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Politics: दुष्यंत चौटाला से इतने क्यों नाराज हैं क‍िसान क‍ि उनकी मां को मांगनी पड़ी माफी, यहां पढ़‍िए पूरी कहानी

Politics: दुष्यंत चौटाला से इतने क्यों नाराज हैं क‍िसान क‍ि उनकी मां को मांगनी पड़ी माफी, यहां पढ़‍िए पूरी कहानी

जानेमाने क‍िसान नेता और उप प्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल के परपोते हैं दुष्यंत चौटाला. क‍िसानों के नाम पर सत्ता में आई पार्टी जेजेपी के ख‍िलाफ हो रहे व‍िरोध की असली वजह क्या है. उनकी मां नैना चौटाला द्वारा माफी मांगने पर क्या कहते हैं क‍िसान संगठन. क्या उन्हें म‍िलेगी माफी और हर‍ियाणा की स‍ियासत के चूल्हे पर फ‍िर चढ़ेगी काठ की हांडी? 

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हर‍ियाणा के क‍िसान दुष्यंत चौटाला से पूछ रहे हैं कड़वे सवाल. हर‍ियाणा के क‍िसान दुष्यंत चौटाला से पूछ रहे हैं कड़वे सवाल.

लोकसभा चुनाव की जंग शुरू हो चुकी है. इस बीच हरियाणा की स‍ियासत रोज नया मोड़ ले रही है. खासतौर पर बीजेपी द्वारा दूध की मक्खी की तरह सत्ता से बाहर निकाली गई जननायक जनता पार्टी (JJP) पर लोगों की नजरें लगी हुई हैं. साल 2018 में 9 दिसंबर को बनी यह पार्टी मुख्य रूप से एक ग्रामीण जाट-केंद्रित पार्टी है, जिसका मुख्य वोट आधार किसान वर्ग माना जाता है, लेक‍िन यही वर्ग अब हाथ धोकर इसके पीछे पड़ता द‍िखाई दे रहा है. ज‍िस वर्ग ने पहली बार में इस पार्टी की झोली में व‍िधानसभा की 10 सीटें डालकर इसके नेताओं को 'क‍िंग मेकर' बना द‍िया था, अब वही वर्ग इसके प्रमुख नेता दुष्यंत चौटाला का व‍िरोध कर रहा है. काले झंडे द‍िखा रहा है और सवाल पूछ रहा है. व‍िरोध की च‍िंगारी इस कदर फैल चुकी है अब सामने आकर दुष्यंत चौटाला की व‍िधायक मां नैना चौटाला को क‍िसानों से माफी मांगनी पड़ रही है. पार्टी में बगावत भी शुरू हो चुकी है. 

लेक‍िन, बड़ा सवाल यह है क‍ि आख‍िर क‍िसान उनसे नाराज क्यों हैं, क्या वो दुष्यंत को माफ करेंगे और क्या काठ की हांडी स‍ियासत के चूल्हे पर फ‍िर चढ़ेगी? इन प्रश्नों के उत्तर जानने से पहले जरा थोड़ी सी जानकारी दुष्यंत चौटाला की भी दे देते हैं. वो देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और क‍िसान नेता चौधरी देवीलाल के परपोते हैं. दुष्यंत जब 2014 में सांसद बने थे तो उनकी उम्र महज 25 वर्ष 11 महीने और 15 दिन थी. वो देश के सबसे युवा सांसद बताए गए थे. उस दौरान वो खुद को ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत का सबसे बड़ा दावेदार बता रहे थे. अपने पर‍िवार की ही पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) से अलग होकर उन्होंने प‍िता अजय चौटाला और भाई द‍िग्व‍िजय चौटाला के साथ जननायक जनता पार्टी बना ली. 

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बीजेपी के ख‍िलाफ लड़े थे चुनाव लेक‍िन...

