बाबू जगजीवन राम, वह शख्स जिनके एक फैसले ने इंदिरा गांधी समेत पूरी कांग्रेस को सन्न कर दिया था. बाबू जगजीवन राम देश के कृषि मंत्री भी रहे थे. लेकिन दो फरवरी 1977 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. 1974 में जब देश में खाद्यान्न संकट गहराया तो उन्हें कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. सन् 1967 में वह देश के श्रम मंत्री थे. इसी समय एक ऐसी घटना हुई थी जो किसानों से जुड़ी थी. देश में एक तरफ जब माहौल चुनाव का हो और दूसरी तरफ किसानों का आंदोलन चल रहा हो तो इस घटना का जिक्र होना लाजिमी है. जानिए क्या थी वह घटना और क्यों आज भी उसकी चर्चा होती है.
जिस घटना के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, वह बिहार के सासाराम में हुई थी. यहां पर चेनारी में उनकी एक आम सभा हो रही थी. वह पूरे जोश में भाषण दे रहे थे कि अचानक मंच पर कुछ ऐसा हुआ जिसने सबको चौंका दिया. यहां पर एक किसान अपने सिर पर धान का गट्ठर लेकर मंच पर पहुंच गया था. किसान ने बाबू जगजीवन राम को फसल दिखाई और बताया कि उस क्षेत्र में सिंचाईं का कोई साधन नहीं है. इसके बाद जगजीवन राम ने ऐलान किया कि दुर्गावती नदी से सिंचाईं के लिए परियोजना शुरू की जाएगी.
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जैसे ही उन्होंने किसान को मंच पर देखा, भाषण रोक दिया. जगजीवन राम ने किसान को अपने पास बुलाकर सारा मामला पूछा. किसान ने कहा, 'यह देखिये, धान की फसल मर गई है. अगर यही स्थिति रही तो फिर किसानों के भूखे मरने की नौबत आते देर नहीं लगेगी.' बिना कुछ सोचे जगजीवन राम ने मंच से ही ऐलान किया दुर्गावती नदी से सिंचाई प्रोजेक्ट को लॉन्च किया जाएगा. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने दुर्गावती जलाशय परियोजना की रिपोर्ट भी तैयार की. लेकिन कई तरह की मुश्किलों की वजह से परियोजना में देरी हो गई. लेकिन सन. 1967 में जब वह केंद्रीय मंत्री थे तो उन्होंने इस परियोजना की नींव रखी.
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आज भी इस परियोजना की वजह से हजारों एकड़ खेती योग्य जमीन की सिंचाईं हो पा रही है. जगजीवन राम सन. 1952 से 1984 तक सासाराम से सांसद थे. जगजीवन राम को कांग्रेस का सबसे वफादार नेता माना जाता था. पार्टी में उनका काफी रसूख भी था. कांग्रेस की सरकार में उन्होंने कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली. सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय वे रक्षा मंत्री थे. 1974 में जब देश में खाद्यान्न संकट गहराया तो उन्हें कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई.
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