सीएम योगी की पहल से गांवों में इकोनॉमी दौड़ेगी. किसान गोद ले सकेंगे गोवंश. मिलेगा कैटल शेड और बायोगैस
उत्तर प्रदेश में ग्रामीण आत्मनिर्भरता की दिशा में योगी सरकार ने एक अभिनव पहल की है. अब किसान गोवंश को गोद ले सकेंगे और उनके लिए मनरेगा के तहत व्यक्तिगत कैटल शेड और लघु बायोगैस यूनिट की व्यवस्था की जाएगी. इस योजना से न केवल गोवंश का संरक्षण होगा बल्कि ग्रामीण इकोनॉमी को भी रफ्तार मिलेगी.
मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत किसानों को 1 से 4 तक गोवंश उपलब्ध कराए जाएंगे. गोवंश प्राप्त करने वाले किसानों के आवासीय परिसर में ही कैटल शेड बनाए जाएंगे. साथ ही गोबर से स्वच्छ ईंधन तैयार करने के लिए स्मॉल बायोगैस यूनिटें भी लगाई जाएंगी. यह पहल पर्यावरण संरक्षण और घरेलू ईंधन जरूरतों को पूरा करने में भी मददगार होगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल में ऊर्जा संरक्षण को भी जोड़ा गया है. हर गोवंश पालक को छोटी लघु बायोगैस इकाइयां उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि गोबर से स्वच्छ ईंधन तैयार किया जा सके. यह किसानों के रसोई ईंधन की जरूरत को भी पूरा करेगा और पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगा.
उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के ओएसडी डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि योजना का खाका तैयार है. जल्द ही महिला स्वयं सहायता समूहों और नवयुवकों को भी इससे जोड़ा जाएगा. जिससे उन्हें रोजगार और स्थायी आय का स्रोत मिल सकेगा. सरकार की मंशा गो आधारित इकोनॉमी को नए स्तर पर ले जाने की है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल से ग्राम स्तर पर ऊर्जा और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा. कैटल शेड से पशुओं की देखरेख बेहतर होगी और बायोगैस यूनिट से ईंधन की आवश्यकता पूरी होगी. यह योजना स्वरोजगार, सामाजिक सहभागिता और सतत ग्रामीण विकास का समन्वित मॉडल बनेगी.
सरकार की योजना परंपरा और तकनीक को साथ लाने की कोशिश है. गोबर से खाद, जैविक खेती और बायोगैस से ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देकर ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति मजबूत की जाएगी. ग्रामीण विकास के इस एकीकृत मॉडल में सामाजिक स्वावलंबन, गोवंश संरक्षण और आधुनिक तकनीक का संतुलन सुनिश्चित किया गया है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी और गांवों में सतत विकास का मार्ग प्रशस्त होगा.
इस योजना के अंतर्गत परंपरा और तकनीक का समावेश कर ग्रामीण विकास को नया आयाम देने की कोशिश की जा रही है. योजना के तहत गो सेवा को केवल धार्मिक या पारंपरिक दायरे में नहीं बल्कि आर्थिक संसाधन के रूप में देखा जा रहा है. इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि प्रदेश की इकोनॉमी को भी नई गति मिलेगी. सीएम योगी की यह पहल ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है.
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