पार्टी बनने के बाद पहले ही व‍िधानसभा चुनाव (2019) में उन्हें 10 सीटें म‍िल गईं. खास बात यह है क‍ि दुष्यंत और उनकी पार्टी ने बीजेपी के ख‍िलाफ चुनाव लड़ा था. चुनाव में 65 पार का नारा दे रही बीजेपी 90 सदस्यीय व‍िधानसभा में स‍िर्फ 40 पर स‍िमट गई थी. दुष्यंत और उनकी पार्टी ने चुनाव में दो बड़े मंत्रियों वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण बेदी और साथ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को भी धूल चटा दी. 

हालांक‍ि बाद में दुष्यंत ने बीजेपी के साथ ही म‍िलकर सरकार बना ली. खुद ड‍िप्टी सीएम का पद ल‍िया और सारे मलाईदार व‍िभाग उनके पास आ गए. हर‍ियाणा में दुष्यंत चौटाला और उनकी पार्टी के ख‍िलाफ पहली नाराजगी यही थी. उनकी व‍िश्चसनीयता को लोगों ने यह कहकर कटघरे में खड़ा क‍िया क‍ि जेजेपी को वोट बीजेपी के व‍िरोध वाले म‍िले थे तो दुष्यंत चौटाला कैसे बीजेपी के साथ ही म‍िलकर सरकार बना सकते हैं? 

दुष्यंत के ख‍िलाफ दूसरी नाराजगी 

इसके बाद लगभग 13 महीने तक चले क‍िसान आंदोलन के दौरान हर‍ियाणा के क‍िसानों और जाट समुदाय ने दुष्यंत पर भरपूर दबाव बनाने की कोश‍िश की क‍ि वो बीजेपी का साथ छोड़ दें. जब साथ छोड़ देंगे तो मनोहरलाल खट्टर सरकार ग‍िरने का खतरा पैदा होगा और तीनों कृष‍ि कानूनों को केंद्र सरकार वापस लेने पर मजबूर हो जाएगी. लेक‍िन दुष्यंत ने खापों और क‍िसानों के दबाव को गंभीरता से नहीं ल‍िया. उनके शासन में कुरुक्षेत्र में दो बार क‍िसानों पर लाठी चार्ज हुआ. पुल‍िस ने बुजुर्ग क‍िसानों की प‍िटाई की, लेक‍िन दुष्यंत चौटाला टस से मस नहीं हुए. दुष्यंत के ख‍िलाफ हर‍ियाणा के क‍िसानों की दूसरी बड़ी नाराजगी यहां से पनपी.  

जेजेपी के ख‍िलाफ नाराजगी का तीसरा दौर 

दुष्यंत के ख‍िलाफ तीसरी बड़ी नाराजगी तब सामने आई जब 13 फरवरी को 12 मांगों को लेकर क‍िसानों ने आंदोलन शुरू क‍िया. हर‍ियाणा सरकार ने रास्तों पर पक्की नाकाबंदी और तारबंदी कर दी, ताक‍ि क‍िसान द‍िल्ली न जा पाएं. उस वक्त मनोहर लाल खट्टर सीएम और दुष्यंत चौटाला ड‍िप्टी सीएम थे. हर‍ियाणा पुल‍िस ने शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर क‍िसानों की तरफ आंसू गैस के अनग‍िनत गोले दागे. तभी क‍िसानों ने एलान कर द‍िया था क‍ि अगर हर‍ियाणा सरकार एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर उन्हें आंदोलन करने द‍िल्ली नहीं जाने देगी तो वो बीजेपी और जेजेपी नेताओं को गांवों में नहीं घुसने देंगे. उनका व‍िरोध होगा. इसके बाद 12 मार्च को बीजेपी ने जेजेपी से गठबंधन तोड़कर उसे सरकार से अलग कर द‍िया. 

