देश के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार कृषि के क्षेत्र में पारंपरिक फसलों को छोड़ बागवानी फसलों पर लगातार बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. वहीं सरकार के अनेक प्रयासों और प्रयोगों से देश के किसानों में बागवानी फसलों की खेती के तरफ झुकाव काफी तेजी से बढ़ रहा है. इन प्रयासों से अनेक किसानों की आय में वृद्धि होने के साथ- साथ बेरोजगारों को रोजगार का आधार भी मिला है. इसी प्रयास के तहत मध्य प्रदेश में पिछले दो दशक में बागवानी फसलों के क्षेत्रफल में 5 गुना और उत्पादन में 7 गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2002-03 में बागवानी फसलों का कुल रकबा जहां 4 लाख 67 हजार हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर लगभग 25 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है.
बागवानी फसलों के क्षेत्रफल में वृद्धि होने का सीधा प्रभाव उत्पादन में हुई वृद्धि में भी दिखाई दे रहा है. इस अवधि में बागवानी फसलों का उत्पादन भी लगभग 42 लाख 98 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर अब सात गुना से अधिक लगभग 340 लाख 31 हजार मीट्रिक टन हो गया है.
दरअसल प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नीतियों और किसानों की मेहनत से उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन में हुई इस उल्लेखनीय वृद्धि का ही परिणाम है कि मध्यप्रदेश मसाला, सब्जी, फल और फूल उत्पादन में देश के पहले 5 राज्यों में शामिल है. प्रदेश मसाला फसलों के उत्पादन में देश में पहले, सब्जी में तीसरे, फूल में चौथे और फल उत्पादन में पांचवें स्थान पर है.
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प्रदेश औषधीय और सुगंधित फूलों की खेती जो पहले मात्र 15 हजार 650 हेक्टेयर में होती थी, अब वह बढ़कर 42 हजार 956 हेक्टेयर हो गई है. वहीं मध्य प्रदेश फूलों के उत्पादन में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बाद देश में चौथे स्थान पर है. देश के फूल उत्पादन में प्रदेश का हिस्सा 10.15 प्रतिशत है. वहीं मसाला उत्पादन में मध्य प्रदेश सबसे आगे हैं.
प्रदेश के हर एक जिलों के स्थानीय परिवेश और बागवानी किसानों द्वारा की जा रही फसलों की खेती को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के प्रत्येक जिले के लिए एक उत्पाद का चयन किया गया है. जैसे आगर-मालवा और राजगढ़ के लिए संतरा और नींबू, अलीराजपुर, धार और सिवनी के लिए सीताफल, अनूपपुर, बैतूल, उमरिया, सीधी और सिंगरौली के लिए आम, अशोकनगर, दमोह, दतिया, झाबुआ, कटनी, रायसेन, सागर, सतना और शिवपुरी के लिए टमाटर, बालाघाट, डिण्डोरी और मण्डला के लिए कोदो-कुटकी, बड़वानी, निवाड़ी और टीकमगढ़ जिले के लिए अदरक.
वहीं भोपाल, होशंगाबाद, सीहोर और श्योपुर के लिए अमरूद, बुरहानपुर के लिए केला, छतरपुर के लिए पान वहीं अन्य कई जिलों के लिए भी फसलें तय की गई हैं. साथ ही राज्य सरकार द्वारा चयनित उत्पाद की खेती करने वाले बागवानी किसानों को मदद भी दी जा रही है.
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