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किसान आंदोलन की पूरी जानकारी, क्यों-कैसे और कहां तक है असर

किसान आंदोलन की पूरी जानकारी, क्यों-कैसे और कहां तक है असर

13 फरवरी से शुरू हुआ किसान आंदोलन अभी तक जारी है. लोकसभा चुनावों के दौरान भी इस आंदोलन की गर्मी को महसूस किया जाएगा. प्रदर्शनकारी किसान  पंजाब और हरियाणा में शंभू और खनौरी बॉर्डर पर जमे हुए हैं. कुछ दिनों बाद इस आंदोलन को दो महीने पूरे हो जाएंगे और यह प्रदर्शन आगे कब तक जारी रहेगा, कोई नहीं कह सकता है.

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13 फरवरी से दूसरे किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी 13 फरवरी से दूसरे किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी

13 फरवरी से शुरू हुआ किसान आंदोलन अभी तक जारी है. लोकसभा चुनावों के दौरान भी इस आंदोलन की गर्मी को महसूस किया जाएगा. प्रदर्शनकारी किसान  पंजाब और हरियाणा में शंभू और खनौरी बॉर्डर पर जमे हुए हैं. कुछ दिनों बाद इस आंदोलन को दो महीने पूरे हो जाएंगे और यह प्रदर्शन आगे कब तक जारी रहेगा, कोई नहीं कह सकता है. किसान अब इस अभियान को तेज करने की कोशिशों में लगे हुए हैं. किसान अपनी फसलों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी एमएसपी की मांग जारी रखे हैं और प्रदर्शन में मारे गए किसान शुभकरण सिंह की मौत का मसला भी उठा रहे हैं. 

13 फरवरी से जारी है प्रदर्शन 

पंजाब के हजारों किसानों ने 13 फरवरी को 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू किया. किसानों के साथ बिस्तर और भोजन से लदे ट्रक थे और ये किसान हजारों ट्रैक्टरों के साथ राजधानी की ओर निकल पड़े. इन किसानों को सुरक्षाबलों ने डेस्टिनेशन से करीब 200 किमी पहले रुकने पर मजबूर कर दिया था. पुलिस बल ने आंसूगैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया.  किसानों ने तब से ही बॉर्डर पर डेरा डाला हुआ है.  पिछले कुछ हफ्तों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच छुटपुट झड़पें हुई हैं. किसानों ने एक प्रदर्शनकारी की मौत के लिए पुलिस की आक्रामकता को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि दर्जनों किसान इसमें घायल भी हुए हैं. 

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क्‍या हैं किसानों की मांगें 

किसान विरोध प्रदर्शन में शामिल संगठन फसलों के लिए एमएसपी कानून की गारंटी की मांग कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसी तरह के विरोध प्रदर्शन के साल भर बाद साल 2021 में  कुछ कृषि सुधार कानूनों को वापस ले लिया था. साथ ही सभी फसलों के समर्थन मूल्य तय करने के मकसद से एक पैनल बनाने का वादा भी किया था. किसानों ने सरकार पर उस वादे को पूरा न करने और धीमी गति से चलने का आरोप लगाया है. 

आय दोगुनी करने की भी अपील 

प्रदर्शनकारी यह भी चाहते हैं कि सरकार उनकी आय दोगुनी करने के वादे का सम्मान करे. साथ ही वो यह मांग भी कर रहे हैं कि सरकार उनका कर्ज माफ करने के अलावा उत्पादन की कुल लागत पर कम से कम 50 फीसदी फायदा भी तय करे.  इसके अलावा, उन्होंने उत्‍तर प्रदेश के लखीमपुर से केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है. उनके बेटे को साल 2021 के विरोध प्रदर्शन के दौरान चार प्रदर्शनकारियों को कुचलने और मारने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 

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प्रदर्शन का कितना है असर 

पिछले महीने में, किसानों ने कई बार अपने विरोध प्रदर्शन को तेज किया है. उन्होंने देश भर के किसान साथियों से ट्रैक्टर रैलियां आयोजित करने, मंत्रियों के पुतले जलाने, ट्रेनों और बसों से दिल्ली जाने और रेलवे लाइनों को ब्‍लॉक करने तक की अपील की है. हालांकि उनकी इन अपील का बहुत कम असर पड़ा है. साथ ही विरोध दिल्ली के उत्‍तर में तीन स्थानों तक सीमित रहा है जहां किसानों को सबसे पहले रोका गया था.