राजनीतिक 'हथ‍ियार' बने सोयाबीन, कपास और प्याज के दाम...महाराष्ट्र व‍िधानसभा चुनाव में क्या करेंगे क‍िसान?

राजनीतिक 'हथ‍ियार' बने सोयाबीन, कपास और प्याज के दाम...महाराष्ट्र व‍िधानसभा चुनाव में क्या करेंगे क‍िसान?

Maharashtra Politics: कृष‍ि मंत्री श‍िवराज स‍िंह चौहान के बयान पर महाराष्ट्र के क‍िसान नेता ने पूछे तीखे सवाल. अन‍िल घनवत ने कहा क‍ि खाद्य तेलों की इंपोर्ट ड्यूटी घटाकर क‍िसने जीरो परसेंट की थी, क्या क‍िसी और सरकार ने? सोयाबीन और कॉटन का दाम दो साल पहले एमएसपी से ज्यादा था तो इस साल कैसे कम हुआ?

Advertisement
राजनीतिक 'हथ‍ियार' बने सोयाबीन, कपास और प्याज के दाम...महाराष्ट्र व‍िधानसभा चुनाव में क्या करेंगे क‍िसान? सोयाबीन और कॉटन के कम दाम से नाराज हैं क‍िसान.

महाराष्ट्र व‍िधानसभा चुनाव में सोयाबीन, कॉटन और प्याज के दाम का मुद्दा छाया हुआ है. प्रधानमंत्री और कृष‍ि मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री तक...सब कृष‍ि उपज के दाम पर सफाई दे रहे हैं. किसानों की तरक्की के ल‍िए कस्में खा रहे हैं, दावों और वादों से उन्हें र‍िझाने की कोश‍िश कर रहे हैं. लेक‍िन, जमीनी हालात ये हैं क‍ि राज्य में क‍िसानों को सोयाबीन और कॉटन का भाव एमएसपी ज‍ितना भी नहीं म‍िल रहा है. क‍िसानों का आरोप है क‍ि ओपन मार्केट में दोनों फसलों का दाम एमएसपी से 1000 से 1200 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक कम है. दूसरी ओर, कुछ क‍िसान नेताओं का कहना है क‍ि प्याज का दाम इस समय अच्छा म‍िल रहा है लेकिन चुनाव खत्म होते ही केंद्र सरकार इसका एक्सपोर्ट बैन करके गेम बदल सकती है. कुल म‍िलाकर महाराष्ट्र व‍िधानसभा चुनाव में सोयाबीन, कपास और प्याज व‍िपक्ष के ल‍िए राजनीतिक 'हथ‍ियार' बने हुए हैं. 

सबसे पहले सोयाबीन पर बात करते हैं. सोयाबीन एक प्रमुख त‍िलहन और दलहन फसल है. क‍िसानों का कहना है क‍ि 2021 में सोयाबीन का भाव ओपेन मार्केट में 9000 से 10000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक था. तब सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 3950 रुपये ही था. अब एमएसपी 4892 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है, जबक‍ि ओपन मार्केट में दाम घटकर स‍िर्फ 3800 से 4200 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल ही रह गया है. सवाल यह है क‍ि आख‍िर ऐसा क्यों हुआ. वो कौन सी नीत‍ि है ज‍िसकी वजह से दाम इस कदर ग‍िर गए. आरोप है क‍ि केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के इंपोर्ट ड्यूटी को लगभग शून्य कर दिया था, इसल‍िए इसके दाम ग‍िरे हैं. अब जब चुनाव आया है तो इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई गई है, लेक‍िन, मार्केट सुधरने में अभी वक्त लगेगा.

इसे भी पढ़ें:कॉटन उत्पादन में भारी ग‍िरावट, क्या है बड़ी वजह...आपकी जेब पर भी पड़ेगा इसका असर

कॉटन का मामला 

ओपन मार्केट में जनवरी 2022 के दौरान कॉटन का दाम 8000 से 10,000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था. जबक‍ि तब‍ लंबे रेशे वाले कॉटन का एमएसपी 6025 रुपए प्रति क्विंटल ही था. यानी प‍िछले साल कॉटन का दाम एमएसपी से अच्छा था. दूसरी ओर, इस साल कॉटन का दाम 7100 रुपये तक है जबक‍ि एमएसपी 7,521 रुपये प्रति क्विंटल है. यानी इस साल एमएसपी से कम दाम मिल रहा है. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा कॉटन उत्पादक राज्य है. ऐसे में यहां पर व‍िधानसभा चुनाव में कॉटन का कम दाम भी स‍ियासी सरगर्मी बढ़ा रहा है. क‍िसान नेता राजू शेट्टी का आरोप है क‍ि क‍िसानों को कॉटन का दाम इसल‍िए एमएसपी से भी कम म‍िल रहा है, क्योंक‍ि सरकार कॉटन इंपोर्ट कर रही है. 

