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हिमाचल के किसानों को इस साल नहीं मिलेगा सेब की इस स्कीम का लाभ, वजह जान लें

हिमाचल के किसानों को इस साल नहीं मिलेगा सेब की इस स्कीम का लाभ, वजह जान लें

किसान सेब, ख़ुरमा, बेर, नाशपाती और अन्य फलदार पेड़ों की सुरक्षा के अलावा अन्य सब्जियों की उपज को बचाने के लिए एंटी-हेल नेट का उपयोग करते हैं. एंटी-हेल नेट पक्षियों को फलों और सब्जियों को नुकसान पहुंचाने से भी बचाता है. कृषि विभाग में योजना के लिए बजट का प्रावधान न होने से किसान चिंतित हैं.

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कु्ल्लू के किसानों को नहीं मिलेगा योजना का फायदा. (सांकेतिक फोटो) कु्ल्लू के किसानों को नहीं मिलेगा योजना का फायदा. (सांकेतिक फोटो)

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के किसानों-बागवानों को इस साल एंटी हेल नेट योजना की सुविधा नहीं मिलेगी, क्योंकि कृषि विभाग को इसके लिए बजट नहीं मिला है. सरकार किसानों-बागवानों को एंटी हेल नेट योजना के तहत 80 फीसदी सब्सिडी देती है. कृषि विभाग में एंटी हेल नेट के लिए आवेदन कर चुके कई किसानों को अब उद्यान विभाग में दोबारा आवेदन करना होगा. जिले में कृषि विभाग के पास किसानों के 500 से अधिक आवेदन लंबित हैं.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक,  यह योजना बागवानी विभाग के माध्यम से शुरू की गई थी और बाद में राज्य की पिछली भाजपा सरकार द्वारा इसे कृषि उत्पादन संरक्षण योजना के रूप में कृषि विभाग तक बढ़ा दिया गया था. ओलावृष्टि किसानों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाने का एक कारण है, क्योंकि इससे मटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, खीरा, टमाटर, शिमला मिर्च आदि जैसी खड़ी सब्जियों की फसलों और अन्य विदेशी सब्जियों की फसलों को नुकसान होता है.

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क्या है एंटी-हेल नेट योजना

किसान सेब, ख़ुरमा, बेर, नाशपाती और अन्य फलदार पेड़ों की सुरक्षा के अलावा अन्य सब्जियों की उपज को बचाने के लिए एंटी-हेल नेट का उपयोग करते हैं. एंटी-हेल नेट पक्षियों को फलों और सब्जियों को नुकसान पहुंचाने से भी बचाता है. कृषि विभाग में योजना के लिए बजट का प्रावधान न होने से किसान चिंतित हैं. किसानों ने कहा कि सरकार को खाद्य उत्पादन में स्थिरता, दक्षता और लचीलापन लाने का प्रयास करना चाहिए और खाद्य उत्पादन से संबंधित विभागों के साथ ऐसी किसान अनुकूल योजनाएं जारी रखनी चाहिए.

अभी तक नहीं मिला है बजट

उन्होंने कहा कि सरकार को उत्पादन से लेकर कृषि की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग (एआई/एमएल), मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) और अन्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग का पता लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन पारंपरिक कृषि पद्धतियों के लिए चुनौतियां पैदा कर रहे हैं और टिकाऊ खाद्य उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना अनिवार्य हो गया है. कुल्लू कृषि विभाग के उपनिदेशक सुशील शर्मा ने कहा कि विभाग को एंटी हेल नेट योजना के संबंध में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि  उन्हें इस वर्ष अभी तक योजना के लिए बजट नहीं मिला है.

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