिता को आगे बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्तर की तीन मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी बनाने की मंजूरी दी है. इनमें मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बीज सोसायटी, मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी और मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी शामिल हैं. इनकी स्थापना मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट-2002 के तहत की गई है. दावा किया गया है कि इन तीनों से कृषि क्षेत्र, किसानों और देश को बड़ा फायदा होगा. सहकारिता मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस निर्णय को ऐतिहासिक करार दिया है.
केंद्र सरकार ने कहा है कि प्राथमिक से राष्ट्रीय स्तर तक की सहकारी समितियां इसकी सदस्य बन सकती हैं. सोसायटी के बोर्ड में इन सभी सहकारी समितियों के निर्वाचित प्रतिनिधि होंगे. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो करोड़ों लोगों को छूता है और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है. मगर इतने वर्षों तक इसकी अनदेखी हुई. अब पहली बार मोदी सरकार ने इसे सशक्त करने की शुरुआत की है.
राष्ट्रीय स्तर की यह सोसायटी गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण, मार्केटिंग और वितरण पर काम करेगी. महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास करेगी. स्थानीय प्राकृतिक बीजों के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए एक प्रणाली विकसित करने के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में कार्य करेगी. इसमें उसे कृषि मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) सहायता देंगे. आयातित बीजों पर निर्भरता कम होगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.
प्रस्तावित समिति सभी स्तरों की सहकारी समितियों के नेटवर्क का उपयोग करके बीज प्रतिस्थापन दर, किस्म प्रतिस्थापन दर को बढ़ाने, गुणवत्तापूर्ण बीज की खेती और बीज किस्म के परीक्षणों में किसानों की भूमिका सुनिश्चित करेगी. एकल ब्रांड नाम के साथ प्रमाणित बीजों के उत्पादन और वितरण में मदद करेगी. गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता से कृषि उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने तथा किसानों की आय में भी वृद्धि करने में मदद मिलेगी. गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन से देश में कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी. इससे कृषि और सहकारी क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन होगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैविक उत्पादों के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समिति को स्थापित करने को मंजूरी दी है. इसमें कृषि,खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सहयोग देंगे. प्रधानमंत्री ने कहा है कि सहकारी समितियों की क्षमता का लाभ उठाने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए. यह सोसायटी जैविक क्षेत्र से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के प्रबंधन के लिए एक संगठन के रूप में कार्य करेगी.
सहकारी समिति प्रमाणित एवं प्रामाणिक जैविक उत्पाद उपलब्ध कराकर जैविक क्षेत्र से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का संचालन करेगी. यह घरेलू के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में जैविक उत्पादों की मांग और खपत क्षमता को जानने में मदद करेगी. यह सोसायटी सहकारी समितियों और उनके किसान सदस्यों को सस्ती कीमत पर जांच व प्रमाणन की सुविधा देकर व्यापक स्तर पर एकत्रीकरण, ब्रांडिंग और मार्केटिंग के माध्यम से जैविक उत्पादों का अच्छा दाम दिलाने में मदद करेगी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक राष्ट्रीय स्तर की कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी की स्थापना की भी मंजूरी दी है. इसमें विदेश मंत्रालय, वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय मदद देंगे. प्रस्तावित समिति निर्यात करने और इसे बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक (अम्ब्रेला) संगठन के रूप में कार्य करते हुए सहकारी क्षेत्र से निर्यात पर जोर देगी. इससे वैश्विक बाजारों में भारतीय सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता को गति देने में मदद मिलेगी. इससे सदस्य, अपनी वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से बेहतर मूल्य प्राप्त करेंगे.
अमित शाह ने कहा कि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी देश की लगभग 8.45 लाख समितियों से जुड़े उनके उत्पादों को विश्वभर में बेचने, उनकी क्षमताओं को बढ़ाने व उन्हें एक सफल व्यावसायिक उद्योग बनाने में मदद करेगी. इससे किसानों की आय में तो वृद्धि होगी ही साथ ही रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे. सहकारी उत्पादों के निर्यात में वृद्धि, मेक इन इंडिया को भी प्रोत्साहन देगी, जिससे आत्मनिर्भर भारत के मिशन को बढ़ावा मिलेगा.
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