प्याज के घटते भाव से महाराष्ट्र के किसानों में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के खिलाफ गुस्सा है. किसानों का कहना है कि जब दाम बढ़ता है तब सरकार उसे कम करने के लिए पूरा सिस्टम लगा देती है लेकिन जब दाम घटता है तो कुछ नहीं करती. महाराष्ट्र सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है और यहां पर ही किसान दाम को लेकर अब तक का सबसे बड़ा संकट झेल रहे हैं. इस साल उन्हें दो-चार रुपये प्रति किलो के भाव पर प्याज बेचनी पड़ रही है, जो लागत के मुकाबले काफी कम है. इसलिए किसान सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. इस समय विधानसभा चल रही है इसलिए परेशान किसानों को विपक्ष का साथ मिल रहा है.
इससे शिंदे सरकार दबाव में है. केंद्र ने भी नाफेड से लेट खरीफ सीजन की प्याज की खरीद शुरू करवा दी है. साथ ही सफाई भी दी है कि प्याज एक्सपोर्ट पर बैन नहीं लगाया गया है. अप्रैल से दिसंबर 2022 तक 523.8 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य का प्याज निर्यात किया गया है. उधर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि सरकार प्याज उत्पादकों के साथ मजबूती से खड़ी है. हालांकि, किसान इसे सिर्फ बयानबाजी बता रहे हैं. क्योंकि जमीनी स्तर पर ऐसे बयानों से किसानों को फायदा नहीं हो रहा है.
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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में कहा कि सरकार प्याज उत्पादकों के साथ मजबूती से खड़ी है और नेफेड ने प्याज की खरीद शुरू हो गई है. यह सरकार किसानों को न्याय दे रही है. हमने भी प्रभावित किसानों की सामान्य से अधिक मदद की है. नाफेड अतिरिक्त प्याज की खरीद कर रहा है. अब तक 2.38 लाख मीट्रिक टन प्याज की खरीद हो चुकी है. जहां बाजार बंद बंद हैं, वहां खोले जाएंगे. प्याज के निर्यात पर भी रोक नहीं है. प्याज किसानों को जरूरत के हिसाब से मदद की घोषणा की जाएगी.
प्याज का खरीद भाव बढ़ाने की मांग को लेकर किसानों ने सोमवार को लासलगांव मंडी में प्रदर्शन किया था. इसकी वजह से बाजार बंद रहा. लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है. इसका असर विधानसभा परिसर में देखने को मिला. जहां विपक्षी नेताओं ने टोकरी में प्याज सिर पर रखकर और गले में प्याज की माला पहनकर विधानसभा की सीढ़ियों पर प्रदर्शन किया. सरकार के सामने प्याज किसानों की स्थिति बताने की कोशिश की कि वो कितने परेशान हैं. महाराष्ट्र देश का करीब 42 प्रतिशत प्याज उत्पादन करता है लेकिन, यहां के किसान सरकारी नीतियों से परेशान हैं.
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प्याज उत्पादक संगठन महाराष्ट्र के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले ने कहा कि इस वक्त प्याज उत्पादन की लागत प्रति किलो 18 रुपये तक आ रही है. ऐसे में कोई 2 रुपये प्रति किलो प्याज कैसे बेचेगा? लेकिन यहां के किसान भारी घाटा सहकर व्यापारियों को 2 से 5 रुपये के औसत भाव पर प्याज बेचने को मजबूर हैं. जबकि दिल्ली जैसे शहरों में 30 से 40 रुपये किलो प्याज बिक रहा है. ऐसे में हमारी मांग है कि सरकार देखे कि वो कौन लोग हैं जो इतना भारी मुनाफा कमा रहे हैं. वो किसान से सस्ता खरीदते हैं और जनता को महंगा बेचते हैं. सरकार 32 रुपये किलो के हिसाब से किसानों को भाव दे तब जाकर फायदा होगा.
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