राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में खेती के तौर-तरीके बदल रहे हैं. इसमें खेती के पैटर्न, बीज, खाद और सिंचाई के तरीके भी बदले हैं. आज किसान पहले की तरह खेतों में खुला पानी नहीं देते. बल्कि ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर जैसी तकनीक का सहारा ले रहे हैं. इससे एक तो पानी की खपत कम होती है. वहीं, नमी भी अधिक समय तक बनी रहती है. इसीलिए सरकारें भी किसानों को इन संयंत्रों को लगाने के लिए सब्सिडी दे रही है. राजस्थान सरकार का दावा है कि प्रदेश मिनी स्प्रिंकलर, ड्रिप संयंत्र लगाने मे देश में टॉप राज्यों में शुमार है.
इसीलिए पहले हम जानते हैं कि बीते साढ़े चार साल यानी इस सरकार के कार्यकाल में खेतों में कितने संयंत्र लगाए गए हैं और कितनी जमीन इससे सिंचित हो रही है.
राजस्थान में किसान 5, 33, 668 हैक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप, स्प्रिंकलर, मिनी स्प्रिंकलर से खेतों की सिंचाई कर रहे हैं. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बीते साढ़े चार साल में 3,79,472 किसानों ने इस तरह के सिंचाई संयंत्र अपने खेतों में स्थापित किए हैं. इसके लिए राज्य सरकार ने एक हजार 71 करोड़ 49 लाख रुपये की सब्सिडी किसानों को दी है.
वहीं, इन संयंत्रों के माध्यम से किसान प्रदेश में 5 लाख 33 हजार 668 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई कर रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से अकेले स्प्रिंकलर पर 252. 89 करोड़ रुपये तथा ड्रिप संयंत्र पर 818.60 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा चुकी है.
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राजस्थान का करीब 55 फीसदी हिस्सा सूखा या रेगिस्तानी है. इसीलिए यहां सिंचाई का महत्व बढ़ जाता है. राज्य सरकार की ओर से ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर एवं स्प्रिंकलर लगाने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमांत एवं महिला किसानों को इकाई लागत राशि का 75 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है, वहीं, अन्य किसानों के लिए लागत का 70 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है.
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सिंचाई संयंत्रों लगाने के लिए सब्सिडी पाने के लिए किसान के पास कम से कम 0.2 हेक्टेयर सिंचाई योग्य कृषि भूमि होना जरूरी है. वहीं, पात्र किसान किसी भी नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाकर आवेदन कर सकता है. योजना में आवेजन के लिए जमाबन्दी नकल (6 माह से अधिक पुराने नहीं हो), आधार कार्ड/जनाधार कार्ड, सिंचाई स्त्रोत प्रमाण पत्र, मृदा एवं जल परीक्षण रिपोर्ट और आपूर्तिकर्ता का कोटेशन होना जरूरी होता है. तभी सब्सिडी के लिए आवेदन स्वीकार किया जाएगा.
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