कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को चावल की दो जीनोम-एडिटेड किस्में जारी कीं. इन किस्मों को देश में अपनी तरह की पहली उपलब्धि करार दिया जा रहा है. ये दो किस्में जलवायु-अनुकूल हैं, पानी को बचाने में मददगार हैं और उपज भी बढ़ाती हैं. इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने जीनोम एडीटिंग टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके डेवलप किया है. चावल की इन किस्मों को ‘कमला DRR100’ और ‘पूसा डीएसटी राइस-1’ नाम दिया गया है. इन किस्मों में बेहतर तनाव सहनशीलता, बेहतर पैदावार और जलवायु अनुकूलन क्षमता है.
डीआरआर धान 100 (कमला): आईसीएआर-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईआरआर), हैदराबाद की तरफ से विकसित यह किस्म अपनी मूल किस्म, सांबा महसूरी (बीपीटी 5204) की तुलना में काफी ज्यादा उपज, सूखा झेलने की बेहतर क्षमता जल्द पकने का वादा करती है. आईसीएआर के अनुसार, डीआरआर धान 100 (कमला) को जीनोम एडीटिंग टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके विकसित किया गया है. यह साइटोकाइनिन ऑक्सीडेज 2 (सीकेएक्स2) जीन (जिसे जीएन1ए भी कहा जाता है) को टारगेट करता है. इससे हर गुच्छे में दानों की संख्या बढ़ाई जा सकती है.
इसमें कहा गया है कि कमला किस्म को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल (जोन VII), छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश (जोन V), ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल (जोन III) सहित प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में खेती के लिए विकसित किया गया है. कृषि मंत्री के अनुसार कमला DRR100 धान की जो किस्म है, यह मूल किस्म सांबा मसूरी की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा पैदावार देगी. साथ ही 20 दिन पहले पककर तैयार हो जाएगी. इससे पानी भी बचेगा और समय भी बचेगा. इस बचे हुए पानी का प्रयोग अगली फसल के लिए किया जाएगा. उत्पादन बढ़ेगा और किसानों को फायदा होगा.
कृषि मंत्री ने कहा कि बढ़ती आबादी की चुनौतियों के लिए यह किस्म एकदम सही है. उनका कहना था कि जमीन कम होती जा रही है. ऐसे में कम समय में ज्यादा उत्पादन वाली फसलों को आगे बढ़ाना होगा. यह किस्म तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ऐसे कई राज्यों के किसानों के लिए वरदान बनेगी.
पूसा डीएसटी राइस- 1, इस नई जीनोम-एडिटेड किस्म को आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईएआरआई) की तरफ से एमटीयू1010 नामक विस्तृत तौर पर खेती की जाने वाली बारीक-अनाज वाली किस्म पर विकसित किया गया है. इसे साइट डायरेक्टेड न्यूक्लिअस 1 (एसडीएन1) जीनोम-एडिटिंग के जरिये से विकसित किया गया है. पूसा डीएसटी राइस- 1, कठोर मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों के लिए पौधे की लचीलापन में सुधार करने के लिए सूखा और नमक सहिष्णुता (डीएसटी) जीन को टारगेट करती है.
कृषि मंत्री ने इस दौरान कहा कि इन किस्मों को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों का देश आभारी रहेगा. इन वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी का एक सपना पूरा किया है. देश इन किस्मों को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों की मदद से आगे बढ़ रहा है. जल्द ही ये किस्में किसानों को तक पहुंचेंगी. उन्होंने कहा, 'पीएम नरेंद्र मोदी का एक संकल्प 'विकसित भारत' किसानों का विकास किए बगैर नहीं हो सकता है. इस असाधारण उपब्लिध के लिए मैं वैज्ञानिकों का अभिनंदन करता हूं और उन्हें बधाई देता हूं. जय जवान जय किसान तभी होगा जब रिसर्च के काम चलते रहेंगे. मैं वैज्ञानिकों से कहना चाहूंगा कि आप देश के लिए बहुत जरूरी है. भारत विश्व बंधु है और उसे दुनिया का भी पेट भरना है.' इस दौरान कृषि मंत्री ने उन वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया जिन्होंने इन दोनों किस्मों को विकसित करने में योगदान दिया है.
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