जलवायु परिवर्तन का असर देश में सबसे अधिक खेती-किसानी पर देखने को मिल रही है. इसके लगातार बढ़ रहे असर से कई फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. ऐसा ही मामला महाराष्ट्र में देखने को मिला है, जहां जलवायु परिवर्तन के कारण बागों काफी नुकसान हुआ है. दरअसल, बागों के बढ़ते हुए नुकसान को देखते हुए, महाराष्ट्र सरकार इससे प्रभावित किसानों को मुआवज़ा देने के लिए एक फसल कवर योजना लागू करेगी. इसकी जानकारी राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने गुरुवार को विधानसभा में दी. बता दें कि यह घोषणा राकांपा (सपा) विधायक रोहित पाटिल द्वारा एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर हुई बहस के जवाब में की गई, जिसमें उन्होंने अंगूर की खेती पर बेमौसम बारिश के प्रतिकूल प्रभावों पर प्रकाश डाला था.
इस विषय पर कृषि मंत्री कोकाटे ने कहा कि राज्य में अंगूर उत्पादक बदलते मौसम के कारण गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. पुणे स्थित राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र लगातार स्थिति की निगरानी कर रहा है और अंगूर के बागों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं. अंगूर किसानों को आवश्यक सुविधाओं के प्रावधान पर चर्चा के लिए जल्द ही एक बैठक बुलाई जाएगी. साथ ही बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाएगा.
कोकाटे ने कहा कि महाराष्ट्र में 1.23 लाख हेक्टेयर में अंगूर की खेती होती है, जिससे लगभग 24.89 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन होता है. ऐसे में फसलों के जलवायु परिवर्तन हो रहे नुकसान को देखते हुए फसल कवर योजना जल्द ही लागू की जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि प्रमुख अंगूर उत्पादक जिलों में नासिक, सांगली, सोलापुर, अहिल्यानगर और धाराशिव शामिल हैं.
मंत्री ने सदन को बताया कि बेमौसम बारिश से प्रभावित अंगूर के बागों के लिए नुकसान का आकलन (पंचनामा) पहले ही किया जा चुका है. वहीं, मौजूदा सरकारी मानदंडों के अनुसार मुआवज़ा दिया गया है. उन्होंने आश्वासन दिया कि जिन अंगूर बागों के किसानों के पंचनामा पूरे हो चुके हैं, उन सभी पात्र किसानों को सहायता राशि दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने हर गांव में मौसम केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिससे किसानों को समय पर और सटीक मौसम की जानकारी मिल सके, जिससे उनका कम नुकसान हो.
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