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विश्वविद्यालयों में शुरू होगी कैंपस कोऑपरेट‍िव बनाने की मुह‍िम, क‍िसानों-व‍िद्यार्थ‍ियों को म‍िलेगा फायदा 

विश्वविद्यालयों में शुरू होगी कैंपस कोऑपरेट‍िव बनाने की मुह‍िम, क‍िसानों-व‍िद्यार्थ‍ियों को म‍िलेगा फायदा 

रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे ने कहा क‍ि सहकारी क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए इस समय अवसरों की भरमार है और कैंपस कोऑपरेटिव भविष्य में एक बड़ा प्रोजेक्ट बनकर उभर सकते हैं. इसका विचार एकदम अनोखा और अवसर अथाह हैं. 

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कैंपस कोऑपरेट‍िव बनाने के ल‍िए जेएनयू में हुआ मंथन. कैंपस कोऑपरेट‍िव बनाने के ल‍िए जेएनयू में हुआ मंथन.

देश के सबसे चर्च‍ित उच्च श‍िक्षण संस्थानों में से एक द‍िल्ली स्थ‍ित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में जल्द ही कैंपस कोऑपरेट‍िव की स्थापना होगी. इसकी कोश‍िश में वर्ल्ड इकोनॉम‍िक कोऑपरेट‍िव फोरम और नेशनल कोऑपरेट‍िव यून‍ियन ऑफ इंड‍िया (NCUI) दोनों जुट गए हैं. साथ ही अगले दो साल में देश में 500 कैंपस कोऑपरेट‍िव बनाने का लक्ष्य रखा गया है, ताक‍ि ब‍िचौल‍ियों और व्यापार‍ियों को हटाकर कैंपस के कंज्यूमर और क‍िसानों फायदा द‍िलाया जा सके. जेएनयू में कैंपस कोऑपरेट‍िव बनाने के ल‍िए आयोज‍ित एक कार्यक्रम में मौजूद सहकारी क्षेत्र के नेताओं ने एक साथ म‍िलकर इस द‍िशा में आगे बढ़ने पर जोर द‍िया. इसमें एनसीयूआई और इफको के चेयरमैन द‍िलीप संघानी भी मौजूद रहे. जो इस वक्त सहकार‍िता मंत्री के साथ म‍िलकर देश में सहकार‍िता आंदोलन को आगे बढ़ाने की मुह‍िम में जुटे हुए हैं.  

कैंपस कोऑपरेट‍ि‍व बनाने की मुह‍ित में वैम‍नीकाम में कॉपरेट‍िव ब‍िजनेस मैनेजमेंट के अल्मुनाई एसोस‍िएशन (AADVAM) अहम भूम‍िका अदा करेगी. वैम‍नीकाम देश में सहकार‍िता श‍िक्षा देने वाली सबसे बड़ी संस्था है. कार्यक्रम में दिलीप संघाणी ने कहाक‍ि पूरे देश में सहकारी क्षेत्र पर काफी जोर दिया जा रहा है, लेकिन इस आंदोलन को आगे ले जाने के लिए युवाओं की सहभागिता बहुत जरूरी है. प्रतिभावान युवाओं को आंदोलन से जोड़ने और नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए कैंपस कोऑपरेटिव एक महत्वपूर्ण कदम है. 

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व‍िचार अनोखा, अवसर अथाह 

इस पहल पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे ने कहा क‍ि सहकारी क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए इस समय अवसरों की भरमार है और कैंपस कोऑपरेटिव भविष्य में एक बड़ा प्रोजेक्ट बनकर उभर सकते हैं. इसका विचार एकदम अनोखा और अवसर अथाह हैं. सरकार का ध्यान सहकारी आंदोलन पर है ही, ऐसे में शुरुआती फंड  की चुनौती भी आड़े नहीं आएगी.

युवाओं को क्या म‍िलेगा  

एग्रीकल्चर कमोडिटी ट्रेडिंग का काम करने वाले नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) के एमडी अरुण रस्ते ने युवाओं से कहा है क‍ि अगर आप लोग कॉपरेट‍िव चलाते हैं कैंपस में और तीन-साल साल रहते हैं कैंपस में तो आपको इससे लीडरश‍िप स्क‍िल्स म‍िल सकती है, मैनेजमेंट स्क‍िल म‍िल सकती है, अकाउंट‍िंग स्क‍िल म‍िल सकती है. जब आप कैंपस छोड़कर जाएंगे तो र‍िटायर होने की भी स्क‍िल भी म‍िल जाती है. कैंपस में इसे बनाना बहुत लाभकारी रहेगा. 

क‍िसानों को कैसे होगा फायदा

वर्ल्ड इकोनॉम‍िक कोऑपरेट‍िव फोरम के कार्यकारी अध्यक्ष और कार्यक्रम के आयोजक ब‍िनोद आनंद ने कहा क‍ि यून‍िवर्स‍िटी कैंपस की मार्केट इंटेलीजेंस र‍िपोर्ट बनाने की जरूरत है, ताक‍ि कैंपस के कंज्यूमर बिहेवियर का पता चल सके. उसके आधार पर कॉपरेट‍िव अपने मार्केट‍िंग का न‍िर्णय ले पाएं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक रपट के अनुसार वर्ष 2020-21 में देश के कुल 1113 विश्वविद्यालयों और 43796 महाविद्यालयों में 4 करोड़ से ज्यादा युवा उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे. 

ऐसे में कैंपस में एक बड़ा कंज्यूमर आधार है, ज‍िसका फायदा क‍िसानों को म‍िल सकता है. कैंपस में राशन, फलों-सब्ज‍ियों, दूध-दही, क‍िताबों, स्टेशनरी और कपड़े जैसी तमाम चीजों की जरूरत होती है. ज‍िसकी आपूर्त‍ि क‍िसान कर सकते हैं. कोऑपरेट‍िव मॉडल पर काम होगा तो व‍िद्यार्थ‍ियों को र‍ियायती दर पर चीजें म‍िलेंगी. 

कैंपस में शुरू होगा नया ट्रेंड

जेएनयू परिसर में कैंपस कोऑपरेटिव स्थापित करने की जिम्मेदारी ले चुके जेएनयू के एसोस‍िएट प्रोफेसर डॉ. सुधीर सुथार ने आशा जताई कि हम कैंपस में एक नया ट्रेंड शुरू कर सकते हैं. देश में गिनती के ही स्टूडेंट कोऑपरेटिव हैं, लेकिन हमें पूरी आशा है कि अब इनकी संख्या बढ़ेगी.

इस अवसर पर भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के महानिदेशक डॉ. एसएन त्रिपाठी, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के एमडी प्रकाश नाइकनवारे, आईएफएस अध‍िकारी सुशील कुमार स‍िंगला, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की प्रोफेसर मल्ल‍िका कुमार, वैम‍नीकाम की न‍िदेशक डॉ. हेमा यादव और एनसीयूआई के डायरेक्टर संजय कुमार वर्मा सह‍ित कई लोग मौजूद रहे. 

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