झारखंड में किसानों की आय बढ़ाने के लिए पशुपालन विभाग की तरफ से विशेष पहल की जा रही है. इसके तहत किसानों को उन्नत खेती करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. झारखंड में पशुपालन विभाग की तरफ से किसानों को एकीकृत खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अलग-अलग कार्याशाल के माध्यम से किसानों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसे सीख जाने के बाद ना सिर्फ किसानों का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि कृषि में उनकी लागत भी कम होगी. इससे उनका मुनाफा बढ़ेगा और कमाई बढ़ेगी. इस कार्यशाला में शामिल होकर किसान कई प्रकार की फसलों की खेती करने के अलावा विभिन्न प्रकार की कृषि से जुड़ी गतिविधियों के बारे में भी जानकारी हासिल करेंगे.
जिला पशुपालन अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि विभाग की तरफ से किसानों को जागरूक करने के लिए नियमित रूप से कार्यशालाओं का आय़ोजन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एकीकृत खेती एक विश्वसनीय तरीका है, और इसलिए, किसान इसके माध्यम से अपने मुनाफे को दोगुना या तिगुना कर सकते हैं. इतना ही नहीं इसमें फायदा यह है कि अगर किसी प्राकृतिक आपदा के कारण एक फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है तब भी किसानों के पास दूसरी चीजों से पैसे कमाने का विकल्प मौजूद रहेगा. इससे किसानों को पूरी तरह से नुकसान कभी नहीं होगा.
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किसानों को एकीकृत खेती के बारे में जानकारी दे रहे अशोक कुमार ने कहा कि एकीकृत खेती कृषि का एक ऐसा मॉडल है जो किसानों को खेतों में 10 अलग-अलग कार्य करने का मौका देती है. इसके तहत किसान गाय पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, बतख पालन और मछली पालन करते हैं. साथ ही अलग अलग प्रकार के सब्जियों और फसलों की खेती की जाती है. इसमें अगर फसल बर्बाद भी हो जाती है तो दूध, पनीर अंडा मुर्गी या बकरी बेचकर किसान पैसा कमा सकते हैं. यह एक ऐसा मॉडल है जिसमें किसान को पूरे साल भर खेत से कुछ ना कुछ मिलता रहता है. इसके तहत किसान मोटे अनाज की भी खेती कर सकते हैं.
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इसके साथ ही जिला अधिकारी ने बताया कि राज्य के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए विभाग की तरफ से कई योजनाएं भी चलाई जा रही है. इसके तहत बैल जोड़ी वितरण योजना, सुअर पालन विकास योजना और अन्य शामिल हैं. योजनाओं के तहत सरकार दूध निकालने के लिए विशेष मशीनें भी मुहैया कराती है. इसका लाभ किसान उठा रहे हैं. आज के दौर में एकीकृत खेती इसलिए अच्छी मानी जाती है क्योंकि मौसम में हमेशा उतार चढ़ाव होते रहते हैं और किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है. पर अगर किसान एकीकृत खेती करते हैं तो वो मौसम की मार से बच सकते हैं. इस प्रशिक्षण और विभाग की योजनाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए रांची स्थित पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग से संपर्क कर सकते हैं.
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