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पंजाब में प्राइवेट गोदामों पर नहीं होगी गेहूं की सरकारी खरीद, सरकार ने लिया बड़ा फैसला

पंजाब में प्राइवेट गोदामों पर नहीं होगी गेहूं की सरकारी खरीद, सरकार ने लिया बड़ा फैसला

किसान संगठनों की आलोचना के बाद पंजाब सरकार ने मंगलवार को राज्य में प्राइवेट गोदामों को गेहूं खरीद केंद्र घोषित करने का अपना आदेश वापस ले लिया.  सरकार के फैसले वापस लेने से कुछ घंटे पहले, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने कहा था कि वे पंजाब में प्राइवेट गोदामों को गेहूं खरीद केंद्रों के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देने के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन करेंगे.

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किसानों के आगे झुकी सरकार, वापस लिया फैसला किसानों के आगे झुकी सरकार, वापस लिया फैसला

पंजाब में अब प्राइवेट गोदामों (सायलो) के जरिये गेहूं की सरकारी खरीद नहीं होगी. पंजाब सरकार ने अपने फैसले को वापल ले लिया है. दरअसल, पंजाब में कुछ प्राइवेट गोदामों को गेहूं का क्रय केंद्र बनाया गया था जिस पर दो किसान संगठनों ने अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया था. सात अप्रैल को इसमें और भी तेजी लाने की अपील की गई थी. उससे पहले ही सरकार ने इन क्रय केंद्रों पर खरीद से मना कर दिया है.

सरकार के फैसला लेने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनीतिक) ने कहा था कि वह रविवार को प्राइवेट गोदामों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे. अब पंजाब सरकार विरोध के फैसले के आगे झुक गई है और प्राइवेट गोदामों पर गेहूं की सरकारी खरीद नहीं करने का फैसला लिया है. सीएम भगवंत मान ने प्राइवेट सायलोज को गेहूं खरीद का सब यार्ड बनाने का फैसला वापस लेने का आदेश दिया है. इस बारे में पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन हरचांद सिंह बरसत ने जानकारी दी.

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पंजाब में कितने साइलो 

बरसत ने कहा कि सायलो का इस्तेमाल केवल गेहूं के स्टोरेज के लिए  किया जाएगा और इसे खरीद केंद्र के रूप में कतई प्रयोग नहीं लिया जाएगा. बरसत ने कहा कि किसानों की सुविधा के लिए हर साल नए खरीद केंद्र जोड़े जाते हैं. उन्होंने कहा, पंजाब में कुल 1,907 खरीद केंद्र हैं, जिनमें से 47 इस साल जोड़े गए हैं.

इससे पहले दिन में, एसकेएम (गैर राजनीतिक) और केएमएम ने कहा कि वे 7 अप्रैल को इस मुद्दे पर केंद्र और पंजाब सरकार दोनों के पुतले जलाएंगे. एसकेएम ने दावा किया कि कॉर्पोरेट साइलो अनाज बाजारों को बेकार बना देगा. एसकेएम (गैर राजनीतिक) और केएमएम 'दिल्ली चलो' मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी शामिल की मांग की जा रही है.

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नौ अप्रैल को है प्रदर्शन 

एसकेएम (गैर राजनीतिक) और केएमएम के अलावा, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), जिसने अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के किसान आंदोलन का नेतृत्व किया, ने भी 9 अप्रैल को इस मुद्दे पर एक प्रदर्शन की घोषणा की थी. एसकेएम (गैर राजनीतिक) और केएमएम किसानों द्वारा उनकी मांगों को मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए 'दिल्ली चलो' मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी शामिल है. 

साइलो में न लाएं फसलें 

मंगलवार को मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए, एसकेएम (गैर राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने पंजाब में गेहूं भंडारण के लिए नौ जिलों में कॉर्पोरेट साइलो को खरीद केंद्र घोषित करने के फैसले की निंदा की और कहा कि पंजाब सरकार ने "केंद्र के इशारे पर काम किया है." एकेएमएम नेता सरवन सिंह पंधेर ने आप सरकार पर निजी साइलो में गेहूं की बिक्री, खरीद और भंडारण की अनुमति देकर निगमों को खुश करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. 

पंधेर ने कहा कि उन्हें "कोई संदेह नहीं" है कि यह केंद्र सरकार की नीति थी, लेकिन उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस नियम को रोक सकती थी. उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे अपनी फसलें बिक्री के लिए इन साइलो में न लाएं.