पंजाब के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने रविवार को दोहराया है कि उनका राज्य हरियाणा को एक बूंद भी पानी नहीं छोड़ने देगा. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र और हरियाणा सरकार पर पानी 'लूटने' की कोशिश करने का आरोप लगाया. उनका यह बयान हरियाणा में हुई एक सर्वदलीय बैठक के एक दिन बाद आया है जिसमें पंजाब सरकार से बिना शर्त पानी छोड़ने को कहा गया था. हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के पानी छोड़ने के निर्देश का पालन नहीं करना 'असंवैधानिक, अमानवीय' और संविधान के संघीय ढांचे पर हमला है.
पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के बंटवारे का मसला मान सरकार की तरफ से अपने पड़ोसी राज्य को और पानी देने से इनकार करने और भाजपा सरकार के बयानों के साथ और बढ़ गया है. हरियाणा के सीएम सैनी ने कहा है कि वह हरियाणा के 'पानी के उचित हिस्से' की रक्षा करेगी. पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री धालीवाल ने रविवार को कहा है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य के पानी के हिस्से के लिए लड़ रहे हैं. उनका कहना था, 'जिस तरह घर का मुखिया परिवार चलाने के लिए एक-एक रुपया बचाता है, उसी तरह पंजाब के नेता भगवंत सिंह मान अपने किसानों और पंजाबियों के लिए पानी की एक-एक बूंद बचा रहे हैं. भाजपा सरकार इसे अवैध रूप से लूटने की कोशिश कर रही है. मैं अपने नेता के साथ खड़ा हूं. हम पानी की एक भी बूंद नहीं देंगे.'
पंजाब के मंत्री ने भाखड़ा बांध से पानी लेने की कोशिश के लिए केंद्र पर निशाना साधा. धालीवाल ने कहा, 'ऐसा नहीं होगा. पानी का इस्तेमाल पंजाब के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए किया जाएगा और इसलिए हमारे पास पानी नहीं है और हम और पानी नहीं दे सकते. यह पानी हमसे छीना जा रहा है. हम पंजाबी हैं, पंजाब के बेटे हैं, हम केंद्र और हरियाणा को पानी की एक बूंद भी नहीं छीनने देंगे.' इस साल पानी के बंटवारे का मुद्दा तब शुरू हुआ जब आप शासित पंजाब ने हरियाणा को और पानी देने से इनकार कर दिया. पंजाब सरकार ने यह दावा किया कि हरियाणा ने मार्च तक आवंटित पानी का 103 प्रतिशत इस्तेमाल कर लिया है. इस दावे के बाद विवाद और बढ़ गया.
पंजाब सरकार ने हरियाणा को और पानी देने के भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई. आप सरकार ने यह भी कहा है कि उसे आने वाले धान की बुवाई के मौसम के लिए पानी की जरूरत है. इसलिए एक भी अतिरिक्त बूंद नहीं बची है. सीएम मान ने शनिवार को कहा था कि पंजाब बदमाशी बर्दाश्त नहीं करेगा और कहा कि उन्होंने अतिरिक्त पानी छोड़ने को रोकने के लिए नंगल बांध का दौरा किया था. हरियाणा ने 8,500 क्यूसेक पानी की मांग की थी जबकि पंजाब पहले से ही पीने के लिए मानवीय आधार पर 4,000 क्यूसेक पानी दे रहा है.
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने शुक्रवार को दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और भाखड़ा बांध से हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के बीबीएमबी के फैसले को लागू करने की सलाह दी. राज्य की तत्काल पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए अगले आठ दिनों में 100 प्रतिशत पानी उपलब्ध कराया जाएगा. इस बात पर भी सहमति बनी कि बांधों के भरने की अवधि के दौरान, बीबीएमबी पंजाब को राज्य की किसी भी अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करने के लिए यह अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराएगा. हालांकि, पंजाब सरकार ने शनिवार को बीबीएमबी की बैठक का बहिष्कार किया. इस मीटिंग को केंद्र की तरफ से हरियाणा को अतिरिक्त पानी जारी करने की सलाह दिए जाने के बाद बुलाया गया था.
बीबीएमबी भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर बांधों से पानी के बंटवारे को नियंत्रित करता है. पंजाब, हरियाणा और राजस्थान भागीदार राज्य हैं जो भाखड़ा और पोंग बांधों से सिंचाई सहित विभिन्न मकसदों के लिए अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं. हरियाणा के सीएम ने शनिवार को नांगल बांध पर पंजाब पुलिस को तैनात करने के लिए आप सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि पुलिस की तरफ से बांध की चाबी अपने हाथों में लेना न केवल प्रशासनिक निर्णय की अस्वीकृति दर्शाता है बल्कि संवैधानिक व्यवस्था के लिए भी चुनौती है. हरियाणा के साथ जल बंटवारे के मुद्दे पर विवाद के बीच पंजाब सरकार ने सोमवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है.
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