कमला हैरिस को हराकर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप ने बाजी मार ली है. भारत सहित कई देशों की नजर अब ट्रंप के नेतृत्व वाले अमेरिका की नीतियों पर लगी हुई है. बहरहाल, अमेरिका के साथ कृषि उपज के आयात-निर्यात का भारत बड़ा साझीदार है. ऐसे में यहां के किसानों पर उसकी नीतियों का असर पड़ता है. ट्रंप के ही कार्यकाल में भारत ने अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम पर प्रतिशोध शुल्क (Retaliatory Duty) लगा दिया था, जिसे जो बाइडेन के कार्यकाल में तब हटाया गया था जब अमेरिकी सरकार ने हमारे पक्ष को भी समझते हुए अपनी गलतियों को सुधारा था. अमेरिका भारतीय स्टील और अल्यूमीनियम उत्पादों को अपने यहां बाजार में पहुंच प्रदान करने पर सहमत हो गया था, तब हमने उसे राहत दी थी.
सितंबर 2023 में भारत सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम सहित वहां के आठ उत्पादों पर प्रतिशोध शुल्क के तौर पर लगाए गए एक्सट्रा चार्ज को वापस ले लिया था. अमेरिका और भारत के बीच छह लंबित विश्व व्यापार संगठन (WTO) विवादों को परस्पर सहमति से हल करने के लिए जून 2023 में लिए गए फैसले को देखते हुए भारत ने यह कदम उठाया था. डब्ल्यूटीओ विवाद के समाधान से अमेरिका में भारतीय इस्पात और अल्यूमीनियम के निर्यात के लिए बाजार तक पहुंच बहाल होने का रास्ता साफ हो गया था. तब भारत ने यह फैसला लिया था.
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साल 2019 में अमेरिका के उत्पादों पर एमएफएन (Most Favoured Nation) शुल्क के अलावा सेब एवं अखरोट पर 20-20 प्रतिशत और बादाम पर 20 रुपये प्रति किलोग्राम का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया था. इससे भारतीय बाजार में अमेरिका को बड़ा झटका लग रहा था. उसके बने बनाए बाजार पर दूसरे देश कब्जा करने लगे थे.
खासतौर पर ईरान, तुर्की, इटली, चिली और न्यूजीलैंड भारत को प्रमुख सेब निर्यातक के रूप में उभरने लगे थे. इस चिंता में अमेरिका को भारत की बात माननी पड़ी. दरअसल, भारत यह कार्रवाई करने पर तब मजबूर हुआ था जब अमेरिकी सरकार ने हमारे कुछ विशेष स्टील और अल्यूमीनियम उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया था.
फिलहाल, सेब, अखरोट और बादाम पर लगने वाले एमएफएन (सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र) शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है. अमेरिकी बादाम पर 100 रुपये प्रति किलोग्राम का एमएफएन रेट अब भी लागू है. भूटान को छोड़कर अन्य सभी देशों से होने वाले आयात पर 50 रुपये प्रति किलोग्राम का एमआईपी (न्यूनतम आयात मूल्य) लागू है. यह एमआईपी अमेरिका से आने वाले सेब पर भी लागू है. यानी इससे कम दाम पर सेब आयात नहीं होगा. यह शुल्क देश में कम गुणवत्ता वाले सेबों की डंपिंग होने से बचाने के लिए तय किया गया है.
कृषि उपज के आयात के आंकड़ों को देखेंगे तो साफ हो जाएगा कि आखिर अमेरिका भारत द्वारा लगाए गए प्रतिशोधात्मक शुल्क से इतना बेचैन क्यों था. भारत कृषि उपज की कैटेगरी में अमेरिका से सबसे ज्यादा आयात ताजे फलों का करता है, जिसमें सेब भी शामिल है.
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के मुताबिक साल 2023-24 में भारत ने अमेरिका से 11,893 करोड़ रुपये की कृषि उपज का आयात किया, जिसमें सबसे ज्यादा 8664 करोड़ का खर्च ताजे फलों पर था. साल 2022-23 में इस मद में हमने 8217 करोड़ रुपये खर्च किए. ऐसे में अमेरिका नहीं चाहता था कि आयात प्रभावित हो और उसने आपसी सहमति से विवाद को खत्म कर लिया.
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