क्यों सताने लगी क‍िसानों की याद 

सरकार से अलग होते ही दुष्यंत चौटाला को क‍िसानों की याद सताने लगी. वो नाखून काटकर शहीद बनने की कोश‍िश करने लगे. उन्होंने खुद को क‍िसानों का ह‍ितैषी बताना शुरू कर द‍िया, ज‍िसके बाद क‍िसान पुरानी बातें याद द‍िलाने लगे. अब हालात यह हैं क‍ि इस समय हर‍ियाणा में क‍िसान अगर सबसे ज्यादा क‍िसी का व‍िरोध कर रहे हैं तो वो दुष्यंत चौटाला हैं. उनके प‍िता अजय चौटाला का भी व‍िरोध हो रहा है, ज‍िन पर क‍िसान आंदोलन के ख‍िलाफ बयानबाजी करने का आरोप है. 

यही नहीं अब उनकी पार्टी जेजेपी में बगावत भी शुरू हो गई है. प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने पार्टी छोड़ दी है. कई व‍िधायक नाराज बताए गए हैं. किसानों का आरोप है कि चौटाला ने उन 750 किसानों के लिए कभी आवाज नहीं उठाई, जो अब रद्द किए जा चुके कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन के दौरान मौ‍त के श‍िकार हो गए थे. उस समय जेजेपी हरियाणा में सत्तारूढ़ बीजेपी की गठबंधन सहयोगी थी.

नैना चौटाला ने मांगी माफी 

फ‍िलहाल, दुष्यंत चौटाला और उनके प‍िता के ख‍िलाफ लगातार हो रहे क‍िसानों के विरोध पर उनकी मां नैना चौटाला बचाव में सामने आई हैं. उन्होंने कहा कि चने के साथ हमेशा घुन पिसता है. किसानों में दिल्ली जाने से रोके जाने का रोष है और वो बीजेपी से नाराज हैं. ऐसे में साढ़े चार साल साथ रहने के चलते दुष्यंत का विरोध हो रहा है. दुष्यंत ने हमेशा किसानों की आवाज उठाई. सांसद रहते संसद में ट्रैक्टर लेकर गया और ट्रैक्टर का टैक्स हटवाया. हरियाणा में 14 फसलें एमएसपी पर खरीदी और किसानों के खाते में सीधा पैसा डाला. फिर भी किसानों को नाराजगी है तो मैं माफी मांगती हूं. लोग दुष्यंत के ख‍िलाफ प्रदर्शन न करें बल्क‍ि म‍िल बैठकर नाराजगी दूर करें.  

माफी का सवाल ही नहीं: एसकेएम 

बहरहाल, क‍िसानों के व‍िरोध और पार्टी में मची भगदड़ के बीच दुष्यंत चौटाला ने सूबे की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारने का एलान क‍िया है. भिवानी महेन्द्रगढ़ सीट से प्रत्याशी घोष‍ित भी कर द‍िया है. लेक‍िन क‍िसानों का व‍िरोध कायम है. क‍िसानों ने साफ कहा है क‍ि अगर दुष्यंत चौटाला शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे क‍िसान आंदोलन में भी आकर माफी मांगेंगे तो भी उन्हें माफ नहीं क‍िया जाएगा. क्योंक‍ि वो सत्तालोलुप और अवसरवादी हैं. काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती. इसल‍िए उन्हें माफी नहीं दी जाएगी. 

संयुक्त क‍िसान मोर्चा-अराजनैत‍िक के प्रवक्ता मनोज जागलान का कहना है क‍ि दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी से अब लोगों को नाराजगी नहीं बल्क‍ि नफरत है. इसल‍िए माफी का कोई सवाल ही नहीं बनता. बीजेपी और दुष्यंत चौटाला पहले से 'सेट गेम' के तहत अलग हुए हैं. इसल‍िए लोग दोबारा इनके छलावा में नहीं आने वाले हैं. भारतीय क‍िसान यून‍ियन, चढूनी ग्रुप के प्रवक्ता प्र‍िंस बडैच का कहना है क‍ि दुष्यंत चौटाला के राज में जो कुछ भी हुआ है उसे क‍िसान भुला नहीं सकते. क‍िसी भी सूरत में क‍िसान व‍िरोधी इस नेता को माफ नहीं क‍िया जाएगा. 

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