प्राकृतिक आपदा से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचने के लिए किसान भाई-बहन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं. लेकिन, रबी फसलों का बीमा करवाने के लिए अब सिर्फ पांच दिन का समय शेष है. इस साल के अंतिम दिन यानी 31 दिसंबर तक ही इस सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है. ऐसे में देर न करें. यह योजना किसानों के लिए किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं है. हरियाणा सरकार ने किसानों से इस स्कीम का फायदा उठाने की अपील की है.
कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. सुरेन्द्र सिंह यादव ने जिले के किसानों से आह्वान किया है कि स्कीम के तहत किसान अपनी रबी की फसल का 31 दिसंबर तक बीमा अवश्य करवाएं. उन्होंने बताया कि किसान रबी की पांच फसलों गेहूं, जौ, चना, सरसों व सूरजमुखी का बीमा करवा सकते हैं. किसानों को कुल प्रीमियम का सिर्फ 1.5 फीसदी पैसा देना होगा. बाकी पैसा राज्य और केंद्र सरकार की ओर से जाएगा. ऐसे में यह योजना आपके लिए फायदे का सौदा है.
हर राज्य और हर जिले में एक ही फसल का प्रीमियम अलग-अलग होता है. अब अगर बात अंबाला जिले की करें तो यहां पर यदि कोई किसान एक हेक्टेयर में गेहूं की फसल का बीमा करवाना चाहता है तो उसे 1062.51 रुपये का प्रीमियम भरना होगा. फसल नुकसान होने पर उसे अधिकतम 70834 रुपये का क्लेम मिलेगा. यहां पर सरसों के बीमा के लिए सिर्फ 715.14 रुपये देना होगा. बीमा करवाने के बाद यदि फसल खराब हो गई तो उसे 47676 रुपये का क्लेम मिलेगा.
एक हेक्टेयर में बोई गई चने की फसल के लिए सिर्फ 531.24 रुपये का प्रीमियम देना होगा. किसी प्राकृतिक आपदा से फसल नुकसान होने पर उसे किसान को अधिकतम 35416 का क्लेम मिलेगा. इसी तरह जौ की फसल के लिए एक हेक्टेयर का सिर्फ 694.71 रुपये का प्रीमियम देना होगा. जबकि, अगर एक हेक्टेयर में बोई गई सूरजमुखी की फसल का बीमा करवाना है तो 694.71 रुपये प्रीमियम देना होगा. फसल खराब होने पर संबंधित बीमा कंपनी आपको अधिकतम 46314 रुपये का मुआवजा देगी.
किसान क्रेडिट कार्ड के सभी ऋणी किसान अपने संबंधित बैंक में जाकर अपनी फसल का सही ब्यौरा दर्ज करवाएं. गैर ऋणी किसान अपनी फसल का बीमा करवाने के लिए आधार कार्ड, बैक खाता संख्या, भूमि एंव फसल बुआई संबंधित दस्तावेज लेकर अपने नजदीकी बैक शाखा, सहकारी समिति व कॉमन सर्विस सेंटर से संपर्क करें. बीमा के लिए नोटिफाइड क्षेत्रों में इन पांच फसलों को उगाने वाले बटाईदार किसान भी इस योजना के लिए पात्र हैं. योजना में स्थानीय आपदा, फसल बुआई से कटाई तथा कटाई से 15 दिन बाद तक के नुकसान की भरपाई की जाती है.
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