किसानों ने सरकार से मांगा सिंधु नदी का पानी, पाकिस्तान को लेकर कृषि मंत्री ने कही बड़ी बात

किसानों ने सरकार से मांगा सिंधु नदी का पानी, पाकिस्तान को लेकर कृषि मंत्री ने कही बड़ी बात

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने पूसा परिसर, दिल्ली में किया किसानों से संवाद. सिंधु जल संधि के संबंध में मोदी सरकार के ऐतिहासिक निर्णय पर किया किसानों से संवाद. इस दौरान कृषि मंत्री ने कहा, सिंधु जल संधि, देश के साथ अन्याय. पंडित नेहरू ने पाकिस्तान को दिया था, पैसा और पानी. उस समय 83 करोड़ रुपये और 80 परसेंट पानी पाकिस्तान को दिया.

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किसानों ने सरकार से मांगा सिंधु नदी का पानी, पाकिस्तान को लेकर कृषि मंत्री ने कही बड़ी बातशिवराज सिंह चौहान ने किसानों से किया संवाद

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को एक कार्यक्रम में बड़ा बयान दिया. कृषि मंत्री ने कहा कि भारत के जल विशेषज्ञ प्रतिनिधियों ने सिंधु जल संधि का विरोध किया, लेकिन पंडित नेहरू जी ने दखल दिया और ये समझौता करने पर विवश किया. अटल जी ने भी 1960 में संसद में इस समझौते का विरोध करते हुए कहा था कि, ये नहीं होना चाहिए था. प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त किया, हम उनका अभिनंदन करते हैं.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बयान आईसीएआर, दिल्ली, पूसा भवन में किसानों के साथ एक बातचीत में दिया. शिवराज सिंह चौहान ने सिंधु जल संधि को लेकर किसानों से बात की और यह बयान दिया. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सिंधु जल संधि देश के साथ अन्याय था. पंडित नेहरू ने पाकिस्तान को पैसा और पानी दिया था. शिवराज सिंह चौहान ने कहा, उस समय 83 करोड़ रुपये और 80 परसेंट पानी पाकिस्तान को दिया था. हालांकि तब के जल विशेषज्ञों ने इसका विरोध किया था. इसके बावजूद पंडित नेहरू ने जल संधि के लिए विवश किया था.

अपने किसानों का पेट काटकर उनको पानी दे रहे

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, अपने किसानों का पेट काटकर हम उनको पानी दे रहे, जो आतंकियों को पैदा करने के लिए जवाबदार हैं. हमें गर्व है हमारी सेना पर, उनके शौर्य और पराक्रम पर. हमारी सेना ने तुर्किए, चीन के ड्रोन और मिसाइलों को खिलौनों की तरह मार गिराया. पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलों के मलबे से हमारे बच्चे खेल रहे हैं. तीन दिन में ही पाकिस्तान घुटनों पर आ गया. प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त किया, उनका अभिनंदन है. इस पानी का उपयोग देश और किसानों के हित में किया जाएगा. 

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इससे पहले आज नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता और मंत्रालय के दोनों विभागों के सचिवों देवेश चतुवेर्दी (सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग) और डॉ. मंगी लाल जाट सचिव (डेयर) की उपस्थिति में अलग-अलग राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए 'विकसित कृषि संकल्प अभियान’ पर विस्तृत चर्चा की गई.

सिंधु जल संधि के बारे में पूरी जानकारी

शिवराज सिंह ने कहा कि अटल जी ने 1960 में संसद में भाषण दिया था. लोकसभा के डिबेट के सेकेंड सीरीज के खंड 48 के पेज नंबर 3165 से लेकर 3240 पर ये लेख प्रकाशित हुआ उनका, जिसमें अटलजी ने विरोध किया और कहा कि ये नहीं होना चाहिए था, विशेषज्ञ प्रतिनिधियों ने ये बात कही है, इसके बाद भी समझौता किया गया. उस समय चाहते तो पाकिस्तान को कम पानी देकर भी तैयार कर लेते. पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने कहा कि ये संधि तो होती नहीं, अगर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू इसमें दखल नहीं देते. एक बहस के दौरान पं. नेहरू ने ये कहा कि हमने 83 करोड़ रु. देकर शांति खरीदी है, ये कैसी शांति थी, पानी भी गया, पैसा भी गया. पानी के बिना दुनिया नहीं चलती है "रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून", पानी के बिना खेती नहीं होती, पानी के बिना जिंदगी नहीं चलती, पानी के बिना बिजली भी नहीं बनती, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पानी से ही बनता है. 

