केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश किया. यह लगातार उनका आठवां बजट है. इस दौरान उन्होंने मखाना किसानों के लिए बजट में बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि मखाना की मार्केटिंग के लिए काम किया गया है. इसके लिए एफपीओ का गठन किया जा रहा है. बिहार में मखाना की खेती पर काम हो रहा है. बिहार में मखाना बोर्ड बनने से छोटे किसानों और व्यापारियों को फायदा होगा. इसके अलावा कपास की खेती के लिए काम किया जा रहा है.
बता दें कि बिहार देश में मखाना उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है, लेकिन अब तक इसे संगठित ढांचे में नहीं लाया गया था. सरकार के इस कदम से मखाना उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को उचित दाम मिलने के आसार माने जा रहे हैं. बजट में की गई इस घोषणा से इस क्षेत्र में अब नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. वहीं, बिहार भारत का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य है जहां 90 प्रतिशत मखाना उगाया जाता है. इसकी खेती बिहार के दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार जिले में की जाती है.
बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये एक बड़ी घोषणा मानी जा रही है. इससे कई साल से किसानों की शिकायतों का निपटारा होगा. किसान वर्षों से मखाना बोर्ड बनाने की मांग कर रहे थे. इससे पहले सरकार ने हल्दी बोर्ड का गठन किया था जो तेलंगाना के किसानों की मांग थी. इस तरह बिहार के किसानों की मांग को देखते हुए बजट में नए मखाना बोर्ड को बनाने की मंजूरी दी गई है.
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कृषि मंत्रालय के मुताबिक पूरी दुनिया के उत्पादन का लगभग 90 फीसदी उत्पादन अकेले बिहार में होता है. वहीं, बिहार के 10 जिलों जिलों के मखाने की बेहतर क्वालिटी को देखते हुए उसे GI Tag भी दिया गया है. आज यहां के मखाने को मखाना नहीं बल्कि मिथिला मखाने के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि यहां मखाना किसानों को उन्नत तकनीकों से प्रशिक्षित करने के लिए विश्व का एकमात्र मखाना अनुसंधान केंद्र भी है. इस केंद्र का उद्देश्य मखाना की क्वालिटी को सुधारना और उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके.
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