किसानों के लिए खुशखबरी है. खरीफ सीजन की बुवाई शुरू होने से पहले ही केंद्र सरकार किसानों के हित में बड़ा फैसला लेने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष 2023- 24 के खरीफ सीजन की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बढ़ोत्तरी करने की तैयारी कर रही है. अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार खरीफ सीजन की फसलों के MSP में 3 से 8 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकती है, जिसकी घोषणा जल्द होगी. असल में MSP भारत में किसानों को उनकी उपज के न्यूनतम मूल्य की गारंटी देती है, जो किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा का काम करता है. वहीं इससे खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है.
आम धान और ग्रेड ए धान की किस्मों के लिए एमएसपी 3 से 7 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है. जिसकी कीमत 2.100 से 2,200 रुपये प्रति क्विंटल की सीमा में रखा जा सकता है. एचटी की एक रिपोर्ट के अनुसार मक्का के लिए, एमएसपी एक साल पहले की तुलना में 1.962 रुपये से बढ़ाकर 2,050 से 2.100 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की संभावना है.
रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ दालों का एमएसपी 6 से 8 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है, वहीं अरहर और उड़द के साथ लगभग 7000 रुपये प्रति क्विंटल और मूंग के 8400 से 8450 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने की संभावना है. सरकार ने 2022-23 सीजन में तुअर और उड़द की एमएसपी 6,600 और मूंग पर 7555 रुपये पर क्विंटल करने का निर्णय लिया है. वहीं दलहन उत्पादन में भारत का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा है, साथ ही मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात में दलहन की खेती की जाती है.
इस सीजन में, विशेष रूप से अक्टूबर में खराब मौसम की स्थिति के कारण उत्पादन बाधित होने के कारण अरहर की कीमतें 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई हैं. वहीं तिलहन का एमएसपी 7 से 8 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है, जबकि मूंगफली की बीज 6200 से 6300 रुपये प्रति क्विंटल, सोयाबीन (पीला) बीज का एमएसपी 4500 से 4600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया जा सकता है.
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एमएसपी पर अंतिम फैसला आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति के पास होगा. केंद्र सरकार जून और अक्टूबर में खरीफ और रबी फसलों की एमएसपी तय करेगी. एमएसपी यह सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित किया गया है कि किसानों को उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न मिले.
कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 5.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज करने के बावजूद कृषि मजदूरी स्थिर है. कृषक और खाद्य नीति विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए, सीएसीपी को स्वामीनाथन आयोग की सी2 पर 50 फीसदी रिटर्न देने की सिफारिश पर विचार करना चाहिए, न कि केवल कुछ फसलों पर ए2 और एफएल पर.
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