Bonus on MSP : किसानों से किए वादे निभाने में छत्तीसगढ़ सरकार चुस्त तो एमपी में 'मोहन' क्यों हैं सुस्त

Bonus on MSP : किसानों से किए वादे निभाने में छत्तीसगढ़ सरकार चुस्त तो एमपी में 'मोहन' क्यों हैं सुस्त

हाल ही में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में, हिंदी पट्टी क्षेत्र की अगर बात करें तो एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा एवं कांग्रेस के चुनावी वादों के केंद्र में किसान ही थे. इन तीनों राज्यों में किसानों ने भरोसा जताकर भाजपा की सरकार बनवा दी. अब किसानों को इंतजार है कि उनसे किए वादे जल्द पूरे हों.

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Bonus on MSP : किसानों से किए वादे निभाने में छत्तीसगढ़ सरकार चुस्त तो एमपी में 'मोहन' क्यों हैं सुस्तएमपी के किसानों को गेहूं धान की एमएसपी पर खरीद के एवज में बोनस मिलने का है इंतजार

विधानसभा चुनाव में गेहूं और धान की खरीद में Bonus on MSP के वादे ने किसानों को खूब आकर्षित किया. तीनों ही राज्यों में भाजपा के वादे को स्वीकार्यता प्रदान करने वाले किसान को अब इन वादों की पूर्ति का इंतजार हैं. तीनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारों का गठन हो गया है, मगर किसानों से किए वादे निभाने के मामले में छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार अव्वल रही. साय सरकार ने किसानों से 3100 रुपये प्रति कुंतल की कीमत पर 21 कुंतल प्रति एकड़ की दर से धान की खरीद करने का वादा पूरा कर दिया है. इतना ही नहीं, किसानों को धान की खरीद पर मिलने वाले बोनस के रूप में दो साल के बकाये (3700 करोड़ रुपये) का भी भुगतान 25 दिसंबर (अटल जयंती) को कर दिया है. ऐसे में पड़ोसी राज्य एमपी के किसानों की नजरों में मोहन यादव सरकार सवालों के घेरे में आ गई है. किसानों का सरकार से सवाल है कि आखिर छत्तीसगढ़ की सरकार अगर 3100 रुपये प्रति कुंतल की दर से धान खरीदने का आदेश पारित करा सकती है, तो एमपी सरकार क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

एमपी में धान के साथ गेहूं की खरीद का भी है वादा

एमपी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की Farmers Unit भारतीय किसान संघ के प्रवक्ता राहुल धूत ने किसान तक को बताया कि उनका संगठन किसानों से किए गए हर चुनावी वादे को निभाने के लिए मोहन यादव सरकार पर माकूल दबाव बना रहा है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार को सिर्फ धान की खरीद का वादा पूरा करना था, मगर एमपी में गेहूं और धान, दोनों की खरीद का चुनावी वादा जनता से किया गया था. 

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भाजपा को है भरोसे का संकट

एमपी के युवा किसान नेता राहुल राज ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी साय सरकार के मंत्रियों को अभी तक विभाग नहीं मिले हैं. इसके बाद भी राज्य सरकार ने कामकाज संभालने के एक सप्ताह के भीतर ही किसानों से किए वादे पूरे करना शुरू कर दिया है. राज ने दलील दी कि एमपी में किसानों को रबी की फसल के लिए पैसे की अभी जरूरत है, अगर अभी बोनस के साथ धान की खरीद नहीं होगी तो किसान खुद को ठगा हुआ महसूस करेंगे.

उन्होंने भाजपा सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि सरकारी फैसले करने में देरी, किसानों पर तो भारी पड़ेगी ही, साथ में भाजपा को भी किसानों के प्रति विश्वसनीयता के संकट का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यदि किसानों को लगा कि वादा पूरा करने के लिए सरकार संजीदा नहीं है, तो किसानों को सड़क पर उतरना पड़ेगा.

मोदी की गारंटी है, फिर भी हो रही देरी

किसान संघ के राहुल धूत ने कहा कि बेशक, किसानों से किए चुनावी वादे पूरे करने में फिलहाल छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने बाजी मार ली है, मगर एमपी में भी किसानों को मायूस होने की जरूरत नहीं है. धूत ने कहा कि ये महज चुनावी वादे नहीं हैं, बल्कि 'मोदी की गारंटी' है. किसानों को भरोसा है कि इस गारंटी पर मोहन यादव सरकार जरूर खरी उतरेगी. यह बात दीगर है कि इसकी राह में कुछ तकनीकी वजहों से देर भले हो रही हो, मगर गारंटी तो पूरी हाेकर रहेगी.

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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 3100 रुपये प्रति कुंतल की दर से धान खरीद कर किसानों को बोनस देने के लिए नियमों की बाधा को पार करते हुए 'कृषक उन्नति योजना' बनाई है. इसके तहत साय सरकार ने अपने चुनावी वादे के अनुरूप राज्य में इस साल 130 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद करने का लक्ष्य तय किया है. इसके एवज में एमएसपी पर धान की खरीद के रूप में किसानों को लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का भुगतान होगा.

पिछली सरकार में किसानों से एमएसपी पर प्रति एकड़ 15 कुंतल धान की खरीद हो रही थी. साय सरकार ने इस सीमा को बढ़ाकर 21 कुंतल कर दिया है. धान की खरीदी 3100 रुपये प्रति कुंतल की दर से होने पर किसानों को प्रति एकड़ धान विक्रय पर 23,355 रुपये का लाभांश मिलेगा.

दरअसल भूपेश बघेल सरकार में किसानों को प्रति एकड़ 15 कुतंल धान की खरीद के एवज में 4 किश्तों में इनपुट सब्सिडी के रूप में 41,745 रुपये दिए जा रहे थे. अब मोदी की गारंटी को लागू करके किसानों से 3100 रुपये प्रति कुंतल की दर से 21 कुंतल प्रति एकड़ धान की खरीद होने पर किसानों को कुल 65,100 रुपये मिलेंगे. पहले की तुलना में यह राशि 23,355 रुपये ज्यादा है.

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