महाराष्ट्र में डेयरी और डेयरी किसान पिछले काफी दिनों से सरकार की नीतियों से खासे नाराज हैं. उनका मानना है कि राज्य सरकार के एक फैसले के बाद डेयरी और डेयरी किसान एक ही रास्ते पर आ गए हैं. राज्य सरकार की तरफ से डेयरी किसानों को पांच रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देने का फैसला किया गया है. इस फैसले ने राज्य की डेयरीज और डेयरी किसानों दोनों को ही नाखुश कर दिया. किसानों ने 40 रुपये प्रति लीटर के न्यूनतम खरीद मूल्य की मांग को लेकर अपना आंदोलन जारी रखा है. वहीं कई डेयरी ने इससे होने वाले वित्तीय नुकसान की शिकायत की है. जानें इस सब्सिडी के बारे में और आखिर किसानों को इससे क्यों शिकायत है.
पिछले सप्ताह उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने दूध की कीमतों को स्थिर करने के लिए डेयरी किसानों को 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देने की घोषणा की थी. सब्सिडी का भुगतान तभी किया जाएगा जब डेयरीज की तरफ से अपने किसानों को 3.5 फीसदी फैट और 8.5 फीसदी एसएनएफ (सॉलिड नॉट फैट) वाले दूध के लिए 30 रुपये प्रति लीटर का बेस प्राइस देंगी. डेयरीज की तरफ से पेमेंट डिटेल्स देने के बाद सब्सिडी का भुगतान सीधे किसानों के खातों में किया जाएगा. पवार ने कहा कि इससे किसानों को उनके बेचे गए दूध के लिए 35 रुपये प्रति लीटर का खरीद मूल्य मिलना सुनिश्चित होगा. राज्य में प्रतिदिन 1.62 करोड़ लीटर दूध की खरीद की रिपोर्ट है और यह सब्सिडी 1 जुलाई से शुरू हुई थी.
यह भी पढ़ें-Farmers Protest: राहुल गांधी और अखिलेश यादव को अपना मंच नहीं देंगे किसान, क्या है रणनीति?
हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में महायुति गठबंधन को मिली करारी हार के बाद, इस सब्सिडी को राज्य में डेयरी किसानों के बीच गुस्से को कम करने के उपाय के रूप में देखा जा रहा है. मिल्क प्रोड्यूसर्स रेजिस्टान्स मूवमेंट के तहत किसान 40 रुपये प्रति लीटर के न्यूनतम खरीद मूल्य के लिए आंदोलन कर रहे हैं. उनका कहना है कि सूखे के कारण उत्पादन की बढ़ती लागत और साथ ही चारे के साथ-साथ ताजा और सूखे चारे जैसे इनपुट की बढ़ती लागत को देखते हुए यह जरूरी था. सीपीआई (एम) के किसानों से जुड़े संगठन अखिल भारतीय किसान सभा की तरफ से डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल के साथ लगातार मीटिंग्स की गई हैं. लेकिन कई मीटिंग के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है.
यह भी पढ़ें-Cow breed: गाय की नई नस्ल फ्रीजवाल कम देखभाल में देगी अधिक दूध, जानें इसकी खासियत
वहीं किसान और डेयरीज इस फैसले से खुश नहीं हैं. विशेषज्ञों के अनुसार दूध की खरीद कीमत यानी किसानों से खरीदे गए दूध के लिए डेयरियों द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत, बाकी बातों के अलावा, फैट और स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की कीमत पर निर्भर करती है. एसएमपी तरल दूध से फैट निकालने के बाद दूध से मिले प्राप्त निर्जल पाउडर जैसा पदार्थ है. पाउच में लिक्विड मिल्क के अलावा, डेयरियां मक्खन, घी, आइसक्रीम जैसे प्रॉडक्ट बेचती हैं. साथ ही जो एक्स्ट्रा दूध को फैट और एसएमपी जैसी चीजों में बदल दिया जाता है. वर्तमान समय में फैट 315 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जाता है जबकि एसएमपी लगभग 205-210 रुपये प्रति किलोग्राम है.
यह भी पढ़ें-किसान नेता नवदीप सिंह को जमानत, शंभू बॉर्डर पर आंदोलन में दर्ज हुआ था मुकदमा
दुग्ध उत्पादकों और प्रसंस्करणकर्ताओं कल्याण संघ (महाराष्ट्र में प्राइवेट और सरकारी डेयरीज की एक यूनिट) के अध्यक्ष गोपालराव म्हास्के ने कहा कि सरकार के 30 रुपये के आधार मूल्य को पूरा करने के लिए डेयरियों को अतिरिक्त 3 रुपये प्रति लीटर का भुगतान करना होगा. उनका कहना है कि डेयरीज अपने आप तीन रुपये प्रति लीटर का भुगतान नहीं कर सकती थीं. ऐसे में डेयरीज पर 1 रुपये प्रति लीटर की एक्स्ट्रा कॉस्ट आएगी.
यह भी पढ़ें-Onion Price: महाराष्ट्र की इन मंडियों में 3000 रुपये क्विंटल है प्याज का भाव, बाकी मंडी के भी देखें रेट्स
वहीं, ज्यादातर डेयरी किसानों का कहना है कि 35 रुपये प्रति लीटर की कीमत से उनका गुजारा नहीं हो पा रहा है. किसानों ने कहा कि वर्तमान समय में उत्पादन लागत करीब 40 रुपये प्रति लीटर है. जबकि पिछले कुछ महीनों से किसान लगातार घाटे में हैं. ऐसे में इस सब्सिडी का कोई मतलब नहीं है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today