कृष‍ि मंत्री ने क्या कहा? 

  • हमने सोयाबीन की सरकारी खरीद के ल‍िए में नमी की सीमा को 12% से बढ़ाकर 15% किया. 
  • क‍िसानों के ह‍ित में प्याज के एक्सपोर्ट से प्रतिबंध हटा, एक्सपोर्ट ड्यूटी 40% से घटाकर 20% की गई.
  • पाम ऑयल मलेशिया, इंडोनेशिया से जीरो पर्सेंट ड्यूटी पर आयात किए जाते थे, अब ड्यूटी बढ़ाकर 27.5% की गई है, ताकि किसानों को सोयाबीन के ठीक दाम मिल सकें. 

(महाराष्ट्र में श‍िवराज स‍िंह चौहान का बयान) 

क‍िसान नेताओं ने द‍िया जवाब 

  • सोयाबीन खरीद के ल‍िए 15 फीसदी नमी की शर्त क‍िसने लगाई थी? 
  • अब तक सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन की सरकारी खरीद क्यों नहीं की? 
  • खाद्य तेलों की इंपोर्ट ड्यूटी किसने 40-45 से घटाकर जीरो परसेंट करवाया था, क्या क‍िसी और सरकार ने?  
  • सोयाबीन और कॉटन का दाम दो साल पहले एमएसपी से ज्यादा था तो इस साल कैसे कम हुआ? 
  • अगस्त 2023 में प्याज न‍िर्यात पर 40 फीसदी शुल्क और द‍िसंबर 2023 में एक्सपोर्ट बैन करके दाम क्यों ग‍िराया?
  • सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ से बाजार के मुकाबले आधे दाम पर प्याज ब‍िकवाकर दाम क्यों ग‍िराया? 

(कृष‍ि मंत्री के बयान पर महाराष्ट्र के क‍िसान नेता अन‍िल घनवत के सवाल)

सरकारी नीत‍ि के मारे क‍िसान 

तीन कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी के सदस्य रहे अनिल घनवट का कहना है क‍ि बाजार में सरकारी हस्तक्षेप की वजह से क‍िसानों और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान हो रहा है. प्याज का प्रोडक्शन सरकार की नीत‍ि की वजह से ग‍िरा. सरकार के हस्तक्षेप की वजह से लगातार तीन साल तक क‍िसानों को दाम नहीं म‍िला तो उन्होंने खेती कम कर दी. ज‍िससे उत्पादन घट गया. बाजार में आवक कम हो गई और अब दाम उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर होने को हैं. अगर सरकारी हस्तक्षेप करके क‍िसानों को कम दाम पर प्याज बेचने के ल‍िए मजबूर न क‍िया जाता तो वो इसकी खेती नहीं घटाते. खेती नहीं घटाते तो इतना दाम नहीं बढ़ता.  

कृष‍ि मंत्रालय पर सवाल  

घनवट का कहना है क‍ि जब चुनाव नहीं होता है तब उपभोक्ता मामले मंत्रालय और वाण‍िज्य मंत्रालय म‍िलकर कभी भी क‍िसी भी कृष‍ि उपज का एक्सपोर्ट बैन करवा देते हैं. इंपोर्ट और एक्सपोर्ट ड्यूटी का खेल खेलना शुरू कर देते हैं. तब वो कृष‍ि मंत्रालय से पूछते भी नहीं क‍ि इसका क‍िसानों पर क्या असर पड़ेगा. लेक‍िन आज जब क‍िसानों का वोट लेना है तो कृष‍ि मंत्री को आगे कर दिया गया है. लेक‍िन क‍िसान सरकारी नीत‍ियों से खेती में हुए नुकसान को भूले नहीं हैं. 

कृष‍ि मंत्री श‍िवराज स‍िंह चौहान अगर वाकई क‍िसानों का ह‍ित चाहते हैं तो उन्हें ऐसी व्यवस्था बनवानी चाह‍िए ताक‍ि कृष‍ि उपजों के बारे में कोई भी फैसला लेते वक्त सरकार कृष‍ि मंत्रालय की राय ले क‍ि उस निर्णय का क‍िसानों पर क‍ितना असर पड़ेगा. कृषि मंत्रालय का काम है क‍िसानों की आय बढ़वाना. वो इसी दृष्ट‍िकोण से अपना पक्ष रखे. 

