छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से बताया गया कि आगामी सोमवार और मंगलवार को G 20 के चौथे फ्रेमवर्क की Working Group Meeting रायपुर में होगी. इस बाबत तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. बैठक में हिस्सा लेने के लिए संगठन के सदस्य देशों के प्रतिनिधि और तमाम विदेशी राजनयिक रविवार से रायपुर पहुंचने लगेंगे. राज्य की स्थानीय लोक परंपराओं के मुताबिक मेहमानों का स्वागत सत्कार किया जाएगा. मेहमानों को छत्तीसगढ़ की यादगार स्मृतियों के साथ विदा करने के लिए उन्हें स्थानीय संस्कृति से जुड़े उपहार भेंट स्वरूप दिए जाएंगे. इनमें छत्तीसगढ़ की मशहूर हस्तशिल्प और मिलेट्स तथा वनोपज आदि से बने उत्पाद भी शामिल होंगे. मेहमानों को छत्तीसगढ़ के खास लजीज व्यंजन खाने में परोसे जाएंगे, जो यहां के स्थानीय स्वाद और सुगंध की यादें मेहमानों के जेहन में बसा देने वाले साबित होंगे. गौरतलब है कि भारत सरकार की पहल पर जी 20 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कृषि, ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण सहित विभिन्न क्षेत्रों में गठित वर्किंग ग्रुप की बैठकें देश के सभी राज्यों में आयोजित की जा रही है. संगठन का शिखर सम्मेलन पिछले सप्ताह दिल्ली में आयोजित हो चुका है.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि जी 20 की बैठक में शामिल होने आ रहे मेहमानों काे यादगार तोहफे दिए जाएंगे. इनमें छत्तीसगढ़ की मशहूर परंपरागत हस्तशिल्प कला से जुड़ी पेंटिंग और मूर्तियां शामिल होंगी. इनमें डेलीगेट्स को विश्व प्रसिद्ध बस्तर आर्ट की चिन्हारी हस्तशिल्प के नमूने दिए जाएंगे.
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सरकार की ओर से बताया गया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर छत्तीसगढ़ में श्री अन्न के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए मिशन मोड पर काम किया गया है. इसके तहत न केवल यहां मोटे अनाजों की खेती कर रहे किसानों को समर्थन मूल्य पर उनकी उपज का वाजिब दाम मिल रहा है, अपितु सरकार द्वारा इनके प्रसंस्करण को प्रोत्साहित भी करने के लिए राज्य के शहरी क्षेत्रों में मिलेट्स कैफे खोले जा रहे हैं. इससे छत्तीसगढ़ में लोग मिलेट्स के प्रति तेजी से जागरूक हो रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में पाया जाने वाला शहद, दुनिया भर में सबसे शुद्ध और स्वादिष्ट शहद माना जाता है. इसे बस्तर और सरगुजा जैसे वनवासी अंचलों के विशिष्ट प्राकृतिक माहौल में मधुमक्खियों के द्वारा एकत्रित किया जाता है. इसलिए इसमें औषधीय गुण भी भरपूर मात्रा में होते हैं.
इसके अलावा छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में उत्पादित होने वाले एलोवेरा से जेल क्रीम बनाई जाती है. साथ ही यहां के अश्वगंधा चूर्ण की लोकप्रियता भी देश दुनिया में है. सरकार ने इस तरह के वनोपज से जुड़े तमाम अनूठे उत्पादों को जी 20 के मेहमानों को उपहार में देने की तैयारी की है. ये छत्तीसगढ़ की स्थानीय भाषा में यादगार उपहारों को चिन्हारी कहा जाता है. इन उपहारों में बस्तर आर्ट का उपहार भी दिया जाएगा.
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छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति का दीदार कराने वाली यहां की ढोकरा कला भी दुनिया भर में मशहूर है. ढोकरा कला के तहत आदिवासी समाज के लोगों की धातु प्रतिमाएं बनाई जाती हैं. इन्हें लकड़ी के फ्रेम में मढ़ कर मेहमानों को भेंट में दिया जाएगा. यह कला की थीम एक दूसरे का हाथ थाम कर लोकनृत्य कर रही चार आदिवासी युवतियों पर आधारित है.
स्थानीय हस्तशिल्प से बनी इन प्रतिमाओं से बस्तर की सुंदरता और लोकजीवन की समृद्धि की झलक मेहमानों को मिल सकेगी. इसके अलावा हजारों वर्ष पुराने छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों के हुनर की चमक मेहमानों के माध्यम से दुनिया भर में फैलेगी. जी 20 के माध्यम से छत्तीसगढ़ की अनूठी कला एवं संस्कृति का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सकेगा.
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