झारखंड में कृषि विभाग की योजनाओं का हाल, बजट में पैसा मिला पर नहीं हुआ खर्च

झारखंड में कृषि विभाग की योजनाओं का हाल, बजट में पैसा मिला पर नहीं हुआ खर्च

केंद्रीय योजनाओं पर तो पशुपालन निदेशालय द्वारा एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया है. गव्य विकास विभाग के लिए 114.12 करोड़ रुपये का बजट आवंटित है. लेकिन योजनाओं पर मात्र 11.59 करोड़ का ही खर्च किया गया है.वही मत्स्य विभाग को राज्य योजना के तहत 154 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है. लेकिन मत्स्य निदेशालय द्वारा अभी तक 16.00 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं. 

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झारखंड में कृषि विभाग की योजनाओं का हाल, बजट में पैसा मिला पर नहीं हुआ खर्चझारखंड में कई योजनाएं ऐसी हैं जिनपर कोई खर्च नहीं हो रहा है (सांकेतिक तस्वीर-Unsplash)

झारखंड में इस साल गंभीर सूखा पड़ा है. किसान परेशान हैं और सूखा के तहत मिल रही राहत को लेने के लिए प्रज्ञा केंद्रों में देर शाम तक इंतजार कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ स्थिति यह है कि अभी भी कृषि, पशुपालन और गव्य विकास द्वारा संचालित कई ऐसी योजनाएं हैं जिन पर एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया है. विभागों से मिली जानकारी और मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-अलग विभागों की ओर से चलाई जाने वाली 53 योजनाएं ऐसी हैं जिनपर एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया है. दूसरी ओर, वित्तीय वर्ष 2022-23 खत्म होने में केवल चार महीने बचे हैं. 

झारखंड राज्य कृषि,पशुपालन एवं गव्य विकास विभाग द्वारा वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 76 योजनाएं लागू की गई थीं. इनमें कृषि विभाग की 21 योजनाएं, पशुपालन की 17 और गव्य विकास विभाग की आठ योजनाएं और मत्स्य विभाग की सात ऐसी योजनाएं हैं. इनके लिए आवंटित की गई राशि का एक भी रुपया योजना के लिए खर्च नहीं हुआ है. दिसंबर लगभग पूरा हो चुका है पर अभी तक इन योजनाओं पर एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया है. 

कुल बजट का इतना हुआ खर्च

इस वर्ष के लिए कृषि विभाग का पुनरीक्षित बजट 2900.61 करोड़ रुपये का है. इनमें से 1941.74 करोड़ रुपये निकालने  की स्वीकृति मिल चुकी है. इसके साथ ही 1754.56 करोड़ रुपये का आवंटन भी विभाग को जारी किया जा चुका है. पर इस आवंटित राशि में से अब तक मात्र 13.54 करोड़ रुपये की खर्च किए गए हैं. यह राशि कुल बजट का मात्र पांच फीसदी है. 

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केंद्रीय योजनाओं पर खर्च नहीं

वहीं अगर पशुपालन मत्स्य और गव्य विकास विभाग का पुनरीक्षित बजट देखें तो यह 399.64 करोड़ रुपये का है. इनमें से 229.63 करोड़ रुपये की स्वीकृति और आवटंन विभाग को दिया जा चुका है. स्थिति ये है कि विभाग से मिले इस आवंटन से अब तक मात्र 36.12 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं. केंद्रीय योजनाओं पर तो पशुपालन निदेशालय द्वारा एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया है. गव्य विकास विभाग के लिए 114.12 करोड़ रुपये का बजट आवंटित है. लेकिन योजनाओं पर मात्र 11.59 करोड़ का ही खर्च किया गया है.वही मत्स्य विभाग को राज्य योजना के तहत 154 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है. लेकिन मत्स्य निदेशालय द्वारा अभी तक 16.00 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं. 

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योजनाएं जिनपर नहीं हुआ खर्च

कृषि विभाग की ओर से चलाई जाने वाली योजनाओं में बिरसा बीज उत्पादन विनिमय और वितरण, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना, कृषक ऋण माफी योजना, किसाम समृद्धि योजना, गन्ना विकास योजना, राष्ट्रीय कृषक विकास योजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, कृषि स्मार्ट ग्राम योजना जैसी कई स्कीम हैं जिनपर पैसे खर्च नहीं किए गए. इसके अलावा गव्य विकास, मत्स्य और पशुपालन विभाग द्वारा संचालित भी कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनपर एक रुपये की राशि खर्च नहीं की गई है. 

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