राजस्थान में अब प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने पर मुआवजे के लिए किसान खुद गिरादवरी कर सकेंगे, ये जानकारी गहलोत सरकार के राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने विधानसभा सत्र के दौरान दी है. असल में राजस्थान में बजट सत्र चल रहा है, जिसमें रोजाना कई सवालों के जवाब मंत्री दे रहे हैं. राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने किसानों को लेकर कई विषयों के बारे में तथ्यों के साथ जवाब पेश किए. विधानसभा में मांग संख्या 16 (राजस्व विभाग) की अनुदान मांगों पर बहस हो रही थी. इसी के जवाब जाट दे रहे थे. इस चर्चा के बाद सदन में 20 अरब 35 करोड़, 20 लाख 11 हजार रुपये की सब्सिडी की मांग ध्वनिमत से पारित हुआ.
जाट ने विधानसभा में जानकारी दी कि आने वाले दिनों में राजस्थान के किसान खुद एप के माध्यम से अपनी खराब फसल की गिरदावरी कर सकेंगे. इसकी घोषणा बजट 2023-24 में की गई है. इस नवाचार से किसान प्राकृतिक आपदा से फसल में हुए नुकसान की एप के माध्यम से गिरदावरी कर सकेंगे और इसकी रिपोर्ट अधिकारियों को दे सकेंगे.
इसके अलावा राजस्व मंत्री ने बताया कि बजट 2022-23 में विक्रय, हकत्याग एवं उपहार के दस्तावेजों की रजिस्ट्री होते ही अपने आप नामातंरकरण दर्ज होकर जमाबंदी को अपडेट करने के प्रावधान किये गए हैं. इसके साथ ही अन्य मामलों, विरासत नामान्तरकरणों के लिए सम्पूर्ण प्रक्रिया को पेपरलेस किया जा रहा है. ताकि किसानों को दफ्तरों के चक्कर ना काटने पड़ें. विभाग ने नई चारागाह पॉलिसी भी जारी की है, जिसके अनुसार 100 वर्गमीटर तक भूमि का पट्टा देने का प्रावधान किया गया है.
राज्य सरकार ने गौशाला के लिए भूमि आवंटन की समय सीमा 20 वर्ष से बढ़ाकर 30 वर्ष कर दी है. साथ ही सरकारी जमीन के आवंटन के लिए मिले आवेदनों को दो महीने के अंदर निपटाया जा रहा है. इसके अलावा पटवारी द्वारा नामान्तरकरण के प्रकरणों के निस्तारण की अवधि 7 दिन से घटाकर 5 दिन कर दी है.
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काश्तकारों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने राजस्व नियमों को सरल किया है. इससे सालों से पड़े कई मामलों का निस्तारण हो सका है. प्रशासनिक इकाईयों का विस्तार करते हुए सरकार ने बीते चार सालों में 1292 राजस्व इकाईयां बनाई हैं. इसके अलावा प्रदेश में 1035 नए पटवार मंडल खोले गए हैं. इससे पटवारियों की कमी खत्म हुई है. किसानों से संबंधित मामले आसानी से निपटाए जा रहे हैं.
साथ ही प्रशासन गांवों के संग अभियान में करीब 93 लाख व्यक्तियों को लाभांवित किया है. प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत 16 लाख से अधिक खेतों की खातेबंदी में सुधार किया है. साथ ही 1.50 लाख खाता विभाजन के मामले निपटाए हैं.
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बता दें कि प्रशासन गांवों के संग अभियान में गांव-गांव जाकर प्रशासन वर्षों से लंबित पड़े मामलों को ऑन द स्पॉट निपटाता है. इसमें ज्यादातर मामले भूमि विवाद, खेतों के रास्तों के होते हैं. फिलहाल 23 मार्च तक यह अभियान चलाया जा रहा है.
राजस्व मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने नवाचार करते हुए किसानों के हित में कई कदम उठाए हैं. साल 2018-19 से पहले का सम्पूर्ण बकाया लगान सरकार ने माफ किया है. साथ ही विभाग द्वारा फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने हेतु कन्वर्जन से छूट, इन्टीग्रेटेड टाउनशिप के लिए कन्वर्जन का प्रावधान, सामाजिक एवं चैरिटेबल ट्रस्ट को कन्वर्जन चार्ज से मुक्ति, स्टेडियम, खेल मैदान एवं स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के लिए कन्वर्जन की अनुमति, हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन हेतु कन्वर्जन से मुक्ति, खातेदारी भूमि पर बॉयोमास पावर प्लांट्स के लिए कन्वर्जन से छूट, लैण्ड कन्वर्जन पोर्टल की शुरूआत भी की गई हैं.
इसके अलावा राजस्व विभाग ने 392 में से 381 तहसीलों को ऑनलाइन कर दिया है. इससे भू-अभिलेख आसानी से उपलब्ध हो पा रहा है. आने वाले कुछ महीनों में बाकी बची 11 तहसीलों को भी ऑनलाइन कर दिया जाएगा.
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