पंजाब सरकार के बिना ही हो मीटिंग: किसान संगठन मांग पर अड़े, केंद्र सरकार को लिखेंगे चिट्ठी!

पंजाब सरकार के बिना ही हो मीटिंग: किसान संगठन मांग पर अड़े, केंद्र सरकार को लिखेंगे चिट्ठी!

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने शनिवार को एक मीटिंग की है. मीटिंग में किसान नेताओं ने तय किया है कि 4 मई को दोनों मोर्चों की तरफ से केंद्र सरकार को दोबारा चिट्ठी लिखकर मांग की जाएगी कि पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों की गैर-मौजूदगी में केंद्र सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक हो.

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पंजाब सरकार के बिना ही हो मीटिंग: किसान संगठन मांग पर अड़े, केंद्र सरकार को लिखेंगे चिट्ठी! किसान संगठन अपनी मांग पर अड़े

चार मई को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के नेताओं के बीच जो मीटिंग होनी थी, अब वह कैंसिल हो चुकी है. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने मांग की थी कि चंडीगढ़ में होने वाली मीटिंग से पंजाब सरकार को दूर रखा जाए. अब संगठनों ने शनिवार को एक और मीटिंग की है. इस मीटिंग के बाद जो बयान दोनों किसान संगठनों की तरफ से जारी किया गया है, उससे साफ है कि किसान झुकने के मूड में नहीं हैं. वह पंजाब सरकार को वार्ता से दूर रखने की मांग पर अड़े हुए हैं. 

बातचीत के लिए हैं तैयार 

इस मीटिंग के बाद एक प्रेस रिलीज दोनों संगठनों ने जारी की है. इस रिलीज में कहा गया है, 'आज संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की साझा बैठक चंडीगढ़ के किसान भवन में हुई है. इसमें दोनों मोर्चों के वरिष्ठ नेताओं ने विस्तार से चर्चा की. साथ ही मीटिंग में किसान नेताओं ने तय किया है कि कल (4 मई) को दोनों मोर्चों की तरफ से केंद्र सरकार को दोबारा चिट्ठी लिखकर मांग की जाएगी कि पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों की गैर-मौजूदगी में केंद्र सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक हो.' किसान नेताओं ने दोहराया है कि वो मानते हैं कि बातचीत के माध्यम से ही मुद्दों का समाधान हो सकता है और वो बातचीत के लिए तैयार हैं.  

केंद्र सरकार ने कमजोर किया ढांचा 

किसान नेताओं का कहना है कि 1 मई को केंद्र सरकार ने किसान मोर्चों को भेजी चिट्ठी में कहा है कि संघीय ढांचे की रक्षा के लिए पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को बैठक में शामिल करना जरूरी है. लेकिन केंद्र सरकार ने सैंकड़ों बार राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण कर के संघीय ढांचे को कमजोर करने का काम किया है. संयुक्‍त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के अनुसार साल 2020 में लाये गए तीन कृषि कानून राज्य सरकारों के अधिकारों पर हमला था और उस समय केंद्र सरकार ने संघीय ढांचे के बारे में चिंता नहीं की. इसलिए पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को प्रस्तावित मीटिंग में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से संघीय ढांचे की रक्षा की दुहाई देना जमीनी हकीकत से कोसों दूर है. 

6 मई को थाने के सामने प्रदर्शन 

किसान नेताओं ने कहा है कि 19 मार्च को सरकारों की तरफ से जो कार्रवाई की गई है, उसने किसानों और सरकारों के बीच में अविश्वास की खाई को ओर गहरा कर दिया है. अब इसकी भरपाई होना बहुत मुश्किल है. किसान नेताओं की मानें तो शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पुलिस की तरफ से किसान नेताओं बलवंत सिंह बेहरामके समेत बाकी किसानों के साथ दुर्व्‍यवहार किया गया था इसके खिलाफ 6 मई को शंभू पुलिस थाने के सामने प्रदर्शन होगा. 

25 मई को होगी रिव्‍यू मीटिंग 

किसान नेताओं के मुताबिक हाल के कुछ समय में हरियाणा पुलिस की तरफ से किसानों को खेड़ी चौपटा समेत आंदोलन से जुड़े बाकी मुकदमों में नोटिस भेजे जा रहे हैं. दोनों ही मोर्चों ने शनिवार को हुई मीटिंग में इस मसले पर गंभीरता से चर्चा की है. साथ ही ऐलान किया है कि अगर हरियाणा पुलिस ने किसानों को ये नोटिस भेजने बंद नहीं किये तो दोनों मोर्चों को बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी हरियाणा सरकार की होगी. किसान नेताओं ने बताया कि 25 मई को दोनों मोर्चों की साझा रिव्यू मीटिंग होगी. इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये मोर्चे के आर्थिक हिसाब-किताब समेत बाकी मुद्दों पर जनता को विस्‍तार से जानकारी दी जाएगी. 

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