कृषि मंत्री ने कहा, उस समय द हिंदू अखबार ने लिखा था- नई दिल्ली को याद होगा कि पिछले सालों में बातचीत के दौरान भारत किस तरह कदम-दर-कदम रियायतें देता रहा और हिंदू ने आगे लिखा कि विभाजन के समय भारत का दुर्भाग्य रहा है अब सिंधु नदी का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को मिल गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा था कि विवाद के लगभग हर बड़े बिंदु पर भारत ने अपने हितों की कीमत पर पाकिस्तान की इच्छाओं के सामने घुटने टेक दिए. पाकिस्तान ने तो बस ट्रेलर ही देखा है. इस संधि के बहाने पाकिस्तान गाद निकालने की अनुमति नहीं दे रहा था, लेकिन अब हमने सलाल बांध और बगलिहार बांध से पानी रोक दिया है और गाद निकालने की अनुमति दे दी है.

हम किसानों की शक्ति दिखाएंगे-शिवराज 

शिवराज सिंह ने किसान संगठनों की सहमति के बीच कहा कि हम किसानों की शक्ति दिखाएंगे, खुली चर्चा का आयोजन करेंगे. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री मतलब आपका सेवक, मेरे घर और दिल के द्वार किसानों के लिए हमेशा खुले हैं. केंद्रीय मंत्री चौहान ने पंजाब के किसान सरदान गोमा सिंह, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान देश के जवानों के लिए अपना घर खाली कर दिया था, के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्हें सम्मानित किया. 

देशभर से आए किसानों संगठनों के प्रमुखों ने एक सुर में सिंधु जल समझौते पर सरकार के रुख का समर्थन किया और समझौते को पूरी तरह निरस्त करने की मांग करते हुए कहा- 1960 में समझौता के बाद से ही पाकिस्तान की गतिविधियां समझौते के अनुकूल नहीं थी, जबकि भारत ने अक्षरश: समझौते का पालन किया. किसान संगठनों ने केंद्रीय मंत्री से अपील की कि सिंधु नदी के पानी का विभिन्न राज्यों में उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं, विशेषकर हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को हक के पानी का वो लाभ मिल सके, जिससे वे इतने सालों तक वंचित रहे. 

किसान संगठनों ने देश की किसी भी विकट स्थिति में मजबूती से साथ खड़े रहने का पुरजोर भरोसा दिलाते हुए कहा कि किसानों के खून में जज्बा व जुनून रहता है. किसान किसी अन्याय को बर्दाश्त नहीं करते और कहीं अन्याय हो तो वह हमेशा उसके विरोध में खड़े रहते हैं. किसानों ने कहा कि सिंधु जल संबंधी फैसला ऐतिहासिक निर्णय है और वो समझ सकते है इसे धरातल पर लाते-लाते एक प्रक्रिया के दौर से गुजरना पड़ सकता है, लेकिन चाहे जितना समय लगे, देश के किसान, सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे. सरकार ने बड़ा फैसला लिया है और किसान इसके प्रति आभारी हैं. 

किसान संगठनों की ओर से यह भी कहा गया कि ‘खेत को पानी और फसल को दाम’ किसानों की समृद्धि के दो प्रमुख आधार है और सरकार ने इस दिशा में काम करके दिखाया है. किसान संगठनों की ओर से अशोक बालियान, धर्मेंद्र मलिक, सत्यनारायण नेहरा, कृपा सिंह नाथूवाला, सतविन्द्र सिंह कलसी, मानकराम परिहार, सतीश छिकारा, बाबा श्याम सिंह, बाबा मूलचंद सेहरावत, प्रो. वी.पी.सिंह, राजेश सिंह चौहान, सुशीला बिश्नोई, रामपाल सिंह जाट ने विचार रखे.

किसानों के साथ कृषि मंत्री की बैठक

बैठक के दौरान राज्य कृषि मंत्रियों ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की सराहना करते हुए इसे किसानों के हित में एक दूरदर्शी और प्रभावशाली पहल बताया. बैठक के दौरान उन्होंने अपने राज्यों के अनुभव साझा किए साथ ही किसानों के जीवन को और बेहतर बनाने के लिए योजनाओं को अधिक प्रभावी एवं क्रियाशील बनाने के लिए सुझावों का आदान-प्रदान भी किया.

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कृषि मंत्री ने ने "लैब टू लैंड" की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार वैज्ञानिकों और किसानों को सीधे जोड़ रही है, ताकि खेत और प्रयोगशाला के बीच की दूरी समाप्त हो सके और वैज्ञानिक तकनीकों का लाभ सीधे किसानों तक पहुंच सके.


 

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