पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने मंगलवार को सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) के निर्माण की योजना को स्थगित करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने केंद्र से पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से चले आ रहे जल विवाद को सुलझाने के लिए चिनाब नदी के पानी का सही उपयोग करने की भी अपील की है. मान ने यह बात जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल के साथ हुई एक खास मुलाकात में कही जो कि मंगलवार को आयोजित की गई थी. मीटिंग एसवाईएल के मसले पर ही थी.
मीटिंग में सीएम मान ने कहा कि 9 जुलाई को हुई पिछली बैठक में, केंद्र सरकार ने उन्हें बताया था कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि स्थगित कर दी गई है. इससे भारत के लिए चिनाब नदी के पानी का प्रयोग करने का एक बड़ा अवसर खुल गया है. चिनाब नदी उन पश्चिमी नदियों में से एक है जो संधि के तहत पहले पाकिस्तान को दी जाती थी. इस पर मान ने कहा कि केंद्र को अब चिनाब नदी के पानी को रंजीत सागर, पौंग या भाखड़ा जैसे भारतीय बांधों की ओर मोड़ना चाहिए.
भगवंत मान ने कहा, 'इस अतिरिक्त पानी को ले जाने के लिए नई नहरों और बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी, जिसका निर्माण पंजाब राज्य में किया जाएगा. इन नहरों और बुनियादी ढांचे का प्रयोग पहले राज्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है और पंजाब की जरूरतें पूरी होने के बाद. इसी नहर प्रणाली के जरिए हरियाणा और राजस्थान को पानी की आपूर्ति की जा सकती है.'
एक सरकारी बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि चिनाब नदी के पानी का उपयोग करने से पंजाब की भूजल पर निर्भरता कम होगी, सतही सिंचाई को फिर से जिंदा किया जा सकेगा और किसानों को भी बड़ी मदद मिलेगी. उनका कहना था कि किसान पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. साथ ही, इससे आने वाली पीढ़ियों के लिए राज्य का भूजल भी बचेगा. उनकी मानें तो वर्तमान में भूजल की कमी से जूझ रहे पंजाब को इन नदियों के पानी के प्रयोग, मोड़ने या आवंटन की किसी भी नई रणनीति में प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
मान ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि पश्चिमी नदियों का पानी पंजाब को प्राथमिकता के आधार पर आवंटित किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश में मौजूदा भाखड़ा और पौंग बांधों के ऊपर नए भंडारण बांध बनाए जाने चाहिए. इससे नदियों के पानी का स्टोरेज और रेगुलेशन बेहतर होगा.
मान का कहना था कि हरियाणा के पास बाकी स्रोतों से अतिरिक्त पानी हासिल करने की पूरी गुंजाइश है, जिसका भी हिसाब लगाया जाना चाहिए. हरियाणा को घग्गर नदी, तंगरी नदी, मारकंडा नदी, सरस्वती नदी, चौटांग-राक्षी, नई नाला, साहिबी नदी, कृष्णा धुआं और लंदोहा नाला से 2.703 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) जल भी मिल रहा है, जिसका राज्यों के बीच जल आवंटन तय करते समय अभी तक हिसाब नहीं लगाया गया है. मान ने दोहराया कि एसवाईएल नहर एक ‘भावनात्मक मुद्दा’ है. पंजाब में कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या होगी और साथ ही यह एक राष्ट्रीय समस्या बन जाएगी, जिसका खामियाजा हरियाणा और राजस्थान को भी भुगतना पड़ेगा.
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