क‍िसानों के ह‍ित के ख‍िलाफ कोई फैसला हो तो कृष‍ि मंत्रालय उसका पुरजोर व‍िरोध करे. लेक‍िन दुर्भाग्य से सोयाबीन, कॉटन, प्याज, चावल और गेहूं के दाम ग‍िराने के ज‍ितने भी न‍िर्णय सरकार लेती है उस पर कृष‍ि मंत्रालय क‍िसानों की ओर से अपना कोई व‍िरोध नहीं दर्ज करवा पाता. जबक‍ि प्रधानमंत्री ने कृष‍ि मंत्रालय को क‍िसानों की आय बढ़वाने का ज‍िम्मा द‍िया हुआ है.

प्याज पर क्या फैसला लेगी सरकार?  

महाराष्ट्र के क‍िसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने 'क‍िसान तक' से बातचीत में आशंका जाह‍िर की है क‍ि व‍िधानसभा चुनाव बीतते ही केंद्र सरकार दोबारा प्याज एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकती है. अभी वो स‍िर्फ मजबूरी में प्याज के बढ़े दाम को बर्दाश्त कर रही है. जब सरकार 3000 रुपये क्व‍िंटल का दाम होने पर एक्सपोर्ट बैन कर सकती है तो फ‍िर वो इस समय 4000-5000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का थोक भाव होने पर क्यों मौन बैठी है? जाह‍िर है क‍ि व‍िधानसभा चुनाव उसकी बड़ी मजबूरी है. 

लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के प्याज क‍िसानों ने बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों को बड़ा झटका द‍िया था, इसल‍िए अभी चुनावी मजबूरी में सरकार चुप है. लेक‍िन चुनाव बीतते ही एक्सपोर्ट बैन करके फिर क‍िसानों को परेशानी में डाला जा सकता है. ऐसी मुझे आशंका है. अभी भी सरकार 35 रुपये क‍िलो पर प्याज बेच रही है, ये क्या है? 

हालांक‍ि, प्याज उत्पादक संगठन महाराष्ट्र के संस्थापक अध्यक्ष भारत द‍िघोले का कहना है क‍ि लोकसभा चुनाव में प्याज क‍िसानों ने बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्ट‍ियों को जो झटका द‍िया है वो बहुत तगड़ा है. उसे देखते हुए सरकार दोबारा प्याज एक्सपोर्ट बैन जैसी कोई गलती नहीं करेगी. अगर करेगी तो उसका व‍िरोध करने के ल‍िए हम तैयार हैं. क‍िसान फ‍िर खेती कम कर देंगे. 

क‍िसानों को क‍ितना नुकसान? 

क‍िसान नेता शेट्टी का कहना है क‍ि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोयाबीन क‍िसानों को 6000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल की एमएसपी देने का वादा क‍िया है. मुझे इस वादे पर यकीन नहीं है, क्योंक‍ि चुनावी माहौल में भी राज्य के क‍िसानों को एमएसपी ज‍ितना भी भाव नहीं म‍िल रहा है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में प‍िछले वर्ष बीजेपी ने 2700 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल के भाव पर गेहूं खरीदने का वादा क‍िया था, क्या उस पर अमल हुआ? दोनों राज्यों में स‍िर्फ 2400 रुपये क्व‍िंटल के भाव पर गेहूं खरीदा गया.  

शेट्टी ने कहा क‍ि साल 2022 में सोयाबीन का दाम 9000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था. जबक‍ि इस समय 3800 से 4000 रुपये का भाव चल रहा है. ऐसे में 5000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का नुकसान हो रहा है. एक एकड़ में औसतन 10 क्व‍िंटल सोयाबीन पैदा होता है. ऐसे में एक एकड़ में क‍िसानों को लगभग 50 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है. जबक‍ि क‍िसानों को सरकार पीएम क‍िसान सम्मान न‍िध‍ि के तौर पर स‍िर्फ 6000 रुपये सालाना दे रही है. 

पूर्व सांसद शेट्टी ने कहा क‍ि हम तो यह कहेंगे कि सरकार सम्मान न‍िध‍ि अपने पास रखे, बस मेहरबानी करके क‍िसानों को उनकी फसलों की उपज का सही दाम ले लेने दे. दाम म‍िल रहा हो तो उसे कम करने की कोश‍िश मत करे. बहरहाल, देखना ये है क‍ि महाराष्ट्र के क‍िसान हर‍ियाणा की तरह सरकार के वादों और दावों पर व‍िश्चास करेंगे या फ‍िर दाम को लेकर होने वाले नुकसान को देखते हुए अपने वोट‍ से चोट करेंगे. 

इसे भी पढ़ें: डोनाल्ड ट्रंप के शासन में भारत ने अमेर‍िका पर ल‍िया था बड़ा एक्शन, जान‍िए क्यों लगा द‍िया था 'प्रत‍िशोध शुल्क'

POST A COMMENT